केशव भट्ट
हिमालय के चितेरे फोटोग्राफर और गंगोत्री के प्रमुख संत स्वामी सुन्दरानंद ने 95 वर्ष की आयु में अपना देह त्याग दिया है. आंध्रप्रदेश के अनंतपुरम जिले में 1926 में जन्मे 95 वर्षीय स्वामी सुंदरानंद वर्ष 1948 में पहली बार गंगोत्री आए थे. गोमुख की भव्य दिव्यता से अभिभूत होकर उन्होंने स्वामी तपोवन महाराज के साथ ही गंगोत्री में रहने का निर्णय लिया. तपोवन बाबा के सानिध्य में रहने के बाद उन्होंने संन्यास ले लिया.
पहाड़ों के प्रति उनका बचपन से ही आकर्षण था. उन्होंने अपना पहला कैमरा लेने के साथ ही नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से पर्वतारोहण का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया. करीब सात दशक तक हिमालय क्षेत्र का भ्रमण कर उन्होंने ढ़ाई लाख से ज्यादा तस्वीरें खींची. उन्होंने अमेरिका व यूरोप के कई देशों में अपनी तस्वीरों की अद्भुत प्रदर्शनी भी लगाई. सितंबर 2019 में उन्होंने गंगोत्री में ‘तपोवनम् हिरण्यगर्भ कलादीर्घा’ आर्ट गैलरी का निर्माण कराया. जहां अधिकांश फ़ोटो गंगोत्री में स्थित उनकी इस आर्ट गैलरी में प्रदर्शित हैं.
गंगोत्री धाम में तपस्या करते वक्त उन्हें स्वामी तपोवन के ज्ञान और आध्यात्म को आत्मसात करने का मौका मिला. आध्यात्म के क्षेत्र में उनके दिखाए गए रास्ते का परिणाम रहा है कि उन्होंने लगभग पूरा हिमालय घूम लिया और देश के 25 नामचीन पर्वतों का आरोहण कर वहां से दुर्लभ फोटो अपने कैमरे में कैद किए.
वर्ष 2002 में उन्होंने अपने अनुभवों को एक पुस्तक ‘हिमालय : थ्रू ए लेंस ऑफ ए साधु’ में प्रकाशित किया जिका विमोचन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था.इस बीच वो अस्वस्थ रहे और देहरादून में ही अपने मित्र के वहां रह रहे थे. देर सायं कुछ बातें करने के बाद वो निष्प्राण हो लिए. अब तपोवन कुटिया के पास उनकी समाधि बनायी जाएगी.
वर्ष 1948 में जब वो गोमुख ग्लेशियर पहुंचे तो उन्हें वो बहुत भव्य व विशाल मिला लेकिन धीरे—धीरे ग्लेशियर भी उनकी उम्र की तरह सिकुड़ते चला गया है. एक संत द्वारा अपनी खींची तस्वीरों के जरिए गंगा व हिमालय के संरक्षण करने का जो प्रयास किया गया उस पर सायद ही कोई हिमालय और गंगा के प्रति गंभीरता दिखाएगा