नारायण सिंह जंतवाल
17 फरवरी 2022 की सुबह नवीन चन्द्रसाहजी के दिवंगत होने की खबर से नैनीताल में वातावरण शोकाकुल हो गया। बरेली से उनका पार्थिव शरीर लगभग 3 बजे उनके मल्लीताल स्थित आवास ब्लायथकाटेज पहुँचा, सायं बड़ी संख्या में नैनीताल के लोगों ने, जिसमें हर तबके के लोग सम्मिलित रहे उन्हें भारीमन से अन्तिम विदाई दी और पाइन्स स्थित घाट में उनका पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया।
यह भी एक संयोग ही रहा जब नैनीताल में पढ़ने आया तो हम भाई लोग उनके पड़ोस में लम्बे समय तक रहे। उनको पहली बार नेकर व बंडी में मोहल्ले में सफाई करते हुए देखा, किसी ने बताया कि ये शिक्षा विभाग के अधिकारी हैं, उनका ये अभियान जीवन पर्यन्त चलता रहा। उनके सरल व स्नेहपूर्ण व्यवहार के चलते एसा आत्मीय रिश्ता बना जो सदैव बना रहा।
साहजी स्वयं में एक संस्था ही थे। उनसे सीखने के लिए उनके पास अथाह भण्डार था। उनका जीवन अत्यंत अनुशासित था। समय के पाबंद रहे। साफ सफाई व चीजों को एकदम व्यवस्थित रखते थे। जो भी कार्य हाथ में लेते उसकी स्पष्ट रूप रेखा बनाते जिसमें छोटी से छोटी चीज का भी ध्यान रखते जो कार्य जिस समय होना है उसे समय से पूरा करवाते, कल के लिए किसी कार्य को नहीं टालते थे।
आत्मविश्वास व सकारात्मक से परिपूर्ण थे, इसीलिए अपने सेवाकाल में (उत्तर प्रदेश) भी बडे़ कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न कराने सके। विभाग में उनका बहुत सम्मान था, उनकी सेवानिवृत्ति के समय लखनऊ निदेशालय में उन्हें विशेष रूप से समारोह आयोजित कर विदाई दी गई, जो एकदम लीक से हटकर था। उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के साथ उनके बेहतर सम्बन्ध बने रहे। जहाँ लोगों की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहते, वहीं अपने सिद्धांतों के चलते नेताओं मंन्त्रीयो नेताओं व अधिकारियों से भी जूझते रहे।
सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, स्पोर्ट्स सहित विभिन्न सस्थाओं को स्थापित करने व सुदृढ़ करने में भी अत्यंत सक्रिय रहे। उनके पिता जी से जो सीख उन्हें मिली थी कि तुम्हारी पे मास्टर साधारण जनता है, उसे सदैव सम्मान सहित बिठाना व समस्या का समाधान कर देना, का उन्होंने सदैव पालन किया, अन्य से भी यही अपेक्षा करते थे।
हमारे दल(यू.के डी) से जुड़े तो सदैव जुड़े ही रहे, नैनीताल नगर के लगभग 23 वर्ष तक अध्यक्ष रहे, तथा दल की सर्वोच्च सलाहकार समिति के भी सदस्य लम्बे समय तक रहे, उनकी बातों को हमेशा गम्भीरता से सुना जाता था। नैनीताल में दल की उपलब्धियों व दल की छवि को बनाने में उनकी विशेष प्ररेणा रही। वे सभी के लिए अभिभावक होने के साथ ही मित्र भी थे, उनकी सभी age group के साथियों से खूब छनती थी.
वे बहुत जिंदादिल इन्सान थे, जीवन का पूरा लुत्फ़ उठाते थे, 19 दिसम्बर को राम सेवक सभा मल्लीताल ने पौष के पहले इतवार को होली का आयोजन किया था, वे इसमें सदैव भागीदारी करते रहे, इस वर्ष उनके हाथ में भी चोट थी, बहुत तकलीफ के बाद भी कार्यक्रम में आये और अन्त तक बने रहे. उन्होंने कहा कि जिन्दगी को एन्जॉय करो पता नहीं कौन सा कार्यक्रम अन्तिम हो. यही कार्यक्रम उनका अन्तिम सार्वजनिक कार्यक्रम रहा, जिसमें वे मुख्यअतिथि थे.
उनके अनन्त यात्रा में प्रयाण कर जाने से हमने सार्वजनिक क्षेत्र में अपना सच्चा अभिभावक खो दिया है. हम नैनीतालवासी उनके महान योगदान के लिए कृतज्ञतापूर्वक विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उनकी पावन आत्मा को चिर शान्ति प्रदान करैं परिजनों व सभी मित्रों को इस कठिन समय में सम्बल प्रदान करे।