सी.एम.पपनै
नई दिल्ली। स्वाधीनता सेनानी शुभकरण चूड़ीवाला की याद मे, देश का विशिष्ट ‘तिलका मांझी’ राष्ट्रीय सम्मान 2021 का आयोजन, 28 नवम्बर, गांधी शांति प्रतिष्ठान नई दिल्ली में, स्पेशल कवरेज न्यूज की नवी वर्षगांठ पर, अंग मदद फाउन्डेशन भागलपुर (बिहार) द्वारा, समाजसेवी सविता चड्ढा की अध्यक्षता मे, भव्य समारोह आयोजित कर, देश-विदेश की अठ्ठाइस हस्तियों को, मुख्य अतिथि, सु-प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक, राधा भट्ट तथा राज्यसभा सांसद व बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम के कर कमलो प्रदान किया गया।
विभिन्न विधाओ, देश-विदेश मे, नि:स्वार्थ भाव, लम्बे समय से उत्कृष्ठ कार्य कर रहे, प्रतिष्ठित लोगों मे, स्टाकहोम स्वीडन मे, भारतीय मूल की मानवाधिकार अधिवक्ता पारुल शर्मा, पूर्णिया (बिहार) के जिलाधिकारी (आईएएस) राहुल कुमार (पुस्तकालय अभियान), एसडीएम बिजनोर (उप्र) मांगेराम चौहान (पर्यावरण), छत्तीसगढ़ बस्तर के कृषक डाॅ राजाराम त्रिपाठी (कृषि एव साहित्य), उत्तराखंड की कुसुम भट्ट (साहित्य व समाज सेवा) तथा उत्तराखंडी कला और संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के क्षेत्र मे, विगत पांच दशको से क्रमश: कार्य कर रहे रानीखेत (अल्मोड़ा) के मूल निवासी, वर्तमान, दिल्ली मे प्रवासरत चंद्र मोहन पपनैं को देश का प्रतिष्ठित ‘तिलका मांझी’ राष्ट्रीय सम्मान के तहत शाल ओढा कर, स्मृति चिन्ह व प्रशस्ति पत्र, खचाखच भरे सभागार में, मुख्य अतिथियों द्वारा, तालियों की गडगड़ाहट के मध्य प्रदान कर सम्मानित किया गया।
अंग मदद फाउंडेशन सचिव वंदना झा द्वारा अवगत कराया गया, वर्ष 2021 का यह विशिष्ट राष्ट्रीय सम्मान, बिहार राज्य के सात, दिल्ली के पांच, उत्तर प्रदेश के चार, गुजरात व उत्तराखंड से दो-दो तथा राजस्थान, पंजाब, त्रिपुरा और छत्तीसगढ़ राज्यो से एक-एक लब्ध प्रतिष्ठित व्यक्ति का चयन, देश के ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ पत्रकार शिवकुमार मिश्रा की अध्यक्षता मे गठित, सम्मानित जूरी सदस्यों, अंग फाउंडेशन अध्यक्ष प्रसून लतांत, पत्रकार अरुण मिश्र, समाज सेविका वंदना झा, प्रख्यात अधिवक्ता और लेखक राजेश तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार कुमार कृष्णन और लेखिका और समाज सेविका हेमलता म्हस्के द्वारा किया गया।
अवगत कराया गया, उत्तराखंड की लोककला, लोक संस्कृति, बोली-भाषा व पर्यावरण के संरक्षण व संवर्धन के क्षेत्र मे अतुलनीय कार्य करने। उक्त विषयों पर एक दर्जन से अधिक पुस्तके प्रकाशित होने। विविधि विधाओ के विषयों पर, समय समय पर राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओ मे ज्ञान वर्धक लेख व खास खबर व खोज खबर प्रकाशित होने। देश के अनेको प्रतिष्ठित टीवी चैनलो मे उत्तराखंड व देश के ज्वलंत विषयों पर समय-समय पर चर्चा करने। उत्तराखंड की लोकसंस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु भारतीय सांस्कृतिक सम्बंध परिषद, भारत सरकार के सौजन्य से, उत्तराखंड की सु-विख्यात सांस्कृतिक संस्था पर्वतीय कला केन्द्र दिल्ली के दल के साथ, विश्व के अनेक देशों का दौरा करने तथा वर्तमान मे उत्तराखंड की वैश्विक फलक पर ख्याति प्राप्त सांस्कृतिक संस्था, ‘पर्वतीय कला केन्द्र, दिल्ली’ के अध्यक्ष पद पर व प्रिंट मीडिया वेतन आयोग से जुडी फैडरेशन एनएफएनई के राष्ट्रीय महासचिव पद पर पदस्थ होकर, नि:स्वार्थ भाव से कार्य करने की एवज मे उत्तराखंड के चंद्र मोहन पपनैं को ‘तिलका मांझी’ राष्ट्रीय सम्मान 2021 प्रदान किया गया है।
सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि, राज्यसभा सांसद व भाजपा राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम द्वारा, सम्मान प्राप्त सभी प्रतिष्ठित जनो को बधाई देकर व्यक्त किया गया, जिस महापुरुष के नाम पर सम्मान दिया जा रहा है, उनका योगदान बहुत बड़ा रहा है। व्यक्त किया गया, आज सम्मानित हुए लोग भी, अपने-अपने क्षेत्र में बहुत कुछ कर रहे हैं। आयोजकों द्वारा बहुत बड़ा काम किया गया है। वर्तमान पीढी को, स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों की गाथा बतानी होगी। व्यक्त किया गया, कर्म छोटा बड़ा हो सकता है, जाति नहीं। अंग्रेजो ने हिन्दुस्तान की मजबूत संस्कृति पर ही सबसे पहले आक्रमण किया था। व्यक्त किया गया, संघर्ष करने वालों मे शक्ति ज्यादा होती है, तिलका मांझी उसका उदाहरण था। तिलका मांझी की गाथा व विचारों को आगे बढ़ाना होगा, उसका स्मारक बनेगा। स्मृति को संजोया जायेगा।
मुख्य अतिथि, गांधीवादी विचारक राधा भट्ट द्वारा, सम्मान प्राप्त प्रतिष्ठित जनो के प्रति व्यक्त किया गया, आपका सम्मान कर, हम स्वंय सम्मानित हुए हैं। गौरव महसूस कर रहे हैं। मुख्य अतिथि द्वारा व्यक्त किया गया, आयोजक प्रसून लतांत द्वारा एक गुमनाम व्यक्ति को उभारा गया है। तिलका मांझी की स्मृति है, भाव है, जो हमे चैन नहीं लेने नहीं देता है।
व्यक्त किया गया, आदिवासियों मे बहुत सारे लोग हैं, उनके अंदर जो स्परिट रही है, उसे जिंदा करने की जरूरत है। तिलका मांझी को कौन बनाता है, जो शासको के कष्ट झेल कर भी, माफी नहीं मांगता है। व्यक्त किया गया, कई लोग, आदिवासी क्षेत्रों मे कुछ महिलाओ के लिए अप्रचलित कार्यो के लिए कार्य कर रहे हैं। अप्रचलित कार्यो को करने का साहस सबसे बड़ा है। एक स्परिट से समाज बदलता है। सरकारे बदलती हैं। स्परिट नहीं है तो कुछ नहीं हो सकता है। बाहर निकल कर कुछ करने की जरूरत है। आपने जो रास्ता पकड़ा है, कष्ट पूर्ण है। आपके अंदर एक चींगारी होनी चाहिए, आग होनी चाहिए। यह जो आप कर रहे हैं, तिलका मांझी की स्परिट है।
राधा भट्ट द्वारा व्यक्त किया गया, अन्याय को सहन नहीं करना है। गलत हो रहा है, उसका विरोध होना चाहिए। मेरा ठीक हो रहा है, सब ठीक हो रहा है, ऐसा नहीं होना चाहिए। व्यक्त किया गया, आयोजको ने कोशिश की है, उस चिंगारी को जगाने की। उस चिंगारी को जगाओ, जिसे तिलका मांझी ने जगाया था। कई तरह के अन्याय हैं। लोकतंत्र की खूबी है, हम गलत को गलत कह सकते हैं, जो हम गुलामी मे नहीं कर सकते थे। आज कर सकते हैं। प्रतिकार का एक ही तरीका नहीं होता है, अहिंसक प्रतिकार का तरीका, सफल होने वाला है, उसके लिए तीर कमान से भी ज्यादा शक्ति चाहिए।
व्यक्त किया गया, उन साथियों का क्या होगा जो, कई शताब्दियो पहले गुजर चुके हैं। उनका नाम आगे आना चाहिए। चुड़ीवाला जैसे अनेक लोगो के, जिन्होंने अपना जीवन आजादी के लिए लगा दिया था। कुछ नाम होते थे, जो इतिहास व अखबार के पन्नो में आते हैं, कुछ के नहीं आते। उनका भी स्वतंत्रता आंदोलन मे योगदान है।
राधा भट्ट द्वारा व्यक्त किया गया, आदिवासी सेवा के लिए, सूक्ष्मदृष्टि चाहिए, समझ चाहिए। आम दृष्टि से यह कार्य नही हो सकता। आदिवासियो को समझना होगा। आदिवासी हमसे अच्छे हैं। उनका चरित्र, समझ, सोच, संस्कृति सब अव्वल है। हमने पेड, पानी, जंगल, जमीन को पैसा समझा है, आदिवासियो ने नहीं, उन्होंने उसे सम्मान दिया है।
राधा भट्ट द्वारा व्यक्त किया गया, चिपको आंदोलन से जुड़ कर मैंने, जंगलो को जाना है। आदिवासी कहते हैं, धरती हमारी माता है, उसे हम अपने नाम कैसे कर सकते हैं। आदिवासियो पर दृष्टि रखी जाए, विनती है।
सम्मान समारोह का प्रभावशाली मंच संचालन अंग मदद फाउंडेशन अध्यक्ष प्रसून लतांत द्वारा किया गया।