राजीव लोचन साह
चुनाव आयोग द्वारा पाँच राज्यों, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधान सभा चुनावों की तिथियाँ घोषित कर दी गई हैं और तीन दिसम्बर को चुनाव परिणाम भी आ जायेंगे। वैसे तो हर चुनाव महत्वपूर्ण होता है, किन्तु ये चुनाव विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। चूँकि लगभग छः महीने बाद लोकसभा चुनाव होने हैं, अतः इन चुनावों को लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल भी कहा जा रहा है। सन् 2024 के लोकसभा चुनाव यह तय करेंगे कि आगामी वर्षों में देश की सरकार 1950 से लागू भारतीय संविधान के प्रति प्रतिश्रुत रहेगी अथवा भारत एक हिन्दू राष्ट्र में तब्दील हो जायेगा, जिसमें हिन्दुओं के अलावा मुसलमान, ईसाई, सिख, जैन, पारसी आदि अन्य धर्मावलम्बी दोयम दर्जे के नागरिक हो जायेंगे। यह भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जो भाजपा के लिये वैचारिक आधार तय करता है, का घोषित लक्ष्य है। भाजपा और संघ इस बात को कभी खुल कर तो कभी अस्पष्ट ढंग से कहते रहते हैं। वे इसके लिये जमीन तैयार करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में जो तथाकथित लव जिहाद, लैण्ड जिहाद और गो तस्करों की भीड़ द्वारा हत्या की घटनायें हो रही हैं, वह संघ और भाजपा के इसी लक्ष्य तक पहुँचने की कोशिशें हैं, जिन्हें केन्द्र तथा भाजपा शासित राज्य सरकारों का समर्थन प्राप्त होता है। इस तरह से 2024 के लोकसभा चुनाव मौजूदा संविधान के प्रति एक तरह का जनमत संग्रह (रेफरेंडम) भी होंगे। अन्तिम चुनाव पूर्ण सर्वेक्षणों में दो राज्यों, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़, में कांग्रेस की सरकार बनने का अनुमान लगाया गया है। राजस्थान में भाजपा की बढ़त दिखाई गई है तो तेलंगाना में कांग्रेस और इस वक्त वहाँ शासन कर रही भारत राष्ट्र समिति के बीच टक्कर दिखाई गई है। मिजोरम में राष्ट्रीय दलों की कोई उपथिति नहीं है, अतः हो सकता है वहाँ भाजपा अपनी गठबंधन सरकार बना ले। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे सर्वेक्षण कमोबेश सही ही साबित हुए हैं। अतः परिणाम ऐसे भी रहे तो वर्ष 3024 के लिये कोई संकेत छोड़ेगे ही।