हम माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर नाराज़गी और निराशा व्यक्त करते हैं, जो मानवाधिकार कार्यकर्ता एडवोकेट प्रशांत भूषण को दो ट्वीट्स के संबंध में अदालत ने दोषी नहीं होने पर दोषी करार दिया है। यह हमारी राय में उचित नहीं है।
हस्ताक्षर 3000 नागरिकों सहित जिनमें:-
1-न्यायाधीश रूमा पाल, भूतपूर्व न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय, भारत।
2-न्यायाधीश सुदर्शन रेड्डी, भूतपूर्व न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय, भारत।
3- न्यायाधीश जी.एस.गोस्वामी. भूतपूर्व न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय, भारत।
4- न्यायाधीश आफताब आलम, भूतपूर्व न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय, भारत।
5. न्यायाधीश मदन बी लोकुर, भूतपूर्व न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय भारत।
6. न्यायाधीश गोपाला गौडा, भूतपूर्व न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय भारत।
7. न्यायाधीश ए. पी. शाह, भूतपूर्व न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय भारत।
8. न्यायाधीश एन. के. सोढ़ी, भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश, केरल एवं कर्नाटक उच्च न्यायालय।
9. न्यायाधीश अंजना प्रकाश, भूतपूर्व न्यायाधीश उच्च न्यायालय पटना।
10. न्यायाधीश चंद्रू, भूतपूर्व न्यायाधीश उच्च न्यायालय मद्रास।
11. न्यायाधीश कानन, भूतपूर्व न्यायाधीश उच्च न्यायालय पंजाब और हरियाणा।
12. न्यायाधीश वी. एस. देवे, भूतपूर्व न्यायाधीश उच्च न्यायालय राजस्थान।
हस्ताक्षर करने वालों में इन न्यायविदों के अतिरिक्त 2 पूर्व नौ सेना अध्यक्ष और सेकड़ों सेवा निवर्त्त आई. ए. एस. अधिकारी और प्रोफ़ेसर शामिल हैं।