राजीव लोचन साह
होली का मौसम है। होली रंगों का त्यौहार तो है ही, इसके साथ गीत-संगीत भी जुड़ा हुआ है। हमारे कुमाऊँ में तो होली में संगीत और नृत्य पक्ष ही ज्यादा मजबूत दिखाई देता है। इसके साथ ही आते हैं स्वांग और ठेटर। बाकी अराजकता तो होली का अविभाज्य अंग है ही। अब होली में भी अनुशासन से बँधे रहे, अराजक न हो सके तो कैसी होली ? तो होली के इस मौसम में अगर पूरे राजनीतिक परिदृश्य में भी स्वांग, होली ठेटर और अराजकता दिखाई दे रही हो तो स्वाभाविक ही है। बल्कि यह तो आज की राजनीति का स्थायी भाव जैसा हो गया है। स्वांग रचाने में तो हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर मोदी जी अव्वल हैं ही। जितने किस्म के परिधान उन्होंने इन पिछले दस वर्षों में धारण किये, वह एक तरह का विश्व रिकॉर्ड होगा। ऊपर से लाखों रुपये कीमत के गॉगल्स, फाउण्टेन पेन और घड़ियाँ। भारत छोड़िये, दुनिया में शायद ही किसी नेता को इतने किस्म के परिधान पहनने का सौभाग्य मिला होगा। इन विभिन्न परिधानों में उनके चित्रों की एक कॉफी टेबल बुक छपवा कर पाँच सितारा होटलों और एयरलाइंसेज में रखवा दिया जाये तो यह पर्यटन के विकास के लिये भी अच्छा रहेगा। उत्तराखंड के लिये मोदी जी का विशेष लगाव है ही। इसीलिये उन्होंने मसूरी की ‘सोहम’ संस्था की डिजाइन की हुई टोपी को अन्तर्राष्ट्रीय पहचान दिला दी है। सिर्फ परिधान ही नहीं, अपने व्यवहार से भी प्रधानमंत्री जी देशवासियों को गद्गद करते रहते हैं। वह मोर के साथ खेलना हो, हाथी की सवारी हो, मन्दिरों में साक्षात दण्डवत् करना हो या समुद्र में स्कूबा डाइविंग करना, हर तरह से लोगों के दिलों में छाये रहते हैं। यहाँ तक कि जब वे किसी पुण्यभूमि में गंभीर होकर ध्यानावस्थित होते हैं तो ‘कल्याण’ के पुराने अंकों में छपे ऋषि-मुनियों के चित्र याद आ जाते हैं। उस वक्त उनके आसपास पेशेवर फोटोग्राफरों की एक टीम के अतिरिक्त कोई नहीं फटकता। कोई ताज्जुब नहीं कि विधाता ने उन्हें छप्पर फाड़ कर दिया है। इससे पहले रबर के चाभी भरने वाले गुड्डे की तरह चलने और जनता के सामने हाथ हिलाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह द्वारा पैदा की गई बोरडम को अपनी रंगीन मिजाजी से मोदी जी ने पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है। दस वर्ष तो उन्होंने सफलतापूर्वक शासन करते हुए निकाल ही दिये, अब उनके आगे के पाँच वर्ष भी निष्कंटक ही दिखाई दे रहे हैं।
मोदी के बरक्स राहुल गांधी का ठेटर ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के रूप में चल रहा है। उनकी कोशिश है कि मोदी जी को इस बार सत्ता से बाहर कर ही दिया जाये। मगर एक सफेद टी शर्ट पहन कर वे मोदी जी की रंगीनी का मुकाबला कर सकते हैं भला ? वह भी बेरोजगार, निकम्मे लौंडे-लफाड़ों की भीड़ जुटा कर! मोदी जी की बदौलत चुनाव के लिये जितना पैसा आया है, उसे गिनने के लिये स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने तक सर्वोच्च न्यायालय से तीन महीने का वक्त माँगा था, भले अदालत ने वक्त देने से इन्कार कर दिया। अब राहुल गांधी उनका क्या बिगाड़े लेंगे ? अपनी पार्टी छोड़ कर भागने वाले नेताओं की भगदड़ तो रोक नहीं पा रहे हैं! मोदी जी के पास गोदी मीडिया है, ई.डी. है, सी.बी.आई. है, इन्कम टैक्स है, सी.ए.ए. है…….और भी जाने क्या-क्या है। इंडिया गठबंधन के ठन ठन गोपालों के पास क्या है ?
बहरहाल, होली है, फागुन की हवा है, मस्ती है, राजनीति है, चुनाव है। चुनाव हैं तो ठेटर चलेगा ही। क्योंकि उसमें नरेन्द्र मोदी या राहुल गांधी ही नहीं, नीतिश कुमार, तेजस्वी यादव, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, अमित शाह, स्मृति ईरानी, अनिल मसीह, अरुण गोयल जैसे सैकड़ों किरदार हैं, जो होली को रंगीन बनाये हुए हैं। कहीं काँवड़ ले जा रहे श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाये जा रहे हैं तो कहीं सजदे में झुके लोगों के पिछवाड़े लात लगायी जा रही है। होली है…..होली की मस्ती है।
फोटो इंटरनेट से साभार