बी. के जोशी
हाल ही में सुरजीत किशोर दास के निधन से हम सब आहत हैं । सच्चे अर्थो में हमने विलक्षण और मानवीय गुणों से परिपूर्ण एक बेहतरीन सज्जन व्यक्ति को खो दिया है। एक सुखद व मैत्रीपूर्ण व्यक्तित्व के धनी होने साथ ही वह गहन विद्वता और उत्कृष्ट कलात्मक संवेदनशीलता के दुर्लभ संमिश्रण थे। उनके संपर्क में आने वाले सभी लोग उन्हें एक सच्चे पूुनर्जागरण व्यक्ति के रूप में स्वीकार करते थे।
वर्ष 2000 में नवसृजित राज्य के अस्तित्व में आने से पूर्व उत्तर्रदेश तथा उसके बाद उतराखंड में उन्होंने प्रशासक के तौर पर अपनी सेवाएं दीं। इसमें अल्मोड़ा और देहरादून के कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट के रूप में उनका कार्यकाल बेहद सफल रहा। अपनी कुशल प्रशासनिक योग्यता के बल पर ही वह उत्तराखंड में मुख्य सचिव के सर्वोच्च प्रशासनिक पद तक पहुँचे।
दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के लिए वह सिर्फ इसकी गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष तक सामित नहीं थे, अपितु इस संस्था के प्रबल पक्षधर होने के साथ ही वह बौद्धिक सलाह व मार्गदर्शन के अजर स्रोत भी थे। हमारे साथ उनका जुड़ाव उस दिन से ही हो गया था जब 8 दिसंबर, 2005 को तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री एन.डी. तिवारी द्वारा परेड ग्राउंड के पुराने अस्थायी परिसर में इस पुस्तकालय का उदघाटन किया था। उनका यह गहन जुड़ाव हमारे साथ निरन्तर उनके निधन तक बना रहा।
उनके नेक सलाह, मार्गदर्शन और समर्थन को पाने के लिए हम स्वयं को अब बहत असहाय पा रहे हैं। दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के अतिरिक्त वह देहरादून शहर में स्थित दविजेन सेन मेमोरियल कला केंद्र व रीच जैसे कुछ अन्य सांस्कृतिक संस्थाओं के भी संरक्षक और मार्गदर्शक रहे।
जीवन के विभिन्न पड़ावों में उनके साथ रहे मित्रों और प्रशंसकों की व्यापक मंडली उन्हें आज भी आदर और प्रेमपूर्वक याद करती है। श्रद्धांजलि के तौर पर उनकी स्मृति को चिरस्थायी बनाये रखने के लिए दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की योजना है कि उनके व्यक्तित्व व योगदान के विभिन्न पक्षों पर उनके मित्रजनों तथा प्रशंसकों के अनुभवों को शामिल करते हुए एक पुस्तक प्रकाशित की जाय। इस प्रस्तावित पुस्तक में श्री सुरजीत किशोर दास से जुड़ी स्मृतियों, बातचीत के साथ-साथ कला, संस्कृति, साहित्य तथा इस क्षेत्र में काम कर रही संस्थाओं के निर्माण और देखरेख में उनकी भूमिका पर आधारित लघु आलेख शामिल किये जायेंगे।
श्री सुरजीत दास के साथ लंबे समय से जुड़े रहे उन सभी मित्रजनों से हमारा अनुरोध है कृपया वह उनके जीवन के किसी भी पक्ष पर, व्यक्तिगत स्मृतियों अथवा उनसे की गई बातचीत पर केन्द्रित आलेख भेजकर अपना सहयोग प्रदान कर सरके तो हम आभारी रहेगें। कृपया दिसंबर 2023 के अंत तक अपना आलेख भेज दें तो हमें अत्यंत सुविधा रहेगी।