रीजनल रिपोर्टर से साभार
देहरादून में लगातार काटे जा रहे पेड़ों और बढ़ते प्रदूषण से चिंतित लोग रविवार को सड़कों पर छा गये। जुबां पर सतीश धौलाखंडी और जयदीप सकलानी के नेतृत्व में जनगीत लिए लोगों ने पर्यावरण की चिंता भी जताई, तो पेड़ों पर आरियां चलाने वाली सरकारों को खूब गरियाया भी। कार्यक्रम संयोजक अनूप नौटियाल ने कहा कि 15 वर्षों में उत्तराखण्ड में 23 लाख पेड़ काटे जा चुके हैं, फिर तापमान 43 डिग्री कैसे नहीं पहुंचेगा? इसलिए अब देहरादून से ग्रीन पॉलिटिक्स की शुरुआत होनी चाहिए।
दिलाराम चौक से लेकर हाथीबड़कला चौकी तक लोग हाथों में तख्तियां लिए, जुबां पर जनगीत, तालियां बजाते सड़कों पर उबलते नज़र आ रहे थे। बीते दो दशकों में लगातार जलवायु परिवर्तन के शोर के बीच भी अंधाधुंध पेड़ों के कटान का जो असर इस बार देहरादून में देखा गया, उससे लोग गुस्से में थे।
बता दें कि खलंगा में 2000 पेड़ों के कटान की बात संज्ञान में आते ही देहरादून में पेड़ों के कटान का मुद्दा मुख्य विमर्श में शामिल है। इसी प्रतिकार के चलते इस परियोजना को ही खलंगा से हटा दिया गया। ये जनता की ताकत का परिणाम है।
इसी बीच, यह खबर सामने आई कि दिलाराम बाजार से मुख्यमंत्री आवास तक न्यू कैंट रोड पर करीब दो सौ पेड़ सड़क को चौड़ा करने के लिए काटे जाने हैं। इसने लोगों के आक्रोश को और हवा दी।
गर्मियों में भी लगातार बारिश होने से देहरादून में मौसम सुहाना बना रहता था, लेकिन इस वर्ष 43 डिग्री पार पहुंचे पारे ने शहरवासियों को बेहाल कर दिया। इसके चलते देहरादून सिटीजन फोरम ने सोशल मीडिया के माध्यम से दिलाराम से सेंट्रियो मॉल (हाथीबड़कला) मार्च का आह्वान किया। तीन दिन पहले प्रेस कांफ्रेंस करके भी फोरम ने लोगों से आवाज उठाने का आह्वान किया। नतीजा यह हुआ कि रविवार सुबह साढ़े 6 बजे ही सैकड़ों लोग दिलाराम चौक पर आ जुटे। सुबह 7 बजे तक यह संख्या हजारों पार कर गई।
वरिष्ठ पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ. रवि चोपड़ा ने कहा कि सरकार ने जन-दबाव में खलंगा और न्यू कैंट रोड पर पेड़ काटने के फैसले को वापस लिया है। लेकिन, अभी विकास कार्यों के नाम पर कई हजार पेड़ कटने की लाइन में हैं। इसलिए, देहरादून की हरियाली को बचाने के लिए अभी एकजुट होकर लंबी लड़ाई लड़े जाने की जरूरत है। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता जगमोहन मेंदीरत्ता ने कहा किा कुछ वर्ष पहले तक देहरादून शहर का स्वरूप बेहद खूबसूरत था।
यहां गर्मी का अहसास तक नहीं होता था। लेकिन, आज विकास के नाम पर पेड़ों को काटकर बड़े-बड़े माल और बहुमंजिला इमारतें बनाए जाने से शहर का नुकसान हुआ है। बिजली-पानी, सीवर-सड़क जाम जैसी समस्याओं का दूनवासियों को सामना करना पड़ रहा है।
सभा में ग्रीन दून के हिमांशु अरोड़ा ने कहा कि भले ही मुख्यमंत्री ने न्यू कैंट रोड पर पेड़ काटने से इनकार कर दिया हो, लेकिन अभी झाझरा-आशारोड़ी-पौंटा बाइपास बनने में करीब चालीस हजार पेड़ काटे जाने प्रस्तावित हैं। कार्यक्रम में इरा चौहान, विजय भट्ट, स्निगधा तिवारी, इन्द्रेश मैखुरी, तन्मय ममगाईं, जया, कमला पंत, रुचि, राधा चटर्जी समेत कई लोगों ने विचार व्यक्त किए। विभिन्न समूहों के युवाओं ने इस दौरान पर्यावरण जागरूकता के संबंध में नुक्कड़ नाटक भी प्रस्तुत किए।
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