अतुल सती
दो सप्ताह से नीति मलारी सड़क, जो कि देश को चीन सीमा से जोड़ती है बन्द है । तमक नाला के पास पहाड़ी से भूस्खलन हो रहा है और लगातार पत्थर गिर रहे हैं । उस पार 12 – 14 गांव हैं जहां लोगों का सम्पर्क इधर शेष भाग से कट गया है । दो सप्ताह बीतने पर जब सड़क नहीं खुली तो जोशीमठ में इसके विरोध में आंदोलन शुरू हो गया है । उधर गांव में लोग बीमार हो रहे हैं और चिकित्सक और दवा के लिए तड़प रहे हैं । लोगों में डायरिया फैला है ।
आंदोलन के दबाब में कल से हैली सेवा की शुरुआत हुई । छोटे से हैली की क्षमता एक बार मे अधिकतम 5 लोगों को लाने ले जाने की है । 12 14 गांवों के सैकड़ों लोगों के लिए यह मामूली सी राहत है । उस पर तुर्रा यह कि यह सेवा भी भाजपा के स्थानीय नेताओं के रहमो करम पर छोड़ दी गयी है । सुनते हैं वे जिसकी सिफारिश करेंगे वही हवाई सेवा से जा सकेंगे । उन्होंने सिफारिश की अपने जिलाध्यक्ष जी की कि पहले इन्हें घुमा दिया जाय तो अध्यक्ष साब मय परिवार आपदा पर्यटन कर आये । कल हो न हो.. सरकार रहे न रहे । अध्यक्ष जी भाभी जी सहित हेलीकॉप्टर का मजा ले लिए । बीमार बूढ़े तो इंतजार कर ही सकते हैं ।
वैसे हो यह भी सकता था कि पहले दिन दवा डॉक्टर की टीम भेज दी जाती । जिससे वे उन गांव में दवा चिकित्सा राहत कुछ दे आते । किन्तु अध्यक्ष साहब बड़े कि डॉक्टर । अध्यक्ष साहब ने आने जाने में चार लोगों का नुकसान किया । तुर्रा यह कि आज भाजपा का प्रचार चल रहा है कि हैली सेवा तो अध्यक्ष जी के आदेश से ही शुरू हुई । उन्होंने ही उपजिलाधिकारी जी को आदेश किया और ..। अगर सब जिलाध्यक्ष जी हाथ मे था तो साहब दो चार दिन पहले ही आदेश कर देते । पर अगर भाजपा के जिलाध्यक्ष के आदेश से उपजिलाधिकारी व्यवस्था कर सकते हैं ऐसी व्यवस्था हो गयी है आजकल तो विधायक सरकार मंत्री सन्तरी मुख्यमंत्री को फालतू काहे हम झेल रहे हैं ।
सीमांत का यह इलाका लगातार प्राकृतिक आपदा की मार से परेशान है । फरवरी की आपदा के बाद से यह और ज्यादा साफ होना चाहिए था । उसके अनुरूप व्यवस्था को शाशन प्रशाशन को और अधिक संवेदनशील और ततपर होना चाहिए था । किंतु हालात यह हैं कि हफ्तों सड़क बन्द है और कोई सुध नहीं ली जाती । सरकार और उनकी पार्टी ऐसे अवसरों को भी अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति के अवसर में बदलने से नहीं चूकते ।
इधर इसके जवाब में आमरण अनशन शुरू हुआ है । तब भी प्रशाशन का रवैय्या ढीला है । पहले भी सन 2004 – 05 में एक माह तक यह सड़क बन्द रही थी । तब गाड़ी ब्रिज पर सड़क साफ हो गयी थी । तब भी हम लोगों को धरना देना पड़ा । तब जा कर हरकत हुई और फिर हफ्ते भर में सड़क खुल गयी ।
यहां लोगों ने तमक नाले के पास से अपने आप एक वैकल्पिक पैदल मार्ग बनाया है । जिससे वह पैदल रास्ता पर कर लें । ऊपर से लगातार पत्थरों की बरसात हो रही है । जान जोखम में डाल कर लोग इधर उधर आवाजाही कर रहे हैं । सेना का शिनुक हैलीकाप्टर सेना की रसद व अन्य सामग्री ले जा रहा है । बेहतर होता कि इस छुटके हैली के बजाय इस शिनुक कि सेवा ली जाती । जिससे ज्यादा लोगों को इधर लाया जा सकता था । वह वैसे भी इस तरफ खाली ही आता होगा । सड़क फिलहाल जल्द खुलने के आसार कम हैं क्योंकि मौसम खराब है और पत्थर लगातार गिर रहे हैं । इस स्थिति के मद्देनजर राहत के बारे में सोचना चाहिए ।
सरकार जागो इससे पहले कि किसी की जान पर बन आए ।