चारु तिवारी जानता तो मैं उन्हें बहुत पहले से था। पहली बार बहुत तरीके से मिले वर्ष 1992 में। उत्तराखंड क्रान्ति दल के गैरसैंण सम्मेलन में। इस सम्मेलन में गैरसैंण को राजधानी बनाने और इसका नाम... Read more
गोविंद पंत ‘राजू‘ असनोड़ा जी का निधन कोरोना के इस भयावह दौर में हमारे लिए सबसे बड़ी स्तब्धकारी घटना है। हम सभी जो उनसे प्यार करते थे , जो उनसे प्रेरणा लेते थे , जो उनसे सहयोग लेते... Read more
इन्द्रेश मैखुरी 13 अप्रैल को बैसाखी का पर्व होता है.लेकिन भारत की आजादी की लड़ाई में यह ऐसी तारीख है,जिसे अंग्रेज हुक्मरानों ने सर्वाधिक खूनी तारीख में तब्दील कर दिया था. 13 अप्रैल 1919 को... Read more
–काफल ट्री डेस्क अल्मोड़ा इंटर कालेज के प्रांगण में विवेकान्द की एक आदमकाय मूर्ति है. लगभग 70 के दशक में बनी इस मूर्ति के निर्माता का नाम है नवीन वर्मा ‘बंजारा’. आज सुबह उनका निधन हो... Read more
देवेश जोशी यायावरी-घुमक्कड़ी का शौक़ कई लोगों को होता है और लेखन प्रतिभा सम्पन्न भी असंख्य होते हैं किंतु इन दोनों का सामंजस्य विरलों में ही देखने को मिलता है। सौभाग्य से उत्तराखण्ड को एक ऐसा... Read more
प्रतिभा कटियार लॉकडाउन का चौथा दिन था. सड़को पर सन्नाटा पसरा हुआ था. वही सड़कें जो किसी वक़्त ट्रैफिक जाम से कराहा करती थीं. इतनी शांति चारों ओर जैसे किसी और ही जहाँ में आ गए हों. लेकिन इस शां... Read more
रमदा “इब्तिदा ए इश्क़ है रोता है क्या, आगे आगे देखिये होता है क्या।” से लेकर “ये इश्क़ नहीं आसां, इतना तो समझ लीजे, इक आग का दरिया है और डूब के जाना है” तक इस ‘कोरोना-ऋतु’ (बक़ौल प्रोफेसर पाठक)... Read more
सेवा में, माननीय प्रधानमंत्री, भारतीय गणराज्य। आदरणीय महोदय, मैं यह पत्र देश के एक जिम्मेदार किन्तु निराश नागरिक के तौर पर आपको लिख रहा हूं। 23 मार्च को आपको लिखे अपने पहले पत्र में, मैंने स... Read more
यह कोरोना वायरस का मौसम है। वसंत नहीं कोरोना ऋतु है। पर घबराने का कोई कारण नहीं। सावधानी बरतनी है। मानवता ने बहुत बार ऐसे संकट झेले है। यह खाली वायरस ही नहीं है पूंजीवाद का संकट भी है। जिस त... Read more
शम्भू राणा लॉकडाउन की उम्र हफ्ता भर हो चली है। सामान्य दिनों में दिनभर आवारागर्दी की आदत रही है। जब लाॅकडाउन की घोषणा हुई तब लगा कि यार, दिन भर अकेले में समय कैसे कटेगा ? क्या करूंगा दिन भर... Read more