विनीता यशस्वी
अब तो समाचार की होली ‘नैनीताल समाचार’ के नये ऑफिस में होने लगी है, पर पहले समाचार के पटांगण में होली होती थी और क्या रंग जमता था! वे सभी रंग जमाने वाले जी रौं लाख सौ बरीस। जब रंग जमना शुरू होता तो सिर्फ पटांगण ही नहीं भरता था, बल्कि सेवॉय होटल की सीढ़ियाँ, अशोक होटल को जाने वाला रास्ता, और तो और हल्द्वानी रोड में तक लोगों का मजमा लग जाता था। मजमा लगा कर समाचार की होली को यादगार बनाने वाले वे सभी होलियार जी रौं लाख सौ बरीस। तब मथुरा, लखनऊ और न जाने कहाँ-कहाँ से कलाकार आकर होली की महफिल सजाते थे। महफिल सजाने वाले वे सारे कलाकार जी रौं लाख सौ बरीस। भाँग घोटने के लिये उन दिनों स्पेशलिस्ट के रूप में आने वाले पंडित तारादत्त कांडपाल जी रौं लाख सौ बरीस। एक बार एक अमेरिकन रिसर्च स्कॉलर भी होली को आनंद लेने समाचार आयी और कांडपाल जी के हाथ की बनी भाँग पीकर गद्गद् हो गयी। भांग पीकर नशे में टिल्ल होने वाली उस रिसर्च स्कॉलर जैसे तमाम भाँग के रसिया जी रौं लाख सौ बरीस। समाचार की होली बैठकों के लिये हर साल चटपटे आलू और चटनी बनाने वाले अशोक होटल के सारे कर्मचारी जी रौं लाख सौ बरीस। ‘नैनीताल समाचार’ की होली में राजीव लोचन साह, गिरीश तिवाड़ी ‘गिर्दा’ और शेर सिंह बिष्ट ‘शेरदा’ समेत अनेक लोगों के स्वांग लिखने वाले हेमन्त बिष्ट और प्रदीप पाण्डे समेत स्वांग करने वाले सारे कलाकार जी रौं लाख सौ बरीस। अपना खुद का स्वांग देखकर ‘ये तो मेरे लिये किसी बड़े पुरस्कार मिलने जैसा है’ कहने वाले राजीव लोचन साह जी रौं लाख सौ बरीस। एक बार की होली में हल्द्वानी से कपिल जी आये और उन्होंने जिस मजाकिया अंदाज में नृत्य करते हुए लोगों को हंसाया, उन कपिल जी की स्मृति जी रौं लाख सौ बरीस। होली बैठकों में अक्सर नाच करने वाले बल्दियाखान के भट्ट जी जैसे तमाम होलियारों की यादें जी रौं लाख सौ बरीस। समाचार की होली में बरसों बरस मेहमानों के नखरे उठाने वाले महेश जोशी जी रौं लाख सौ बरीस। इस बार तो नैनीताल की जनता बारिश के लिये टकटकी लगाये है, मगर तब अक्सर पटांगण की होली के दौरान वर्षा या बर्फ पड़ ही जाती थी और सारा ताम-झाम सार कर सेवॉय होटल के हॉल में होली जमानी पड़ती थी। बारिश के लिये टकटकी लगाये सारी जनता जी रौं लाख सौ बरीस। होली की आशीष देने के बाद होली का जूलूस निकालने वाले सारे होल्यार और रिक्शे में माइक और हारमोनियम को सारने वाले रिक्शाचालक जी रौं लाख सौ बरीस। समाचार के पटांगण की होली परम्परा को मजबूत आधार देने वाले गिरदा, के.के. साह जी, विश्वम्भर नाथ साह ‘सखा’ की स्मृतियाँ जी रौं लाख सौ बरीस। अपने स्वर्गीय पिताओं की परम्परा को जीवित रखने के लिये हर साल भवाली से पहुँचने वाले नन्द किशोर भगत के पुत्र संजीव भगत और हल्द्वानी से पहुँचने वाले आनन्द बल्लभ उप्रेती के पुत्रद्वय पंकज उप्रेती और धीरज उप्रेती जी रौं लाख सौ बरीस। इस बार के होली अंक के लिये सामग्री जुटाने वाली उमा भटट् जी रौं लाख सौ बरीस। समाचार के अंकों को पाठकों तक पहुंचाने वाले कंचन कुरिया, श्याम लाल और प्रताप सिह खाती जी रौं लाख सौ बरीस। समाचार के साथ डट के खड़े रहने वाले हरीश पंत, पवन राकेश, गोविन्द पंत ‘राजू’, शेखर पाठक, नवीन जोशी, विनोद पाण्डे, जहूर आलम, अरुण रौतेला, विनीत फुलारा, नवीन बेगाना, पेमा गेकिल सिथर, चन्द्रशेखर तिवारी, अरुण कुकसाल, उमेश तिवारी विश्वास, दीप पंत, अजय तिवारी, प्रमोद साह, बसन्ती पाठक, शीला रजवार, माया चिलवाल, रेवती बिष्ट, हिमांशु जोशी और नवीन कफल्टिया जी रौं लाख सौ बरीस। नैनीताल समाचार के सारे पाठक जी रौं लाख सौ बरीस। समाचार के लिये लिखने वाले हमारे सभी लेखक जी रौं लाख सौ बरीस। कभी-कभार, भूले-भटके विज्ञापन दे देने वाले विज्ञापनदाता और खास-खास अवसरों पर सरकारी विज्ञापन दे देने वाला सरकारी विभाग भी जी रौं लाख सौ बरीस। अंक न मिलने की शिकायतों के बावजूद भी पोस्ट ऑफिस के समस्त कर्मचारी जी रौं लाख सौ बरीस और समय पर अखबार छाप के भेज देने वाले इथॉस प्रेस, हल्द्वानी के सारे कर्मचारी जी रौं लाख सौ बरीस। भंग की तरंग में जिनके नाम छूट गये या भूले गये उन सब से माफी और वो सब भी जी रौं लाख सौ बरीस।
One Comment
विजया सती
वाह क्या खूब आशीष !