आशुतोष उपाध्याय
आज जब हमारी शिक्षा/सामाजिक वातावरण हमें अपने परिवेश की ख़ोजबीन से दूर करने पर आमादा हैं, पक्षियों पर एक ताज़ा और अनूठी क़िताब ठहरकर देखने का आमंत्रण देती है. उत्तराखंड के पक्षियों पर लिखी गयी यह क़िताब उन सब के लिए बेहद ज़रूरी है जो शिक्षा को आनंद का अटूट अंग मानते हैं. आज जब ‘करियर’ बनाना और कमाना ही शिक्षा का लक्ष्य बना दिया गया है, हम अपने आसपास को, अपने परिवेश को और उसमें बसने वाले जीव-जंतुओं को लगभग भूल ही गए हैं. विद्यार्थियों के बीच अपने समय की बेहद लोकप्रिय शिक्षिका द्वारा लिखी गयी यह पुस्तक पक्षी दर्शन के बहाने पाठक के मन में अपने परिवेश से जुड़ने की चाहत जगाती है.
‘उत्तराखंड के पक्षी’ नाम की यह क़िताब श्रीमती अनील बिष्ट और सुश्री बेला नेगी ने लिखी है. अनील बिष्ट अंग्रेजी की सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर हैं, जबकि बेला नेगी फ़िल्मकार व लेखिका हैं. बेला लीफ़बर्ड फाउंडेशन नामक उस संस्था की संस्थापक भी हैं, जिसने इस पुस्तक को प्रकाशित किया है. मूलतः अंग्रेज़ी में लिखी गयी इस पुस्तक को हिंदी में भी साथ-साथ प्रकाशित किया गया है. विशेषज्ञता के क्षेत्रों में गहन शोध व अध्यवसाय से लिखने की परम्परा हिंदी में बेहद क्षीण है. ऐसे में उत्तराखंड के पक्षियों पर इस पुस्तक का छपना एक बड़ी उपलब्धि माना जाना चाहिए. अपने विषय की हिंदी में संभवतः पहली क़िताब है. आर्ट पेपर पर रंगीन चित्रों के साथ छपी इस पुस्तक के हिंदी संस्करण का मूल्य भी लागत की तुलना में काफ़ी कम रखा गया है.
उत्तराखंड में पाए जाने वाले 450 से अधिक पक्षियों का यथासंभव पर्याप्त विवरण देने वाली यह पुस्तक विद्यार्थियों के अलावा आम पाठकों, पक्षी प्रेमियों और पहाड़ों में फिरने की चाहत रखने वाले पर्यटकों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है. ख़ास तौर पर एडवेंचर टूरिज़्म और होम स्टे से आजीविका कमाने वालों ने इस पुस्तक को एक गाइड बुक के बतौर अपने पास ज़रूर रखना चाहिए.
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उत्तराखंड के पक्षी
लेखक: अनील बिष्ट एवं बेला नेगी
प्रकाशक: लीफ़बर्ड फाउंडेशन
मूल्य: 399 रु.