हिमांशु लटवाल
जगदीश व अंकिता भंडारी हत्याकांड में सरकार की संवेदनहीनता, बेरूखी व चमोली के हेलंग में महिलाओं के साथ आइटीबीपी पुलिस प्रशासन की ओर से की गई बदसलूकी समेत राज्य की विभिन्न जन समस्याओं को लेकर शुक्रवार को जन संगठनों ने नैनीताल में जोरदार प्रदर्शन किया। कई जिलों से पहुंचे विभिन्न जन संगठनों के लोग तल्लीताल डांठ पर एकत्रित हुए। जहां आंदोलनकारियों व प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन, नारेबाजी व जनगीतों के माध्यम से अपने हक हकूक व दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। जिसके बाद सैकड़ों की तादात में प्रदर्शनकारियों ने धरना स्थल से आयुक्त कार्यालय तक विशाल जूलूस निकाल कर सरकार को चेताने का काम किया और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नाम संबोधित ज्ञापन कुमाऊं आयुक्त कार्यालय में सौंपा।
इस दौरान वक्ताओं ने प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा शासन में उत्तराखंड हत्याकांडों से दहल उठा है। बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं का नारा देने वाली भाजपा सरकार में आज बेटियां व महिलाएं महफ़ूज़ नहीं है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कानून व्यवस्था में बीजेपी सरकार पूरी तरह फेल साबित हो गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
इस दौरान राज्य आंदोलनकारी राजीव लोचन साह ने कहा कि प्रदेश में बीजेपी को सत्ता में आए 9 माह हो गए है, जो गैरजिम्मेदाराना व लापरवाही के रहे। उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा के भिकियासैंण में सवर्ण युवती से शादी करने पर युवक की हत्या कर दी जाती है। वही, गरीबी में पली बढ़ी एक युवती जो कई सपने संजोकर घर से नौकरी करने निकले थी। वह दरिंदो का शिकार हो गई। लोगों के लगातार मांग के बावजूद उस वीवीआईपी गेस्ट का नाम नहीं खोला जा रहा, जिसके लिए अंकिता पर स्पेशल सर्विस देने का दबाव बनाया गया था। उन्होंने कहा कि जगदीश व अंकिता के परिजन न्याय को भटक रहे है। जिससे साबित हो चुका है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है।
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पी.सी तिवारी ने कहा कि जगदीश की निर्मम हत्या के बाद सरकार के पास सहानुभूति के दो शब्द नहीं है। जिससे स्पष्ट हो चुका है भाजपा सरकार को यहां के दलितों, वंचितों से कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि अंकिता व जगदीश हत्याकांड के बाद तमाम सवालों ने जन्म लिया जिसका सरकार के पास कोई जवाब नहीं है। सरकार की कथनी और करनी में अंतर है। सरकार भू माफिया, शराब माफिया, खनन माफिया व सत्ता के दुर्दांत अपराधियों के गोद में फंसी हुई है। उन्होंने कहा कि जनविरोधी सरकारों के खिलाफ उनकी यह लड़ाई जारी रहेगी।
उपपा के प्रभात ध्यानी ने आरोप लगाते हुए कहा कि जगदीश हत्याकांड, अंकिता भंडारी हत्याकांड में सरकार अपराधियों को संरक्षण दे रही है। सरकार द्वारा दमनकारी नीति को अपनाते हुए पूरे आवाम में डर का माहौल पैदा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हेलंग मामले में मुख्यमंत्री की स्वयं की घोषणा के बावजूद जांच ना होना धामी सरकार की कार्य प्रणाली को उजागर करती है।
