राजीव लोचन साह
गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा तथा दिल्ली नगर निगम के साथ मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र व कुछ अन्य विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव सम्पन्न हो गये हैं। परिणाम आ गये हैं और सरकार बनने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। गुजरात विधानसभा के चुनाव में तो भारतीय जनता पार्टी ने चमत्कार कर दिखाया। इतनी सीटें वहाँ आज तक कोई राजनैतिक दल नहीं ले पाया था। राजनीतिक विश्लेषकों को गुजरात में भाजपा की जीत की उम्मीद तो थी, मगर वह 156 सीटें प्राप्त कर वहाँ इतिहास रच देगी, ऐसी कल्पना किसी को नहीं थी। उसके सबसे नजदीक खड़े कांग्रेस और आप के दर्जनों प्रत्याशी तो अपनी जमानत तक नहीं बचा सके। तुलनात्मक रूप से अन्य स्थानों पर भाजपा का प्रदर्शन लचर ही रहा। हिमाचल प्रदेश में वह कांग्रेस से पिट गई तो दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में आम आदमी पार्टी से। इन दोनों स्थानों पर अब तक उसकी सरकारें थीं। इन परिणामों से साबित होता है कि मोदी के चमत्कारिक व्यक्तित्व की चमक धुँधलाने लगी है और देश भर में भाजपा के खिलाफ एंटी इन्कमबेंसी बढ़ रही है। नरेन्द्र मोदी और अमित शाह का गुजराती होना वहाँ के विधानसभा चुनाव में भाजपा के बहुत काम आया। मोदी तो अपने भाषणों में बार-बार अपने को गुजराती अस्मिता से जोड़ते रहे। मगर मेहनत तो भाजपा नेताओं ने सभी जगह की थी। पैसा भी उन्होंने हर जगह पानी की तरह बहाया, क्योंकि तथ्य बतलाते हैं कि सबसे ज्यादा धन इस समय भाजपा के ही पास है। चुनाव आयोग सरकार के पूरी तरह अधीन है, यह तो रामपुर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में सरकारी-भाजपायी गुण्डागर्दी के वायरल वीडियोज से साबित होता है। ये वीडियो वीभत्स और चिन्ताजनक हैं। मगर चुनाव आयोग ने उस घटना को पूरी तरह अनदेखा किया। उसने अन्यत्र भी पक्षधरता नहीं बरती, ऐसा तो नहीं है। मगर इसके बावजूद विपक्षी दल अन्यत्र अच्छा प्रदर्शन कर गये।