डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड राज्य आंदोलन के प्रमुख नेताओं में शामिल और आंदोलन की आग से निकली पार्टी उत्तराखंड क्रांति दल के त्रिवेंद्र सिंह पंवार की ऋषिकेश में एक सड़क हादसे में निधन हो गया है। यह हादसा देर रात एस समय हुआ जब वो एक रिसाॅर्ट में शादी समारोह में शामिल होने के लिये आये थे। उनकी गाड़ी समेत कुछ अन्य गाड़ियों को एक ट्रक ने टक्क्र मार दी। उक्रांद के कद्दावर नेता त्रिवेन्द्र सिंह पंवार सहित आज के सड़क हादसे में तीन लोगों का आकस्मिक निधन हो गया है। पंवार को घायल अवस्था में एम्स लाया गया, जहां अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
आपको बता दे कि उत्तराखंड की राजनीति में त्रिवेंद्र सिंह पवार की शख्सियत काफी अहम मानी जाती थी और आंदोलनकारी में उनकी एक खास पहचान और सम्मान था देश की संसद में दो युवकों के कूदने की घटना सुर्खियों में है। हालांकि अभी तक इन युवकों और पकड़े गए अन्य साथियों की मांग और मकसद साफ नहीं हो सकी है। ऐसे में विरोध के इस तरीके को सही नहीं कहा जा सकता। लेकिन इस घटना ने उत्तराखंड आंदोलन की एक अहम घटना की याद जरूर दिलाई है। जब यूकेडी के युवा नेता त्रिवेंद्र सिंह पंवार ने संसद भवन की दर्शक दीर्घा से नारेबाजी करते हुए सदन में पर्चे फेंके थे। ऐसा करके उन्होंने भारत सरकार समेत देश और दुनिया की मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था। इस घटना से उत्तराखंड में आंदोलन को भी तेजी मिली और तभी से अलग राज्य बनने का माहौल और तेजी के साथ शुरू हो गया। लेकिन अफसोस है कि उत्तराखंड आंदोलन के तमाम दस्तावेजों में यह घटना शामिल नहीं की गई। इस घटना को याद करते हुए पंवार कहते हैं कि यह घटना 23 अप्रैल 1987 की थी। तब मैं 32 साल का युवा था और यूकेडी का केंद्रीय उपाध्यक्ष था। दिल्ली में संसद भवन पहुंचा और पास हासिल कर सुबह ही दर्शक दीर्घा में जाकर बैठ गया, मेरे हाथ में उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर लिखे पर्चों का बंडल था। दोपहर से कुछ पहले सदन की कार्यवाही चल रही थी तो नारेबाजी करते हुए करीब 35-40 पर्चे सदन में फेंक दिये। इससे वहां अफरा तफरी मच गई। ड्यूटी पर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने मुझे गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद यह खबर पूरे देश में आग की तरह फैल गयी।
सरकार से सदन में पंवार के पर्चे उछालने के मुद्दे पर सवाल पूछे गए। पंवार ने बताया कि इस कदम को उठाने की प्रेरणा उन्हें सरदार भगत सिंह से मिली थी। वे शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात देश की लोकसभा में बैठे सांसदों और तत्कालीन कांग्रेस सरकार तक पहुंचाना चाहते थे। हमारा मानना था कि उत्तराखंड का जनमानस लगातार अलग राज्य की मांग कर रहा था, उत्तर प्रदेश के साथ रह कर इस पहाड़ी क्षेत्र का विकास नहीं हो पा रहा था, लेकिन सरकार की कान में जूं तक नहीं रेंग रही थी। ऐसे में उन्होंने राज्य के लोगों की बात को वहां तक पहुंचाने के लिए ये खतरनाक कदम उठाया। तब करीब 15 मिनट के लिए सदन की करवाई रोक दी गयी थी।
अपने इस दुस्साहस भरे कदम को लेकर पंवार कहते हैं- मैं जानता था कि इसके परिणाम बेहद खतरनाक हो सकते हैं। लेकिन अलग राज्य बनाने के जूनून ने उन्हें यह शांतिपूर्ण कदम उठाने के लिए मजबूर किया। खुफिया एजेंसियों से पूछताछ में मैंने सब कुछ बता दिया। घटना के 24 घंटे के अंदर उनकी पूरी जानकारी जुटा ली गयी। इसके बाद उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया, जहाँ से 48 घंटे के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। इन 48 घंटों में सुरक्षा कर्मियों और खुफिया अफसरों ने पेशेवर तरीके से उन्हें टॉर्चर किया। लेकिन वे अपनी बात पर अडिग रहे। पंवार बताते हैं कि इस घटना को सुरक्षा में चूक मानते हुए संसद भवन की सुरक्षा में लगाए करीब 70 से 80 कर्मियों और अफसरों को सस्पेंड कर दिया गया था।
उत्तराखंड आंदोलन एक जनांदोलन था और इससे लाखों लोग जुड़े थे जिसका मकसद साफ था कि हमें अलग उत्तराखंड राज्य चाहिए। रोजगार के मुद्दे पर भी उन्होंने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि साल दर साल बेरोजगारों की फौज बढ़ती जा रही है। इसके सापेक्ष सरकार के पास इन बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए कोई नीति ही नहीं है। उत्तराखंड की जनता ने जिस मकसद को लेकर उत्तराखंड राज्य की लड़ाई लड़कर इस राज्य को हासिल किया, उस अवधारणा को पिछले 24 सालों में उत्तराखंड में सत्ता पर बैठने वाली ने कुचलने का प्रयास किया और जनता की आवाज को दबाने का काम किया. उन्होंने कहा कि आज उत्तराखंड में लोगों को शिक्षा और चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. बेरोजगारी और पलायन तेजी से बढ़ रहा है. ग्रामीणों की फसलें भी लगातार जंगली जानवर चैपट कर रहे हैं.
उक्रांद नेता सनी भट्ट के मुताबिक एम्स पहुंचे तो उन्हें जानकारी हुई पंवार जी का निधन हो गया है। उक्रांद को उनके निधन से काफी नुक्सान हुआ है। ईश्वर से प्रार्थना है कि पुण्यात्मा को श्रीचरणों में स्थान एवं शोक संतप्त परिजनों, समर्थकों को यह असीम कष्ट सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
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