इस दौरान पूर्व सांसद व अधिवक्ता डॉ. महेंद्र पाल, उपपा के केंद्रीय महासचिव दीवान सिंह खनी, नरेश नौड़ियाल, भुवन पाठक, उत्तराखंड महिला मंच की डॉ. शीला रजवार, मुनीष कुमार, रोहित रोहिला, तरुण जोशी, भुवन पाठक, लीला बोरा, विनोद जोशी, दीवान खनी , किरन आर्या, एडवोकेट नारायण राम, जसवन्त, लाल मणी, दिनेश उपाध्याय, तुलसी छिमवाल, कौशल्या, चिन्ता राम, अनीता, पृथ्वी पाल आदि ने अपने विचार रखे।
प्रर्दशन में रामनगर, नैनीताल, अल्मोड़ा, द्वाराहाट, सल्ट, हल्द्वानी, गरुड़, बागेश्वर, गैरसैंण समेत कई जिलों से लोग शामिल हुए।
उत्तराखंड महिला मंच, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, इन्कलाबी मजदूर केन्द्र, समाजवादी लोकमंच, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, महिला एकता मंच, उत्तराखंड छात्र संगठन, पछास, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, उत्तराखंड वन पंचायत संघर्ष मोर्चा, हेलंग एक जुटता मंच से जुड़े सदस्यों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
दिनेश उपाध्याय, गंगा, दलीप, पृथ्वीपाल, आनंदी वर्मा, भारती पांडे, भारती जोशी, विनोद जोशी, योधराज त्यागी, हीरा, नारायण राम, हेम पांडेय, गोपाल राम, जीवन चन्द्र, किरन आर्या, राहुल, किरन, लालमणि, इंद्रजीत, चिंताराम, मेघा, सरस्वती, माया चिलवाल, सुनील, किरन, लालमणि, इंद्रजीत, चिंताराम, मेघा समेत कई लोग मौजूद रहे।
अल्मोड़ा के सल्ट में उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के युवा नेता जगदीश की अंतरजातीय विवाह के कारण 1 सितंबर को नृशंस हत्या कर दी गई किंतु राज्य के मुख्यमंत्री होने के नाते आपने, क्षेत्रीय सांसद एवं विधायक ने इस जघन्य हत्याकांड के विरुद्ध एक शब्द भी नहीं बोले तथा मृतक जगदीश की पत्नी और परिवार को संबल देने हेतु किसी प्रकार की आर्थिक सहायता और सरकारी नौकरी भी नहीं दी गई। जातिवादी मानसिकता से ग्रस्त होकर की गई इस जघन्य हत्या के विचारण के लिए फास्टट्रैक कोर्ट का गठन नहीं किया गया। यह सरकार की संविधान, दलित और वंचित वर्ग के प्रति उपेक्षा और दुर्भावना का परिचायक है।
इसी प्रकार अंकिता हत्याकांड में संलिप्त वीवीआइपी के नाम छुपाए जा रहे हैं, साक्ष्यों को नष्ट किया जा रहा है। क्षेत्रीय विधायक द्वारा ऊपरी शह के चलते साक्ष्य छुपाने की नियत से घटना स्थल पर जेसीबी चला कर तोड़फोड़ कर साक्ष्य नष्ट कर अपराधियों को बचाया जा रहा है। सरकारी एजेंसियों का ध्यान हत्याकांड का पर्दाफाश करने के बजाय अंकिता को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे और पीड़ित परिवार को मदद कर रहे आंदोलनरत व्यक्तियों, संगठनों को दबाने, कुचलने की ओर अधिक लगा है।
हेलंग प्रकरण पर कार्पोरेट के हित में सरकार, शासन, स्थानीय प्रशासन और पुलिस द्वारा उत्तराखंड की महिलाओं की अस्मिता के साथ खिलवाड़, उन्हें जलील, बेइज्जत करने, स्थानीय नागरिकों को उनके वन अधिकार से वंचित करने का कुत्सित प्रयास भी किया जा रहा है। जनभावना और इंसाफ़ की उपेक्षा कर घटना में संलिप्त अधिकारियों को दंडित करने के बजाय संरक्षण दिया जा रहा है।
शासन और प्रशासन स्तर पर भू माफियाओं बड़े कारपोरेट और पूंजीपतियों को उनके प्रभाव में आकर अवैधानिक तरीके से तमाम तरह की सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं और आम जनमानस के हितों की निरंतर अवहेलना की जा रही है। इसी प्रकार राज्य में घटित विभिन्न अपराधों में लिप्त सत्ताधारी दल के सदस्यों को जांच में लीपापोती कर बचाया जा रहा है, जिससे आम जनमानस का न्याय पाने का सपना बिखर गया है और वह उत्पीड़न और अत्याचार का शिकार हो रहा है। उत्तराखंड