गुमराही की दास्तां
14 जुलाई को नैनीताल उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका संख्या 113 / 2021 को खारिज करते हुए एक फैसला सुनाया। जिसमें न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता खुद को रैंणी व जोशीमठ का होने का दावा करते हैं। वे यह भी दावा करते हैं कि वे सामाजिक कार्यकर्ता हैं। परंतु इसके कोई प्रमाण नहीं हैं। उन्होंने कौन से सामाजिक आंदोलन चलाए इसका प्रमाण नहीं है। याचिकाकर्ता किसी अनजान के हाथ में खेल रहे हैं। ये किसी कठपुतली नचाने वाले के हाथ की मात्र कठपुतली हैं । इसलिए यह कहना जरूरी है कि यह मात्र जनहित याचिका कानून का बेजा इस्तेमाल है इसलिए यह कोर्ट इस याचिका को प्रामाणिक न मानते हुए खारिज करती है। यह आदेश का शब्दशः अनुवाद नहीं है ।
खैर कोर्ट में दो जज मुख्य न्यायाधीश माननीय श्री रघुवंश सिंह चौहान जी एवं माननीय श्री आलोक कुमार वर्मा जी थे। याचिकाकर्ताओं की तरफ से माननीय एडवोकेट श्री डी. के. जोशी जी थे। भारत सरकार की तरफ से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल श्री राकेश थपलियाल जी थे और इनके अतिरिक्त श्री आदित्य प्रताप सिंह जी थे। एन.टी.पी.सी. की ओर से श्री कार्तिकेय हरिगुप्ता जी थे ।
याचिकाकर्ता संग्राम सिंह रावत रैंणी गांव से हैं । पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य हैं । इसके अतिरिक्त संग्राम सिंह जी अपने गांव की ओर से सन 2018 में भी ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट के खिलाफ जनहित याचिका दायर कर चुके हैं जो बाकायदा स्वीकृत हुई और उस जनहित याचिका के कारण ऋषिगंगा पावर कम्पनी पर विस्फोटकों के उपयोग पर रोक भी लगी।
लेकिन इससे भी रोचक तथ्य जो है वह और भी चौंकाने वाला है । यही संग्राम सिंह रावत जी सन 2014 में लाता-तपोवन परियोजना के विरुद्ध भी उच्च न्यायालय नैनीताल गए थे किन्तु तभी 2013 की आपदा के बाद गठित श्री रवि चोपड़ा कमेटी की सिफारिश के चलते लाता-तपोवन व अन्य 22 जल विद्युत परियोजनाओं पर रोक लग गयी। इन परियोजनाओं से सम्बंधित मामला सर्वोच्च न्यायालय में चल रहा था अतः उच्च न्यायालय में यह वाद लम्बित हो गया।
अब और भी रोचक तथ्य पर आते हैं । यह जो जनहित याचिका संग्राम सिंह रावत जी द्वारा लाता-तपोवन परियोजना के विरुद्ध सन 2014 से चल रही थी यह अब भी जारी है । क्योंकि इसमें कोई प्रगति नही थी तो संग्राम सिंह जी के वकील ने भी उपस्थित होना बंद कर दिया। पर एन. टी.पी.सी. के वकील तो अभी भी उपस्थित होते हैं जो तब से सरकारी अधिवक्ता के बतौर उपस्थित होते रहे हैं।
एन.टी.पी.सी. के ये अधिवक्ता हैं डॉ. कार्तिकेय हरिगुप्ता। जो 14 जुलाई 2021 को भी एन.टी.पी.सी. की ओर से उपस्थित हुए। अब एक और रोचक बात, इसी जुलाई महीने की 9 तारीख को जनहित याचिका संख्या 65 / 2014 संग्राम सिंह रावत बनाम अन्य की तारीख लगी । जिसे माननीय मुख्य न्यायधीश श्री राघवेन्द्र सिंह चौहान एवं माननीय श्री आलोक वर्मा जी की ही बेंच ने सुना । और एनटीपीसी की तरफ से हाजिर हुए माननीय डॉ कार्तिकेय हरिगुप्ता जी ।
9 जुलाई 2021 को डॉ हरिगुप्ता जी जिन संग्राम सिंह रावत जी के विरुद्ध उपस्थित हुए उन्ही संग्राम सिंह रावत जी को हरिगुप्ता जी ने 14 जुलाई 2021 को उसी तरह की दूसरी जनहित याचिका में पहचानने से न सिर्फ इनकार किया बल्कि दो माननीय न्यायाधीशों को भी यह कह कर गुमराह किया कि ये जाने कौन हैं ? कहां से चले आये हैं ?
इस तथ्य की रौशनी में यह सिर्फ एक याचिका के खारिज हो जाने का मामला नहीं है। यह देश की बड़ी अदालत को गुमराह करने एवं झूठे तथ्य रखने की भी बात है ।
इसलिए हम सभी याचिकाकर्ता इस मामले को देश की न्यायप्रणाली के सम्मुख एक गम्भीर मसला मानते हैं । सर्वोच्च न्यायालय जो जनहित के मुद्दों पर समाचार पत्रों की खबर का भी स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका के तौर सुनवाई करता है अब हमारी आशा उम्मीद का आश्रय है।