इन्द्रेश मैखुरी
गढ़वाली में लोग कहते ही हैं कि गिच्चा बुबौ क्या जाणू यानि कहने में मुंह के बाप का क्या जाता है !
लेकिन जो कुछ भी बोल दे,जो मुंह में आये वो बक दे,ऐसा बकैत मुख्यमंत्री हो जाए या मुख्यमंत्री हो कर बकैती करने लगे तो राज्य का बंटाधार तय है. हालांकि जो बकैती में कुछ कम थे,उन्होंने राज्य का बंटाधार करने में अपनी भूमिका अदा करने में कोई कमी कसर तो नहीं छोड़ी ! आप जब बकैती नहीं भी कर रहे होते हैं,तब भी राज्य के प्रति अपने बंटाधार दायित्व का तो बखूबी निर्वहन कर ही रहे होते हैं!
हालांकि आप उसी पार्टी में हैं, जिसके एक केंद्रीय मंत्री का दावा है कि गाय उत्पादन की फैक्ट्री लगाएंगे ! पर मच्छर आप पैदा नहीं करते, ठीक है.लेकिन मच्छरों और उनके जनित रोगों पर रोक का इंतजाम करना सरकार का काम है. कम से कम आज तक तो हम यही जानते-समझते रहे.मुख्यमंत्री जी आपके मुखारविंद से झरे फूलों से हम जान सके कि चूंकि मच्छर आपके यहां नहीं पैदा होते तो उनके उन्मूलन की जिम्मेदारी भी आप नहीं लेंगे ! पर प्रश्न यह है मुख्यमंत्री जी कि आप किस बात की जिम्मेदारी लेंगे ?डेंगू उन्मूलन का उपाय करना आपकी जिम्मेदारी नहीं है, अस्पतालों में डॉक्टर और स्कूलों में शिक्षक उपलब्ध करवाना आपकी जिम्मेदारी नहीं है !पहाड़ी में खाली होते गांव और बंजर होते खेतों के प्रति भी आपकी कोई जिम्मेदारी प्रतीत नहीं होती मुख्यमंत्री जी क्योंकि वहां भी यही (कु)तर्क लागू होगा कि न गांव आपने खाली किये और न खेत आपने बंजर किये !
तो मुख्यमंत्री जी आपकी जिम्मेदारी सिर्फ जमीन बेचने का प्रबंध करना,पूर्व मुख्यमंत्रियों का लाखों का किराया माफ करना है? शराब वालों के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जा कर पैरवी करना,क्या यही उस पद और गोपनीयता की शपथ का निर्वहन है, जो गद्दी पर बैठते हुए आपने ली थी ?
इतनी बड़ी सत्ता यदि मच्छर जनित रोग का उन्मूलन का उपाय भी नहीं कर सकती तो राज्य को उस सत्ता को क्यों ढोते रहना चाहिए? मुख्यमंत्री जी,उत्तराखंड राज्य भी आपने तो बनाया नहीं था तो इस राज्य की गद्दी पर बैठने की जिम्मेदारी भी आप और आप जैसे लोग क्यों लेते हैं ? इस राज्य के हित में यही बेहतर है कि आप और आप जैसे तमाम लोग राज्य की सत्ता की जिम्मेदारी का तुरंत त्याग कर दें.