पृथ्वी राज सिंह
एक समय था हमारे पास फुल टाइम नेता होते थे। एक पधान होता था, एक सरपंच होता था मानो मानद उपाधि हो, व्यक्ति का उपनाम होता था। गांव की राजनीति में वह न तो इस पद से ऊपर जाता था, न नीचे आता था।
कहने का मतलब यह कि वह एक कार्यकाल के लिए नहीं जीवन भर के लिए पधान होता था और पधान ही रहता था। आप बांकी टाइम भले ही उसकी लानत मलानत करते रहो बस चुनाव के बखत उसकी खिलाफत मंहगी पड़ती थी, वह साम दाम दण्ड भेद सब हथकंडे अपनाता था, अक्सर आपके केसों का वही गवाह होता था इसीलिए पधान बना रहता था।
हमने अपने पधानों को बस पधान ही देखा मसलन पूर्णकालिक राजनीति के इतर उन्होंने कोई दूसरा काम नहीं किया। हमने उन्हें कभी कोई दूकान चलाते नहीं देखा, ठेकेदारी या जमीनों की दलाली, शराब की तस्करी, लीसे – लकड़ी- पत्थर की चोरी करते भी नहीं देखा। यह अतिश्योक्ति नहीं होगी अगर कहूं कि अक्सर उन्हें गांव में कोई खण्डजा बनाते भी नहीं देखा। यह और बात है कि उन गांवों में उनके कार्यकाल में कभी कोई खण्डजा हुआ ही नहीं, रोड़ तो दूर की बात है।
लेकिन खुशी की बात यह थी कि आपको पता होता था और आपका एक नेता होता था। आप उसे कोसते थे, सबक सिखाते थे और इन सबके लिए वही जिम्मेवार होता था।
अब जमाना बदल गया है अलग अलग स्तरों से आपका वह नेता चला गया है। आज नेता के नाम पर आपके पास एक सर्वमान्य फुल टाइम नेता नहीं है। फिर क्या है !
चुहे जैसा कुतरता किसी पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता है! आज आपका नेता है!
या पन्द्रह साल सेना में रहा कभी कटे में तक बराण्डी नहीं पूछी, आज हमें देशभक्ति का वास्ता है!
थोड़ी थोड़ी मदद को बयाने में बदल सरका दी आपकी जमीन आज नेता है!
तस्कर है!
मुस्टंडा है!
किटिकन ठेकेदार आज आपका नेता है!
कैरम में जैसे फंसा दी हो गोट,
ताश में खुला हो नया जोकर आज आपका नेता है।
बिका है!
बिकने को तैयार बैठा है आज आपका नेता है !
एक पद है उसमें प्रत्याक्षी की भरमार है, लड़ने वालों की कमी नहीं है! अलग अलग चुनावों में आपके पास किस्म किस्म का प्रत्याशी है ! और हर हार जीत के बाद उसे अपने पूराने धन्धे में लौट जाना है।
विडंबना कहो यह है कि अब आपके पास एक टाइम पास नेता है, कोई पूर्णकालिक नेता नहीं है।