डॉ. योगेश धस्माना दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के सहयोग से डॉ. गिरधर पण्डित द्वारा लिखित पुस्तक ‘टिहरी की जनक्रांति ‘ का लोकार्पण इतिहासकार और लेखक पद्रश्री प्रो. शेखर पाठक द्... Read more
नवीन जोशी 1970 के दशक का उत्तराखण्ड का ‘चिपको आंदोलन’ विश्वविख्यात है। यह तथ्य भी कमोबेश ज्ञात है कि इस आंदोलन के पीछे मुख्य रूप से महिलाएं थीं। कुमाऊं में 1984 में छिड़ा ‘नशा नहीं, रोजगार दो... Read more
हिमांशु जोशी क्रांतिकारी बन सकने वाले प्रश्न पर ‘अज्ञेय’ की शेखर पाठक और शमशेर बिष्ट को कही पंक्तियां पुस्तक का विशेष आकर्षण हैं। शमशेर सिंह बिष्ट के जीवन पर लिखी इस क़िताब का उद्... Read more
डाॅ.अरुण कुकसाल हिमालय बहुत नया पहाड़ होते हुए भी मनुष्यों और उनके देवताओं के मुक़ाबले बहुत बूढ़ा है। यह मनुष्यों की भूमि पहले है, देवभूमि बाद में, क्योंकि मनुष्यों ने ही अपने विश्वासों तथा देव... Read more
डॉ. सुशील त्रिवेदी हरिसुमन बिष्ट उत्तराखण्ड के शीर्षस्थ साहित्यकार हैं। उनके उपन्यास, कहानी, नाटक और यात्रा वृतांत पूरे हिन्दी क्षेत्र में अपनी मिट्टी की सुगंध बिखेरते हैं और जल के कल-कल निन... Read more
अरुण कुकसाल वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली और भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला से 2019 में प्रकाशित ‘हरी भरी उम्मीद’ (चिपको आन्दोलन और अन्य जंगलात प्रतिरोधों की परम्परा) किताब उस समाज को समर्पित ह... Read more
देवेश जोशी (नरेन्द्र सिंह नेगी के गीतों का अंग्रेजी अनुवाद) उत्तराखण्ड में जन्मे नरेन्द्र सिंह नेगी ऐसे रचनाकार हैं जिनके सृजन में हिमालय का प्रतिनिधित्व झलकता है। उनका सृजन त्रिस्तरीय है। श... Read more
इस्लाम हुसैन पिछली सदी में कैसे रहे ताल्लुक़ात ? मैंने अग्रज शेखर पाठक जी से पिछले दिनों फोन पर बात की थी, उनसे पूछने के लिए कि अल्मोड़ा से काण्डा कम्सियार तक पैदल जाने में कितना समय लगेगा,... Read more
देवेश जोशी अगर कोई मुझे पूछे कि बच्चों के गीतों और प्रौढ़ों की कविताओं में क्या अंतर होता है तो मैं कहूंगा, वही जो किसी पहाड़ी स्रोत के जल और आर.ओ.के पानी में होता है। पहले पे कोई ठप्पा नहीं... Read more