विवेकानंद माथने
किसानों की आय दुगनी करने के लिये वचनबद्ध होने का दावा सरकार भले ही करती हो लेकिन सरकार ने उसके लिये बजट में बढोतरी करने के बजाय कटौती की है। फसलों को उचित दाम देने और उसके माध्यम से किसान की आय बढ़ाने के लिये जरुरी है कि सरकार सभी कृषि फसलों की खरीद करे या फिर उसे होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिये अंतरराशि देने का प्रावधान करे या फिर किसानों के लिये किसान सम्मान योजना में बढोतरी करे। इसके लिये बजट में प्रावधान करना जरुरी था।
लेकिन बजट में इसके लिये कोई प्रावधान नही किया गया बल्कि कृषि बजट में कटौती की गयी है। वर्ष 2020 में कृषि योजनाओं पर 1.16 लाख करोड रुपयों का प्रावधान किया गया था वही इस वर्ष 2021 में इन्ही योजनाओं के लिये 1.05 लाख करोड रुपयों का प्रावधान कर लगभग 11471 करोड रुपयों की कटौती की गई है।
जहां 60 प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर है, उस देश में कुल 34.83 लाख करोड रुपयों के बजट में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय का बजट मात्र 1.31 लाख करोड रुपये है। जो कुल बजट राशि के मात्र 3.78 प्रतिशत है। इसमें प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के लिये 65 हजार करोड रुपये और अन्य केंद्रिय योजनाओं के लिये 40 हजार करोड मिलाकर केंद्रिय योजनाओं पर केवल 1.05 लाख करोड रुपयों का प्रावधान किया गया है। जो कुल बजट राशि के मात्र 3.0 प्रतिशत है। यह राशि 14.62 करोड़ किसानों के लिये बांटने पर प्रति किसान वार्षिक केवल 7183 रु आती है। उसमें भी इन योजनाओं का लाभ किसानों को कम बैंक और इंश्योरेंस कंपनियों को ज्यादा मिलता है। इतनी कम राशि खर्च कर किसान की आमदनी दुगनी कैसे की जा सकती है यह तो सरकार ही बता सकती है।
किसान सम्मान योजना में किसान परिवार को प्रतिमाह 500 रुपये देने के लिये 65 हजार करोड रुपये, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिये 16000 करोड रुपये, किसानों को अल्पावधि ऋण ब्याज सब्सिडी के लिये 19468 करोड रुपये, प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण योजना के लिये 500 करोड रुपये और अन्य मिलाकर कुल मात्र 1.05 लाख करोड रुपये आवंटित किये गये है। किसान सन्मान योजना की राशि के अतिरिक्त विविध योजनाओं के लिये मात्र 40 हजार करोड रुपये रखे गये है। किसान की आय दोगुनी करने के लिये कोई प्रावधान नही किया गया।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों को नही बल्कि बीमा कंपनियों को लाभ पहुंचा रही है। किसानों को अल्पावधि ऋण के लिये ब्याज सब्सिडी योजना में बैंक अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिये आवंटित राशि का किसानों से ज्यादा गैर किसानों के लिये उपयोग करती पाई गई है। किसान को फसलों के दाम के लिये बाजार भरोसे छोड़ दिया गया है। फसलों को एमएसपी की गारंटी देने के लिये कोई प्रावधान नही है।
तीनों किसान विरोधी कानून रद्द करने और एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिये पूरा देश आंदोलित है। लाखों किसान दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे है। किसान संगठनों के साथ 11 दौर की बातचीत में सरकार ने एमएसपी जारी रखने के लिये लिखित आश्वासन देने की बात बार-बार दोहराई है। लेकीन सरकार ने एमएसपी पर खरीद के लिये बजट में ना कोई प्रावधान नही किया और न ही किसान सम्मान निधि बढ़ाई। इसका मतलब साफ है कि सरकार किसानों को झूठा आश्वासन देकर धोका देना चाहती है।
किसानों की आर्थिक स्थिति आत्यंतिक दयनीय है। जीने के लिये अपर्याप्त आय से पैदा हुये तनाव के कारण हर साल हजारों किसान आत्महत्या कर रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद सरकार द्वारा किसान की मासिक आय में बढोतरी करने के लिये झूठे वादों के अलावा बजट 2021 में कोई प्रावधान नहीं किया गया।
किसानों के लिये यह बजट अन्यायपूर्ण है। जो किसानों की दुर्दशा, आत्महत्याओं और आर्थिक विषमता को बढ़ाने वाला साबित होगा। सरकार खेती को घाटे का सौदा बनाये रखना चाहती है ताकि किसान खेती छोड़ने के लिये मजबूर हो जाये और उसे इन्फ्रास्ट्रक्चर और कारपोरेट खेती के लिये कारपोरेट्स को खेती बेचने के लिये मजबूर किया जा सके।
यह बजट और उसकी दिशा किसान को खेती छोडने के लिये मजबूर करने की दिशा में बढ़ाया गया कदम है। सरकार की नीति किसान को खेती छोडने के लिये मजबूर करना है ताकि रिअल इस्टेट, औद्योगिक गलियारे, व्यापारिक गलियारे, रेल गलियारे, सडकमार्ग, जलमार्ग और पोर्ट के निर्माण, इंफ्रास्ट्रक्चर और कारपोरेट खेती के लिये किसानों से उनकी जमीन और प्राकृतिक संसाधन छीनना आसान हो सके।
इस बजट से यह स्पष्ट है कि सरकार किसानों को खेती से बाहर कर खेती को कारपोरेट के हवाले करना चाहती है। भारतीय कृषि को बहुराष्ट्रीय कंपनियों को सौपना चाहती है। किसानों की आमदनी दुगनी करने के लिये खेती से किसानों की संख्या कम करने के दिशा में सरकार काम कर रही है। कृषि प्रधान देश की अर्थव्यवस्था के लिये यह अत्यंत घातक कदम है।
‘भारत सरकार का कुल बजट’
34.83 लाख करोड रुपये
‘कृषि और संबद्ध कार्यकलाप’
1.31 लाख करोड रुपये
कुल बजट का 3.78%
‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’
65000 करोड रुपये
‘अन्य कृषि योजनाओं पर खर्च’
40 हजार करोड रुपये
कुल बजट का 1.15%
‘योजनाओं पर कुल खर्च’
65000 +40000 = 1.05
1.05 लाख करोड रुपये।
3.0 %