डाॅ. अरुण कुकसाल ‘आ, यहां आ। अपनी ईजा से आखिरी बार मिल ले। मुझसे बचन ले गई, देबी जब तक पढ़ना चाहेगा, पढ़ाते रहना।’ उन्होने किनारे से कफन हटाकर मेरा हाथ भीतर डाला और बोले ‘अपनी ईजा को अच्छी तरह... Read more
डाॅ. अरुण कुकसाल ‘आ, यहां आ। अपनी ईजा से आखिरी बार मिल ले। मुझसे बचन ले गई, देबी जब तक पढ़ना चाहेगा, पढ़ाते रहना।’ उन्होने किनारे से कफन हटाकर मेरा हाथ भीतर डाला और बोले ‘अपनी ईजा को अच्छी तरह... Read more
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