जय सिंह रावत
बजरंग दल कार्यकर्ता का कहना था कि उत्तराखण्ड में लगभग 12हजार कार्यकर्ता और 28 पूर्णकालिक समर्पित कार्यकर्ता हैं जो कि हिन्दुओं को चुनौती देने वाले असामाजिक तत्वों से रक्षा के लिये युवाओं को तैयार करते हैं।
मार्क्सवादी पार्टी की राज्य कमेटी के सदस्य अनन्त आकाश के अनुसार बजरंगदल का दंगे कराने का लम्बा इतिहास है। वैश्विक संगठन ’ह्यूमन राइट वॉच’ जैसे मानवाधिकार संगठनों में 2002 के गुजरात दंगों के लिये बजरंग दल को जिम्मेदार ठहराया था। सन् 2006 में नान्देड़ में बम बनाते समय विस्फोट में मरने वाले 2 लोग बजरंग दल के वही कार्यकर्ता थे जो कि परभनी मस्जिद विस्फोट में शामिल थे। अब बजरंगदल उत्तराखण्ड की शांति भंग करना चाहता है और राज्य की भाजपा सरकार राजनीतिक लाभ के लिये इस संगठन को प्रोत्साहित कर रही है।
समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. एन.एन. सचान के अनुसार बजरंगदल इस तरह के शिविर आयोजित कर शांतिप्रिय उत्तराखण्ड की समरसता बरबाद करना चाहता है और इस काम में उसे धामी सरकार का पूरा समर्थन मिला हुआ है। सचान के अनुसार बजरंग दल पंजीकृत संगठन नहीं है। लिहाजा उस पर प्रतिबंध लगना चाहिये। प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकान्त धसमाना के अनुसार बजरंग दल भगवान राम का अपमान कर रहा है। राम प्रेम और सद्भाव के प्रतीक थे और ये नफरत और हिंसा के उपासक हैं। हाल ही में दिल्ली के जहांगीरपुरी में उत्पात करने के बाद अब देवभूमि उत्तराखण्ड को अशांत करना चाहते हैं। अगर उनके इरादे हिंसक नहीं तो फिर लाठी-डण्डों और तलवारों की ट्रेनिंग क्यों? राज्य की हिन्दूवादी छवि से प्रोत्साहित कुछ लोगों ने बजरंगल के समानान्तर ’’भैरव सेना का गठन भी कर लिया है। जिसका विधिवत सम्मेलन 18 मई को देहरादून के प्रेस क्लब के निकट एक रेस्तरां में हुआ जिसमें शस्त्र पूजा भी की गयी।
इस आयोजन के लिये अनुमति के बारे में जब वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पंकज भट्ट से बात की गयी तो उनका कहना था कि पुलिस की जानकारी में बजरंग दल द्वारा कालाढुंगी में ऐसा कोई कैम्प आयोजित करने की जानकारी तो है मगर उन्हें पता नहीं कि उन्हें इसकी अनुमति मिली या नहीं, क्योंकि अनुमति एसडीएम कालाढुंगी द्वारा ही दी जानी है। उनका कहना था कि उन्हें अपने स्रोतों से यह जानकारी मिली है। भट्ट साथ ही कह गये कि पुलिस को अपने सूत्रों से ऐसे आयोजनों की जानकारी रखनी पड़ती है।
लेकिन इस आयोजन के लिये जिनको अनुमति देनी है उन्हें आयोजन के दो दिन पहले तक इसकी कोई जानकारी ही नहीं थी। आयोजन की अनुमति एसडीएम कालाढुंगी को देनी है। लेकिन एसडीएम रेखा कोहली का कहना था कि 20 मई तक उनको आयोजन की अनुमति संबंधी कोई आवेदन नहीं मिला। कार्यक्रम तय हो गया, तैयारियां शुरू हो गयीं और ऐसे अति विवादास्पद कार्यक्रम की अनुमति नहीं ली गयी, तो समझा जा सकता है कि आयोजकों को सरकार से मिलने वाले सहयोग पर कितना भरोसा है। संभव है कि बजरंगदल नेताओं ने हिन्दूवादी सरकार का संरक्षण मिलने की प्रत्याशा में अनुमति लेने की जरूरत नहीं समझी हो।
