बंदी-छंटनी का दौर देश के पूरे ऑटोमोबाइल क्षेत्र में है जारी, गुड़गांव क्षेत्र में मारूति सुजुकी ने 3,000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है तो हीरो मोटोकॉर्प ने 4 दिनों के लिए उत्पादन किया बंद, वहीं चेन्नई के ऑटो इंडस्ट्री में तकरीबन 5000 ठेका और ट्रेनी मज़दूरों की कर दी गई है छंटनी…
जनज्वार डैस्क
पूरे देश में ऑटोमोबाइल सेक्टर में ले-ऑफ, बंदी, तालाबंदी, छँटनी का जो दौर चल रहा है, उसी क्रम में टाटा मोटर्स लिमिटेड पंतनगर प्लांट में भी ब्लॉक क्लोजर (ले-ऑफ जैसा, जो केवल टाटा में काम बंदी के लिए अपनी मर्जी का क़ानून है, जिसमें स्थाई श्रमिकों की अपनी छुट्टी जाती है) के तहत 11 से 20 अगस्त तक प्लांट बंद हो गया। टाटा से जुड़ी सभी वेंडर कंपनियां भी बंद हैं। इससे बड़े पैमाने पर अस्थाई- ठेका, ट्रेनी मजदूर प्रभावित हुए हैं।
यह हाल केवल पंतनगर प्लांट का नहीं है, बल्कि टाटा के जमशेदपुर से लेकर पुणे तक सभी प्लांटों का है, जहाँ ब्लॉक क्लोजर के तहत प्लांट और वेंडर कंपनियां बंदी का शिकार हैं।
बंदी-छंटनी का यह दौर देश के पूरे ऑटोमोबाइल क्षेत्र में जारी है। गुड़गांव क्षेत्र में मारूति सुजुकी ने 3,000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है तो हीरो मोटोकॉर्प ने 4 दिनों के लिए उत्पादन बंद किया।
ऑटोमोबाइल सेक्टर में आई इस भयंकर मंदी पर उत्तराखण्ड में काम कर रहे मजदूर नेता मुकुल कहते हैं, ‘मोदी दौर की बड़ी उपलब्धि का ये ताजा उदाहरण है। कश्मीर से अयोध्या तक, 370 से राम मंदिर तक के खेल के शोर में खड़ी एक सच्चाई है, जिसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा।’
मारुति सुजुकी ने पिछले सात महीनों में काफी प्रोडक्शन घटाया है, जिसका सीधा असर मजदूरों के रोजगार पर पड़ा है। जुलाई में मारुति सुजुकी पैसेंजर कारों की बिक्री में 36.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। इसका असर यह रहा कि जुलााई में ही अशोक लेलैंड ने उत्तराखंड के पंतनगर के प्लांट में अपना प्रोडक्शन नौ दिनों के लिए बंद कर दिया था। यह मंदी का ही असर है कि हर साल 1.5 लाख यूनिट का प्रोडक्शन करने वाले पंतनगर प्लांट में 17 जून से 29 जून के बीच सात दिनों के लिए काम बंद रखा गया।
दक्षिण भारत के ऑटो सेक्टर में काम करने वाले मज़दूरों को भी छंटनी का शिकार होना पड़ा है। एक अनुमान के मुताबिक चेन्नई के ऑटो इंडस्ट्री हब में 5000 ठेका मज़दूरों और ट्रेनी मज़दूरों की छंटनी कर दी गई है।
गौरतलब है कि पिछले जनवरी से लेकर मई माह तक यात्री वाहनों की बिक्री में पिछले वर्ष के मुकाबले में 8.9 प्रतिशत व दोपहिया वाहनों की बिक्री में 11.3 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी है। 35 हजार करोड़ रुपए मूल्य के 5 लाख यात्री वाहन व 17500 करोड़ रुपए के 30 लाख दो पहिया वाहन, खरीददारों के इंतजार में बाजार की धूल फांक रहे हैं। सरकार द्वारा इनकी बिक्री बढ़ाने के लिए की गयी ब्याज दरों में कटौती भी ग्राहकों को आकर्षित नहीं कर पा रही है।
सोसायटी आफ इंडियन आटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर के अनुसार मई 2019 में मई 2018 के मुकाबले यात्री वाहनों की बिक्री में पिछले 18 वर्षों की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गयी है। मई 2018 में 301238 यात्री वाहनों की बिक्री हुयी थी, जोकि मई 2019 में 20.55 प्रतिशत घटकर 239347 रह गई। वहीं कॉमर्शियल वाहनों में 10.02 प्रतिशत, तिपहिया में 5.76 की कमी दर्ज की गयी। दो पहिया वाहनों की बिक्री पिछली मई 2018 में 1850698 के मुकाबले 8.62 प्रतिशत घटकर 1726206 ही रह गयी है।
हिन्दी वैब पत्रिका ‘जनज्वार’ से साभार