प्रयाग पाण्डे
वीरान जंगल को विश्व के ख्यात हिल स्टेशन में तबदील करने वाली नैनीताल नगर पालिका परिषद का गौरवशाली एवं स्वर्णिम अतीत रहा है। नैनीताल की नगर पालिका को नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेज की सबसे पुरानी नगर पालिकाओं में शुमार किया जाता है। इस नगर पालिका का 180 वर्ष पुराना इतिहास बेहद उतार- चढ़ाव भरा रहा है।
शाहजहांपुर के शराब कारोबारी पीटर बैरन के नैनीताल नामक एक अज्ञात स्थान पर आने के करीब एक वर्ष बाद ही यहाँ बसावट प्रारंभ हो गई थी। 1845 के शुरुआत तक नैनीताल में दर्जन भर अंग्रेजों ने बंगले बना लिए थे, इनमें कुमाऊँ के तत्कालीन कमिश्नर जी. टी. लुशिंगटन का बंगला भी शामिल था।
नैनीताल की बसावट की शुरुआत के डेढ़ वर्ष के भीतर ही अंग्रेजों को इस वीरान जंगल को सर्व सुविधा संपन्न एक सुव्यवस्थित नगर के रूप में विकसित करने के लिए म्युनिसिपल कमेटी जैसी संस्था के गठन की आवश्यकता महसूस होने लगी थी। अप्रैल, 1845 को कुमाऊँ के तत्कालीन कमिश्नर जी टी लुशिंगटन, मेजर जनरल सर डब्ल्यू. रिचर्ड्स, मेजर एच. एच. अरनॉड, पीटर बैरन, डब्ल्यू. पी. वॉग, एच. विल्सन, लेफ्टिनेंट क्लिफोर्ड और जे. एच. बेटन ने बैठक की। उक्त आठ लोगों की इस बैठक में नैनीताल में म्युनिसिपल कमेटी के गठन का निर्णय लिया गया। मेजर जनरल सर डब्ल्यू. रिचर्ड्स को प्रस्तावित म्युनिसिपल कमेटी का चेयरमैन, तत्कालीन कुमाऊँ कमिश्नर जी.टी. लुशिंगटन, मेजर एच. एच. अरनॉड, पीटर बैरन एवं डब्ल्यू. पी. वॉग को सदस्य बनाया गया। इन्हीं को प्रस्तावित म्युनिसिपल कमेटी की उपविधियाँ बनाने का दायित्व सौंपा गया। कुछ ही दिनों में एक्ट-x ऑफ 1842 के अंतर्गत म्युनिसिपल कमेटी की उपविधियाँ बना ली गईं। आठ मई, 1845 की बैठक में प्रस्तावित म्युनिसिपल कमेटी की उपविधियों के प्रारूप को स्वीकार कर लिया गया। सात जून 1845 को प्रस्तावित म्युनिसिपल कमेटी की उपविधियों को स्वीकृति के लिए गर्वमेंट को भेज दिया गया। मेजर जनरल सर डब्ल्यू. रिचर्ड्स के बाद तत्कालीन कुमाऊँ कमिश्नर जी. टी. लुशिंगटन म्युनिसिपल कमेटी के चेयरमैन बने।
चूंकि म्युनिसिपल एक्ट -x ऑफ 1842 बंगाल प्रांत के लिए बना था, इसलिए इस प्रस्ताव को स्वीकृति नहीं मिल पाई। 1850 में ब्रिटिश सरकार ने म्युनिसिपल एक्ट-xxvi बनाया, इस एक्ट के प्रभावी होते ही 3 अक्टूबर, 1850 को नैनीताल म्युनिसिपल कमेटी को वैधानिक रूप से अधिसूचित कर दिया गया था। हालांकि 1845 में बनी म्युनिसिपल कमेटी काम करती रही।
1850 में म्युनिसिपल कमेटी के विधिवत अधिसूचित हो जाने के बाद कुमाऊँ के वरिष्ठ सहायक कमिश्नर को म्युनिसिपल कमेटी का पदेन चेयरमैन और कुमाऊँ के सहायक कमिश्नर को पदेन उपाध्यक्ष बनाया गया। जिला अभियंता को सदस्य मनोनीत किया गया। तब म्युनिसिपल कमेटी के सभी सदस्य मनोनीत होते थे।
15 अक्टूबर, 1891 को नैनीताल जिला अस्तित्व में आया। प्रारंभिक दौर में कुमाऊँ के वरिष्ठ सहायक कमिश्नर को जिले का प्रमुख बनाया गया। कालांतर में डिप्टी कमिश्नर का पद सृजित हुआ। डिप्टी कमिश्नर को जिले की कमान सौंपी गई। डिप्टी कमिश्नर को म्युनिसिपल कमेटी का आधिकारिक चेयरमैन भी बना दिया गया। उपाध्यक्ष कुमाऊँ के सहायक कमिश्नर ही रहे। सितंबर 1920 में प्रसिद्ध शिकारी और शिकार कथाओं के सिद्धहस्त लेखक जेम्स एडवर्ड कॉर्बेट यानी जिम कॉर्बेट म्युनिसिपल कमेटी नैनीताल के पहले गैर आधिकारिक उपाध्यक्ष बने।
