चारु तिवारी
टिहरी रियासत की दमनकारी नीतियों के खिलाफ संघर्ष में अपनी शहादत देने वाले हमारे प्रेरणापुंज श्रीदेव सुमन का आज शहादत दिवस (25 जुलाई, 1944) है। हम उन्हें कृतज्ञतापूर्वक याद करते हैं। उनकी शहादत हमेशा जनसंघर्षों को ताकत देती रहेगी। हमने ‘क्रिएटिव उत्तराखंड-म्यर पहाड़’ पोस्टर श्रृंखला का पहला पोस्टर उन्हीं का प्रकाशित किया था। बाद में नये रूप में भी निकाला। गढ़वाल के आदि गायक बादियों ने उनकी शहादत पर एक गीत गाया। उसी गीत से श्रीदेव सुमन जी को याद करते हुये विनम्र श्रद्धांजलि-
सड़की को सूत सुमन, सड़की को सूत ले,
टीरी मा पैदा ह्वेगे सुमन, सुमन सपूत ले!
गढ़ माता को प्यारे सुमन, सुमन सपूत ले!
अखोडू को कीच सुमन, अखोडू को कीच,
ढंडक शुरू ह्वेगे सुमन, रंवार्इ का बीच!
घाघरी को फेर सुमन, घाघरी को फेर,
गढ़माता की जिकुड़ी सुमन, पैनो लागे तीर!
बजायो त घण सुमन, बजायो त घण,
मरि जाण बल सुमन, घर नी रण!
नौ लखे हार सुमन, नौ लखे हार,
त्वैन शुरू करयाले सुमन, आजादी परचार।
गांधी जी का चेला सुमन, कांटी जालो कूरो,
यो सुमन ढंडकी ह्वैगे, होर्इ जाणो सूरो!
कपड़ा का गज सुमन, कपड़ा को गज,
आंगण का बीच सुमन, झंडा देन्द जस!
घास काटे ज्वान सुमन, घास काटे ज्वान,
तेरा साथी छन सुमन, इसकूली ज्वान!
देवता का भोग सुमन, देवता को भोग,
तेरा साथी छन सुमन, गौं-गौं का लोग!
बाखुरी को कान सुमन, बाखरी को कान,
सुफल होइगे सुमन, तेरो स्यो बलिदान!
गढ़माता की वीर सुमन, तेरो स्यो बलिदान!