चारु तिवारी ततुक नी लगा उदेख, घुनन मुनई न टेक, जैंता एक दिन तो आलो दिन य दुनि में। उनके गीतों में एक नई सुबह की उम्मीद के साथ निराशा से बाहर निकलने की चेतना है। इतिहास के अनुभवों, वर्तमान के... Read more
अरुण कुकसाल 01. जीवन परिचय ‘गिर्दा’ की पूरी जीवन कहानी यायावरी की है। हवलबाग के पास कोसी नदी के करीब ज्योली गांव में माता श्रीमती जीवन्ती तिवाड़ी और पिता हंसा दत्त तिवाड़ी के घर 10 सितम्बर, 1... Read more
जीवन गहतोड़ी सच मे गिर्दा! तुम्हारी बीडी के धुएँ की कसर ना इस धूल भरी आंधी ने पूरी कर दी! तुमने सच कहा था, बहुत मुश्किल होता है, किताबो में खोना वह ख्वाब ख्वाब देखना, और हकीकत में किसी ख्वा... Read more
मदन मोहन बिजल्वाण गिर्दा को इस असार संसार से गए बारह वर्ष बीत गए, 22 अगस्त 2010 को गिर्दा जनांदोलनों की विरासत हम सबके लिए छोड़कर कभी न लौटने वाले यात्रा में चले गए। इन तेरह वर्षों में हमें... Read more
रेवती बिष्ट उत्तराखंड मेरी मातृभूमि … जैसे अमर गीतों के रचनाकार , गिरीश तिवारी, ‘ गिर्दा’ को समस्त उत्तराखंड वासियों का नमन। हमारा नमन।। कई बार गिर्दा की देह असमर्थ हो जाती... Read more
नवेन्दु मठपाल प्रख्यात जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा की पुण्यतिथि के अवसर पर समीहा व पहरू द्वारा दुदबोलि छींट(मातृभाषा के छींटे) कार्यक्रम आयोजित किया गया। बेबीनार के माध्यम से जूम एप पर हुए इस... Read more
विरेन डंगवाल ने यह आलेख गिर्दा के लिये लिखा था जिसे ‘नैनीताल समाचार’ में प्रकाशित किया गया था। आज गिर्दा की नवीं पुण्य तिथि पर एक बार फिर इस आलेख को नैनीताल समाचार की वैबसाइट में... Read more
24 नवम्बर को वन संरक्षक माथुर के बुलावे पर राजा बहुगुणा, विश्वनाथ पांडे, प्रकाश बुघानी और मैं उनसे मिलने गये। वे एक ईमानदार अधिकारी थे। मगर उन्होंने हमारे सामने प्रस्ताव रखा कि हम नीलामी होन... Read more
वहां एक झील रहती थी उस शहर में, कैलाखान में साह जी के मकान की पहली मंजिल पर। एक गहरी झील थी वह। इतनी, कि डूबते-डूबते भी तल ना मिले। हवा की सिहरन जब गुजरती उस पर से तो झूम उठती थी वह।... Read more