विश्व हिन्दू परिषद, जिसका अनुषांगिक संगठन बजरंग दल है, के मीडिया प्रभारी अजय से पूछने पर उन्होंने कहा कि शिविर के आयोजन की जानकारी तो उनको मिली है मगर विस्तृत जानकारी बजरंग दल के पदाधिकारी ही बता सकते हैं। वैसे भी वह इन दिनों अवकाश पर हैं। लेकिन बजरंग दल के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता के अनुसार उत्तराखण्ड में कोरोना के कारण पूरे दो साल बाद इस तरह का प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है। इससे पहले देवबन्द में शिविर के आयोजन का प्रयास किया गया, मगर प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। हल्द्वानी शिविर ‘‘सेवा सुरक्षा संस्कार’’ के कार्य का आधार बना कर जयकारा ‘‘वीर बजरंगे-हर हर महादेव’’ उद्बोध के साथ शुरू होगा। कार्यकर्ता का कहना था कि शिविर की जानकारी नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को दे दी गयी है। शिविर में भाग लेने वाले युवाओं को लाठी चलाना, रस्सी पर चलना, निशानेबाजी, योग समेत आत्मरक्षा के गुर मार्शल आर्ट विशेषज्ञों द्वारा सिखाए जायेंगे। इसके अलावा बौद्धिक सूत्रों में युवाओं को देश के गौरवशाली इतिहास की जानकारी दी जायेगी। इस कार्यकर्ता का कहना था कि हल्द्वानी शिविर में असली हथियारों की जगह टॉय गन और तलवार की जगह पर लोहे की पत्ती प्रयोग में लाई जायेगी। कार्यकर्ता ने स्वीकार किया कि कुछ लोग अपने लाइसेंसी हथियारों का उपयोग भी निशानेबाजी के लिये करते रहे हैं।
बजरंग दल कार्यकर्ता का कहना था कि उत्तराखण्ड में लगभग 12हजार कार्यकर्ता और 28 पूर्णकालिक समर्पित कार्यकर्ता हैं जो कि हिन्दुओं को चुनौती देने वाले असामाजिक तत्वों से रक्षा के लिये युवाओं को तैयार करते हैं।
मार्क्सवादी पार्टी की राज्य कमेटी के सदस्य अनन्त आकाश के अनुसार बजरंगदल का दंगे कराने का लम्बा इतिहास है। वैश्विक संगठन ’ह्यूमन राइट वॉच’ जैसे मानवाधिकार संगठनों में 2002 के गुजरात दंगों के लिये बजरंग दल को जिम्मेदार ठहराया था। सन् 2006 में नान्देड़ में बम बनाते समय विस्फोट में मरने वाले 2 लोग बजरंग दल के वही कार्यकर्ता थे जो कि परभनी मस्जिद विस्फोट में शामिल थे। अब बजरंगदल उत्तराखण्ड की शांति भंग करना चाहता है और राज्य की भाजपा सरकार राजनीतिक लाभ के लिये इस संगठन को प्रोत्साहित कर रही है।
समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. एन.एन. सचान के अनुसार बजरंगदल इस तरह के शिविर आयोजित कर शांतिप्रिय उत्तराखण्ड की समरसता बरबाद करना चाहता है और इस काम में उसे धामी सरकार का पूरा समर्थन मिला हुआ है। सचान के अनुसार बजरंग दल पंजीकृत संगठन नहीं है। लिहाजा उस पर प्रतिबंध लगना चाहिये। प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकान्त धसमाना के अनुसार बजरंग दल भगवान राम का अपमान कर रहा है। राम प्रेम और सद्भाव के प्रतीक थे और ये नफरत और हिंसा के उपासक हैं। हाल ही में दिल्ली के जहांगीरपुरी में उत्पात करने के बाद अब देवभूमि उत्तराखण्ड को अशांत करना चाहते हैं। अगर उनके इरादे हिंसक नहीं तो फिर लाठी-डण्डों और तलवारों की ट्रेनिंग क्यों? राज्य की हिन्दूवादी छवि से प्रोत्साहित कुछ लोगों ने बजरंगल के समानान्तर ’’भैरव सेना का गठन भी कर लिया है। जिसका विधिवत सम्मेलन 18 मई को देहरादून के प्रेस क्लब के निकट एक रेस्तरां में हुआ जिसमें शस्त्र पूजा भी की गयी।