के समस्त जनपक्षीय संगठन तथा नागरिक सरकार की दलित विरोधी, महिला विरोधी, स्थानीय जनविरोधी मानसिकता की और अपराधियों को संरक्षण प्रदान करने की नीतियों की घोर निंदा करती है और मांग करती है कि जगदीश के परिवार को तुरंत आर्थिक सहायता प्रदान की जाए उसकी पत्नी को सरकारी नौकरी दी जाए, मुकदमे को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए ताकि दोषियों को शीघ्र कड़ा दंड दिया जा सके और समाज में बढ़ती सवर्ण मानसिकता और हिंसक पृवृत्ति पर रोक लगाई जा सके। इसी प्रकार अंकिता हत्याकांड की जांच भी निष्पक्ष और त्वरित की जाए तथा सभी दोषियों के नाम उजागर करते हुए मुकदमे की कार्रवाई की जाए।
हेलंग प्रकरण में भू माफियाओं को दे दी गई जमीनों से तुरंत कब्जे हटाकर ग्राम वासियों को उनके हक हकूक बहाल किए जाए।
राज्य में लगातार कानून व्यवस्था की बिगड़ रही है हालिया घटित विभिन्न हत्याकांड और अन्य आपराधिक घटनाओं, जिनमें विवेचना में लापरवाही बरती जा रही है और दोषियों को सरकारी संरक्षण प्राप्त हो रहा है, ऐसी सभी घटनाओं को लेकर जनता में गंभीर रोष है।
राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर है। नौकरियों में घोटाले किये जा रहे हैं। विधानसभा भर्तियों, यूकेएसएसएससी, सहकारिता और अन्य तमाम भर्तियां भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं. शिक्षित बेरोजगार युवाओं के नौकरी पाने के सपने बिखर रहे हैं उत्तराखंड के समस्त जनपक्षीय पार्टियों का स्पष्ट मानना है कि राज्य में बढ़ते भ्रष्टाचार और नौकरियों की लूट पर सरकार सामिल है। भ्रष्ट मंत्रियों, नेताओं, अधिकारियों और दलालों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
राज्य के पर्वतीय ग्रामीण क्षेत्रों और अभयारण्यों के निकटवर्ती क्षेत्रों में हिंसक जंगली जानवरों का आतंक फैला हुआ है. आए दिन निर्दोष नागरिक जंगली जानवरों के हमले का शिकार हो रहे हैं, जान से हाथ धो रहे हैं. आवारा पशु, सुवर, बंदर, लंगूर कृषकों के लिए बुरा सपना बन चुके हैं. ग्रामीण कृषि और आर्थिकी तबाह बर्बाद हो रही है।
राज्य में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है। आम आदमी हताश और निराश है। कमरतोड़ महंगाई और लगातार बढती बेरोजगारी से राज्य की जनता तंग व त्रस्त है। दूसरी ओर राज्य सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए, राज्य की जनता का ध्यान वास्तविक मुद्दों से भटकाने के लिए और सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए समाज में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और वैमनस्य फैलाने की बुरी नीयत से समान नागरिक कानून का सिगूफा उछाल रही है, जिसका न तो ड्राफ्ट सार्वजनिक किया गया है, न सरकार की मंशा स्पस्ट हो पा रही है कि वह इस दिशा में वास्तव में क्या चाहती है ?
पार्टी मांग करती है कि सरकार जनता से सुझाव मांगने का नाटक करने के बजाय सर्वप्रथम ड्राफ्ट सार्वजनिक करे, तत्पश्चात जनता, राजनीति दलो और कानून विशेषज्ञों से मंतब्य मांगे। यदि इस दिशा में आवश्यक कदम नहीं उठाए जाते हैं, तथा अपराधों पर अंकुश लगाने और आम जनमानस को सुरक्षा और इंसाफ दिलाने हेतु राज्य सरकार द्वारा गंभीर कदम नहीं उठाए गये तो सरकार की कार्पोरेट परस्त, दलित, विरोधी,जनविरोधी नीतियों और राज्य की जनता के साथ किये जा रहे छल के खिलाफ उत्तराखंड के समस्त संघर्षरत जन संगठन एकजुट होकर व्यापक जनआंदोलन करेंगे।
इंडिया भारत न्यूज से साभार