‘जब सभ्यता बहुत सभ्य हो जाती है तो वह अपनी प्राचीनता को हीन समझ कर उससे पीछा छुड़ाना चाहती है। हम बातें तो हमेशा लोक की करते हैं, पर व्यक्तिगत जीवन अभिजात्य वर्ग जैसा जीना चाहते हैं। गढ़वाली औ... Read more
वहां एक झील रहती थी उस शहर में, कैलाखान में साह जी के मकान की पहली मंजिल पर। एक गहरी झील थी वह। इतनी, कि डूबते-डूबते भी तल ना मिले। हवा की सिहरन जब गुजरती उस पर से तो झूम उठती थी वह।... Read more