1932 से पूर्व म्युनिसिपल कमेटी के त्रिवार्षिक चुनाव होते थे। 1932 में नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेज सरकार ने नगर पालिका अधिनियम में संशोधन कर नैनीताल और मसूरी नगर पालिका का कार्यकाल तीन वर्ष से बढ़ाकर चार साल कर दिया था।
म्युनिसिपल कमेटी में प्रशासनिक चेयरमैन की यह व्यवस्था 88 वर्षों तक चली। 1933 में नैनीताल के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर एल. ओवेन नैनीताल म्युनिसिपल कमेटी के आखिरी प्रशासनिक चेयरमैन रहे। 1845 से 1933 के दौरान 35 अंग्रेज आईसीएस अधिकारियों ने नैनीताल नगर पालिका के चेयरमैन पद का दायित्व निभाया। इन 88 वर्षों के दरम्यान आधिकारिक चेयरमैनों का औसत कार्यकाल करीब ढाई वर्ष रहा। 20 मार्च, 1934 को आर. सी. बुशर म्युनिसिपल कमेटी, नैनीताल के पहले गैर आधिकारिक चेयरमैन बने।
13 अक्टूबर, 1941 को रायबहादुर जसोद सिंह बिष्ट नगर पालिका, नैनीताल के पहले भारतीय चेयरमैन बने। वे 30 नवंबर, 1953 तक चेयरमैन रहे।1 दिसंबर अक्टूबर, 1953 को रायबहादुर मनोहर लाल साह सीधे जनता द्वारा चुने गए पहले लोकप्रिय चेयरमैन निर्वाचित हुए। उन्होंने 30 दिसंबर, 1964 तक नगर को शानदार एवं अविस्मरणीय नेतृत्व प्रदान किया। 1964 में एडवोकेट बालकृष्ण सनवाल चेयरमैन बने। उन्होंने 6 अगस्त, 1971 तक नैनीताल नगर का प्रतिनिधित्व किया। 7 अगस्त, 1971 को एडवोकेट किशन सिंह तड़ागी नैनीताल नगर पालिका के अध्यक्ष बने। उन्होंने 1977 तक अध्यक्ष पद को सुशोभित किया। 12 अगस्त,1977 को राज्य सरकार ने संपूर्ण उत्तर प्रदेश की नगर पालिकाओं को भंग कर दिया। सरकार के इस अलोकतांत्रिक निर्णय के बाद अधिकार संपन्न स्थानीय निकायों के दुर्दिन प्रारंभ हो गए।
दिसंबर, 1988 को सुप्रसिद्ध अधिवक्ता रामसिंह रावत नगर पालिका के चेयरमैन निर्वाचित हुए। श्री रावत सीधे जनता द्वारा चुने गए दूसरे चेयरमैन थे। कालांतर में नगर पालिका के अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता द्वारा होने लगा। 21 जनवरी, 1994 को नगर पालिका को पुनः प्रशासनिक नियंत्रण में दे दिया गया। मार्च, 1997 को एडवोकेट संजय कुमार ‘संजू’ चेयरमैन निर्वाचित हुए। फरवरी, 2002 में नैनीताल की वर्तमान विधायक सरिता आर्या नगर पालिका, नैनीताल की पहली महिला चेयरमैन निर्वाचित हुईं। मई, 2008 में मुकेश जोशी ‘मंटू’ नगर पालिका के अध्यक्ष चुने गए। 2013 में श्याम नारायण नगर पालिका के अध्यक्ष बने। 2018 में पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सचिन नेगी चेयरमैन निर्वाचित हुए।
आगामी 23 जनवरी को नैनीताल नगर पालिका परिषद के बारहवें भारतीय चेयरमैन का चुनाव होने जा रहा है। सत्ता और प्रशासनिक शक्तियों के केन्द्रीयकरण के चलते नख-दंत विहीन कर दी गई नगर पालिका में अपना सियासी वर्चस्व स्थापित करने के लिए सभी सियासी दल आतुर हैं लेकिन ‘स्थानीय सरकार’ को अधिकार संपन्न करने की बात करने को कोई राजी नहीं है।