संजीव भगत
वाहनों की भीड़, धार्मिक उन्माद और पर्यटन ने मिलकर उत्तराखण्ड में एक ऐसा त्रासदी वाला माहौल बन गया है जो न तो व्यापारियों को रास आ रहा है न सरकार को। नैनीताल जिले सहित पूरे उत्तराखंड की यातायात व्यवस्था का कचूमर बन गया है। सरकार के पास श्रद्धालु व पर्यटकों को सुविधापूर्ण यात्रा कराने की कोई स्पष्ट व आसान नीति नहीं है। कम पर्यटकों व बेतहाशा गाड़ियों को देखकर सरकार खुद अचकचा गयी है। प्रशासन सुबह एक सड़क खोलता है शाम को दूसरा रास्ता दिखाने लगता है। पूरा सरकारी तंत्र अजीब उधेड़बुन में फंसा है। पर्यटक प्रदेश का नारा देने वाली सरकार पर्यटक एंवम धार्मिक स्थलों पर न तो उचित पार्किंग की व्यवस्था कर पा रही है न शौचालय व सफाई की। यातायात व्यवस्था तो धड़ाम है ही।
नैनीताल, मसूरी, ऋषिकेश, चारधाम व कैंची धाम में अव्यवस्थित यातायात व्यवस्था व रोज नये—नये प्रयोग, ट्रैफिक डायवर्जन से स्थानीय लोग, व्यापारी और पर्यटक सब बेहाल हैं।
नैनीताल शहर में पार्किंग और लेक ब्रिज चुंगी में बेतहाशा वृद्धि को लेकर घमासान मचा है। खुर्पाताल और बल्दियाखान में गाडियां रोके जाने से व्यापारियों और होटल कारोबारियों में नाराज़गी है। वहीं कैची मंदिर जाने वाले श्रद्घालुओं को भीमताल में ही रोक कर वहां से शटल टैक्सी से भेजने के कारण भीमताल से कैंची धाम तक 17 किलोमीटर के दायरे में फड़-खोखे, रेस्टोरेंट व होटल वालों का कारोबार चौपट हो गया है। कैंची-खैरना के आसपास के ढाबे, रेस्टोरेंट व छोटी मोटी दुकानदारी करने वाले व्यापारियों का कारोबार भी जाम व ट्रैफिक डायवर्जन के कारण ठप्प हो रहा है। नैनीताल, भवाली, भीमताल, ज्योलीकोट, खैरना, गरमपानी के स्थानीय निवासी, छात्र भी परेशान हैं । वे अपने कार्यालय, स्कूल समय पर नहीं पहुँच पा रहे हैं। भूखे-प्यासे बच्चे समय पर घर वापस नहीं आ पा रहे हैं। नैनीताल में बाहरी टैक्सियों को न घुसने देने की सरकारी योजना से टैक्सी आपरेटर भी आक्रोश में हैं।
उत्तराखंड का पर्यटक सीजन यहां के लोगों की रोजी-रोटी का सबसे मुख्य साधन है। लाखों लोग इस व्यवसाय से सीधे जुड़े हैं। अप्रशिक्षित पुलिस कर्मी पर्यटकों को गलत रास्ते में भेजकर उनकी पूरी यात्रा को बर्बाद कर रहे हैं। पर्यटक यहां कभी वापस न आने की कसम खाकर वापस लौट रहे हैं। शासन के इशारे पर गूगल देवता भी पर्यटक को भ्रमित कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि सरकारी अमला पर्यटकों को रोकने-भगाने व स्थानीय लोगों के रोजगार को छीनने के पूरे इंतजाम में लगा है।
एक तरफ पर्यटन से रोजगार व दूसरी तरफ पर्यटकों के आवागमन में बाधा, उत्तराखंड को पीछे ही ले जायेगें। सरकार बहादुर सामने आइये, कुछ ठोस काम कीजिए। फटाफट पार्किंग बनवाइये। आधे—अधूरे बाईपास और सड़कों को जल्दी पूरा कीजिए। पर्यटकों के लिए शौचालय सहित प्राथमिक सुविधायें मुहय्या करवाये। पर्यटकों के लिए जगह-जगह होटल /होमस्टे आनलाईन बुकिंग के लिए सुविधासंपन्न हेल्प सेन्टर बनवाये। ये हैल्प सेन्टर पर्यटकों को ऐसे वैकल्पिक मार्ग व नये कम भीडभाड वाले पर्यटक स्थल बताये कि उनकी यात्रा सुगम व आनंदमय हो।