प्रमोद साह
उत्तर प्रदेश जैसे देश के कतिपय राज्यो में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर बड़े दावे किए जा रहे हैं । जनसंख्या नियंत्रण कानून को समय की मांग बताया जा रहा है ।
यह दावे उस वक्त किए जा रहे हैं. जबकि वैश्विक पटल पर विश्व के 195 देशों की जनसंख्या, उनकी प्रजनन दर तथा भविष्य में जनसंख्या नियंत्रण का विश्व आर्थिकी पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर लैंसेट द्वारा वर्ष 2017 में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की है जिसके निष्कर्षों का संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा भी समर्थन किया गया है ।
इस रिपोर्ट के तथ्य जनसंख्या को लेकर बेहद चौंकाने वाले हैं. आई.एच.एम.ई ( इंसट्यूट फार हेल्थ मेटरिक्स एन्ड इवाल्यूशन) के क्रिस्टोफर मुरी कहते हैं कि 2035 तक प्रजनन दर 2.1 प्रतिशत से काफी कम होने के कारण दुनिया के 23 देशों जिसमें जापान, थाईलैंड, ईटली, स्पेन जैसे देश शामिल हैं जिनकी जनसंख्या आधी हो जाएगी , इन देशों की अर्थव्यवस्था को जनसंख्या की कमी के कारण संकट का सामना करना पड़ेगा ।
लम्बे समय तक अपनी अधिक आबादी के कारण कुख्यात रहे चीन ने जनसंख्या नियंत्रण की अपनी नीति “बच्चा एक ही अच्छा” को तेजी से कम हो रही जवान आबादी के कारण 2015 में छोड़ दिया है ।
1980 से 2010 तक सख्त जनसंख्या नियंत्रण के 30 सालों का चीन द्वारा अपनी आबादी का इस्तेमाल सस्ते श्रम के लिए कर विश्व की अर्थव्यवस्था में कब्जा करने में कामयाबी हासिल की ।
2021 में भारत की आबादी 138 करोड़ तथा चीन की आबादी 141 करोड़ है. जनसंख्या वृद्धि दर के अनुमान से भारत 2027 में चीन को पीछे कर सबसे बड़ी आबादी का देश बन जाएगा ।
जहां तक भारत में खाद्यान्न का प्रश्न है वर्तमान में भारत अपनी आवश्यकता से 25% अधिक खाद्यान्न का उत्पादन कर रहा है इस दृष्टि से जनसंख्या वृद्धि भारत की समस्या नहीं है ।
शोध के अनुसार किसी भी राष्ट्र की जनसंख्या तभी स्थिर रहती है जब वहां प्रजनन दर 2.1 प्रतिशत हो । 2020 तक भारत की प्रजनन दर 2.2 प्रतिशत है लेकिन देश के 10 राज्यों में तथा संपूर्ण शहरी क्षेत्र में भारत में प्रजनन दर 2 प्रतिशत से कम है ।
शहरों में यह प्रजनन दर 1 .7 प्रतिशत ही आंकी गई है ।
कहने का अभिप्राय है कि बगैर जनसंख्या नियंत्रण कानून के ही भारत में कामगार जनसंख्या का संकट निकट भविष्य में जल्दी ही उत्पन्न होने वाला है।
एक युवा राष्ट्र के रूप में (20 से 64 आयुवर्ग ) हमारी आबादी 2017 में 74 करोड़ सर्वाधिक थी उसके बाद इसमें निरन्तर कमी देखी जा रही है ।
यदि भारत के सामाजिक जीवन में कोई बहुत बड़ा बदलाव नहीं आया तो वर्ष 2048 तक हम अपनी जनसंख्या के शीर्ष 160 करोड पर होंगे।
उसके बाद हमारी जनसंख्या तेजी से गिरेगी और वर्ष 2100 में हम मात्र 109 करोड़ रह जाएंगे, और युवा आबादी मात्र 57 करोड रह जाएगी जो कि आज की युवा आबादी 74 करोड का लगभग 25% कम होगी जबकि 2030 के बाद भारतीय युवाओं की पूरे विश्व में मांग तेजी से बड़ने वाली है ।
ऐसे में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लाकर, अपने वैश्विक संसाधनों को कम करना क्या बुद्धिमता पूर्ण निर्णय होगा, यह एक महत्वपूर्ण सवाल है ।
यदि जनसंख्या नियंत्रण कानून को लाने का हमारा आधार सिर्फ धार्मिक है तब भी यह बात आंकड़े साबित नहीं करते। जनसंख्या का संबंध धर्म से अधिक आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति पर निर्भर करता है।
2001 से 2011 तक के आंकड़े बताते हैं कि जहां हिंदू आबादी की वृद्धि दर 19.92 प्रतिशत से घटकर 16.96 अर्थात 3.16 प्रतिशत कम हुई ,वहीं मुस्लिम में यह वृद्धि दर 29.5 से घटकर 24.6 प्रतिशत करीब 5 प्रतिशत कम रही, अर्थात मुस्लिम में कमी का अनुपात ज्यादा रहा.
यहां यह भी उल्लेखनीय है की कमजोर आर्थिक वर्ग के हिंदू धर्मावलंबियों की जनसंख्या वृद्धि की दर मुस्लिम वृद्धि दर से भी अधिक है ।
जनसंख्या वृद्धि का संबंध धर्म से अधिक शैक्षणिक, आर्थिक स्थिति से अधिक है। यदि इसमें सुधार होता है तो जनसंख्या वृद्धि की दर में कमी आती ही है ।
उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर सर्वाधिक चर्चा है वहां 1993 में प्रजनन दर 4.83% थी 2017 में घटकर 2.7 प्रतिशत हुई है और जिसके 2025 तक 2.1 प्रतिशत होने की संभावना है .जिससे यूपी में जनसंख्या स्थिर रहने के आसार है ।
इन परिस्थितियों में राष्ट्रीय स्तर पर जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाए जाने से पहले हमें निश्चित रूप से जनसंख्या की वृद्धि और भविष्य में होने वाले उसके वैश्विक प्रभाव की पड़ताल जरूर करनी चाहिए । जनसंख्या नियंत्रण में किसी प्रकार दंडात्मक प्रावधान बिगड़े लिंगानुपात को और अधिक बिगाड़ देगा । इन महत्वपूर्ण सवालों पर विचार होना ही चाहिए ।
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21वी सदी के समापन पर आंकडों से जनसंख्या नियंत्रण की जो तस्वीर उभर कर आ रही है उसमें भारत 109 करोड़ के साथ सबसे ऊपर रहेगा. उसके बाद सातवें स्थान का नाइजीरिया 21 करोड से 80 करोड़ पहुंच जाएगा। अमेरिका की आबादी लगभग स्थिर रहेगी । दुनिया के आधे देशों की आबादी तेजी से कम होगी..।