पूरन बिष्ट
उत्तराखंड के बजट की खूबियां घर घर पहुंचाने के सरकारी आह्वान के बीच खबर बागेश्वर से आयी है। यहां अपने तीन बच्चों को जहर देकर खुद भी जान दे देने वाली दलित महिला नंदी ने सरकार, विपक्ष समेत तमाम उन लोगों की पोल खोलकर रख दी है, जो खुद को गरीबों का झंडाबरदार होने का दावा करते हैं। सबसे ज्यादा उद्वेलित करने वाली बात यह है कि, पुलिस जब चार लाशों को बरामद करने के लिए घिरौली जोशीगांव में दूसरे के घर में रह रहे भूपाल राम के यहां पहुंची तो घर पर गैस का चूल्हा तो मिला पर न सिलेंडर था, न ही, अनाज का एक दाना। भूपाल राम की तेरह साल की बेटी ने मां के साथ जान देने से पहले छह पेज का सुसाइड नोट लिखा। मासूम अंजलि ने लिखा कि, उसके पिता द्वारा लिए गए कर्ज की वसूली के लिए रोजाना घर पर तकादा करने वाले लोगों और पुलिस से परेशान होकर वह लोग जान दे रहे हैं। अंजलि महज तेरह साल की थी। इस उम्र की बेटियों में जीवन को लेकर बड़ी उमंग में होती हैं, वह ऐसा आत्मघाती कदम यों ही नहीं उठा सकतीं।
भूपाल राम और नंदी की बेटी अंजलि ने सुसाइड नोट में उन लोगों के नाम भी लिखे हैं, जो उसके पिता से कर्ज वसूली के लिए तकादा करने घर पर आते थे। उसने यह भी लिखा कि, पिता की देनदारी से मां परेशान थी, इसलिए वह यह कदम उठा रहे हैं।
देश के बैंकों का अरबों रुपया अपने चहेतों पर लुटा देने की खबरों के बीच मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि, भूपाल राम ने इतने लोगों से कर्ज लिया था कि, उसके पास पैसा लौटाने की हैसियत ही नहीं बची। इसलिए वह कर्जदारों के खौफ से भागता फिरता था। लोगों ने उसका नाम ही फर्जी रख दिया था। कर्ज देने वाले कुछ लोगों ने उसके खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करा दिया था। तब से वह पुलिस की डर से भी भागता फिर रहा था।
सवाल यह उठता है कि, सरकार के बड़े बड़े दावों के
बावजूद उत्तराखंड के दलित और गरीब समाज में लोग भूपाल राम बनने को क्यों मजबूर हैं। ये उनकी फितरत है या मजबूरी। मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है कि, भूपाल राम शातिर नहीं, मजबूर, गरीब और दुनिया से शर्म करने वाला व्यक्ति है। वह ढीठपन के साथ कह सकता था कि, नहीं हैं पैसे, जाओ जो करना है, कर लो। लेकिन वह पैसा वापस नहीं कर पाने की शर्म से छ़ुपा छुपा फिरता है। अब सवाल यह है कि, इन भूपाल रामों का परिवार इस तरह के आत्मघाती कदम न उठाए। इसके लिए जीने की न्यूनतम जरूरतें पूरी करने की गारंटी देने घर घर कौन जाएगा?
आमीन