अतुल सती
घास लाती महिला के साथ छीना झपटी और फिर उसी को अपराधी सिद्ध करने को तमाम षड्यंत्र करती सत्ता प्रशाशन के विरुद्ध जनता में उपजे आक्रोश की अभिव्यक्ति प्रकट हुई ‘हेलंग चलो’ में। 15 तारीख यह को घटना हुई । 16 को वीडियो डाला और 18 तक वायरल हुआ। 20 तारीख को कार्यक्रम तय हुआ और 24 को लोग जुट भी गए। इससे इस सवाल के महत्व का पता चलता है । 22 साल से जल जंगल जमीन के सवालों पर लगातार ठगी जाती जनता का पीछे पलता आक्रोश भी था जो मात्र 4 दिन की तैयारियों में ही इतना बड़ा कार्यक्रम हो गया। पूरे उत्तराखण्ड से लोग अपने संसाधनों से तमाम कष्ट सहते बरसात के ऐसे मौसम में जहां जगह—जगह रास्तों के टूटने के खतरे के बावजूद लोग आए। पोखरी से दो गाड़ियों में लोग रास्ते खराब होने के चलते ही नहीं पहुंच पाए।
प्रशासन की तरफ से तमाम दबाव के बावजूद लोग पहुंचे। रात से प्रधानों को सरपंचों को फोन किये गए। साथियों ने बताया सुब— सुबह हमको पटवारी जी का फोन आया कि नहीं जाना है। तो भी तमाम खतरे उठा कर लोग आए। इसी से समझा जा सकता है कितनी कठिन लड़ाई है। एक गांव के प्रधान व सरपंच सुबह—सुबह ही सभा स्थल पर आए कि हम आपके साथ हैं। अभी थोड़ी देर में आते हैं। गांव की महिलाएं आ रही हैं। उसके बाद नहीं आ पाए उन्हें रोक दिया गया भले ही उनके गांव की महिलाएं पहुंची। महिलाओं की एकजुटता जबरदस्त थी। बहुत कम तैयारियों के बावजूद।
आगे यह लड़ाई जब तक मांगें पूरी नहीं होती जारी रहेगी। हेलंग में हुई घटना ने एक आक्रोश और उस आक्रोश की स्वाभाविक परिणति स्वरूप उसके प्रकटीकरण व प्रदर्शन के रूप में सामने आया। पहले सोशियल मीडिया के माध्यम से यह आक्रोश प्रकट हुआ जिसके परिणाम स्वरूप पीड़ित को अपराधी साबित कर रहे प्रशासन को पीछे हटना पड़ा। उसीका दबाब था कि आनन—फानन में सरकार को आयुक्त को जांच सौंपने का कदम उठाना पड़ा। क्योंकि महिला आयोग द्वारा जिलाधिकारी से जांच कर रिपोर्ट देने को हमने यह कह कर खारिज कर दिया था कि, जिलाधिकारी स्वयं एक पक्ष बन गए हैं। इसलिए इनसे निष्पक्षता की अपेक्षा नहीं है।
इसके बाद उत्तराखण्ड के संवेदनशील लोगों व आंदोलनकारी शक्तियों ने ‘हेलंग चलो’ की कॉल दी जो 24 जुलाई को सफलतापूर्वक संपन्न हुई। अब सवाल था कि उसके बाद क्या? तो इसका जवाब कल ही हेलंग में कार्यक्रम के बाद सभी प्रमुख साथियों ने बैठकर तय कर दिया। जब तक पांच मांगों को सरकार द्वारा माना नहीं जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा। मोटे तौर पर मांग है कि —
1. महिलाओं से घास छीनने, उन्हें छह घंटे हिरासत में रखने और डेढ़-दो साल की बच्ची को एक घंटे तक कस्टडी में रखने वाले सीआईएसएफ़ और पुलिस कर्मियों को निलंबित कर, उनके खिलाफ वैधानिक कार्यवाही अमल में लायी जाये।
2. इस मामले में पूर्वाग्रह से ग्रसित हो कर उत्पीड़ित महिलाओं के विरुद्ध अभियान चलाये हुए चमोली के जिलाधिकारी श्री हिमांशु खुराना को तत्काल उनके पद से हटाया जाये और पहली बार जिलाधिकारी नियुक्त होने के बाद ऐसी पूर्वाग्रह युक्त कार्यवाही करने को ध्यान में रखते हुए उन्हें किसी सार्वजनिक पद पर नियुक्त न किया जाये।
3. वन पंचायत नियमावली का उल्लंघन करके ली गयी वन पंचायत की तथाकथित स्वीकृति को रद्द किया जाये, इस अवैध अनुमति को आधार बना कर पेड़ काटने वालों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही की जाये. इसी तरह ग्राम सभा से गुपचुप ली गयी तथाकथित अनुमति को निरस्त किया जाये।
4. टीएचडीसी के विरुद्ध मलबा नदी में डालने और पेड़ काटने के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर, वैधानिक कार्यवाही अमल में लाई जाये. टीएचडीसी व अन्य परियोजना निर्माता कंपनियों के कामों की जनता की भागीदारी के साथ मॉनिटरिंग (अनुश्रवण) की व्यवस्था की जाये।
5. हेलंग प्रकरण की जांच, उच्च न्यायालय के सेवारत अथवा सेवानिवृत न्यायाधीश से करवाई जाये।
आंदोलन के स्वरूप के बारे में अभी तय हुआ है कि सोमवार 1 अगस्त को इन मांगों के समर्थन में सभी जिला मुख्यालयों तहसील मुख्यालयों व जहां—जहां सम्भव है वहां प्रदर्शन धरना व ज्ञापन दिया जाएगा। इन मांगों के संदर्भ में आयुक्त मुख्य सचिव से प्रतिनिधि मंडल मिलेंगे। अन्य कार्यक्रम भी समय—समय पर किए जाएंगे। देहरादून में मुख्यमंत्री के घेराव का कार्यक्रम भी किया जाएगा। इसकी तिथि व कार्यक्रम सरकार की प्रतिक्रिया के मुताबिक तय होगी। समय—समय पर जूम मीटिंग में तय कार्यक्रम व रणनीतियों को बातचीत के बाद सार्वजनिक किया जाता रहेगा। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के साथी एडवोकेट डी. के. जोशी व साथी कैलाश जोशी जो 24 तारीख के कार्यक्रम में शरीक हुए थे, उन्होंने नैनीताल में भी बैठक की थी, वह न्यायिक लड़ाई व इसके अन्य पहलुओं को देखेंगे।
‘हेलंग चलो’ कार्यक्रम में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया जिनमें प्रमुख थे मंदोदरी देवी, प्रेम सुंदरियाल, इन्द्रेश मैखुरी, पी.सी. तिवारी, अतुल सती, भुवन पाठक, ईश्वरी दत्त जोशी, एडवोकेट डी. के जोशी, एडवोकेट कैलाश जोशी, मुनीष, चारु तिवारी, हीरा जंगपांगी, प्रकाश चन्द्र जोशी, अनिल स्वामी, रमेश कृषक, तरूण जोशी, नरेन्द्र पोखरियाल, अरुण कुकसाल, योगेन्द्र कांडपाल, सीताराम बहुगुणा, आनन्द नेगी और मदन मोहन चमोली आदि।