क्रांतिकारी लोकगायक गदर, जिनके गीत करोड़ों आंदोलनकारियों को दशकों से प्रेरित करते रहे हैं, का रविवार 6 अगस्त 2023 को एक संक्षिप्त बिमारी के बाद हैदराबाद में देहान्त हो गया। वे 74 वर्ष के थे। नैनीताल समाचार परिवार की श्रृद्धांजलि !
– सम्पादक नैनीताल समाचार
श्रीराम गोपीशेट्टी, पदनाम,एडिटर, बीबीसी तेलुगू
‘बीबीसी’ से साभार
तेलुगू भाषा के जानेमाने लोक गायक विट्ठल राव ‘ग़दर’ का रविवार को हैदराबाद में निधन हो गया. उनकी उम्र 74 साल थी. हैदराबाद के अपोलो अस्पताल में उन्होंने आख़िरी सांस ली जहां फेफड़ों और मूत्राशय में संक्रमण की वजह से उनका इलाज चल रहा था. उनके निधन पर कांग्रेस, केसीआर समेत कई राजनीतिक पार्टियों के नेताओं, फ़िल्म कलाकारों और आम लोगों ने शोक जताया है. विट्ठल राव ‘ग़दर’ का असल नाम गुम्मडी विट्ठल राव था. उनके परिवार में उनकी पत्नी विमला, उनका एक बेटा सुर्यूडू और बेटी वेनेल्ला हैं.
उनका जन्म साल 1949 में अविभाजित आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) के मेदक ज़िले के तूप्रान के एक दलित परवार में हुआ था. उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और इसके बाद 1970 के दशक में उन्होंने कुछ समय के लिए केनरा बैंक में काम किया. इसके बाद वो आर्ट लवर्स एसोसिएशन में शामिल हो गए, जिसकी स्थापना फ़िल्म निर्देशक बी. नरसंहराव ने की थी. वो नुक्कड़ नाटकों के ज़रिए जागरूकता फैलाने का काम करने लगे. इसके बाद वो नक्सल राजनीति में शिरकत करने लगे. वो जन नाट्य मंडली के संस्थापक सदस्यों में से एक थे. ये जागरूकता फैलाने वाला एक सांसकृतिक संगठन था जो उस दौर में पीपल्स वॉर ग्रुप से जुड़ा हुआ था.
पीपल्स वॉर ग्रुप अप्रैल 1980 में अविभाजित आंध्रप्रदेश में अस्तित्व में आया था, इसकी स्थापना कोंडापल्ली सीतारामैय्या ने की थी जो अपने दौर के जानेमाने नक्सली नेताओं में गिने जाते थे. नक्सल आंदोलन के कारण उन्हें अंडरग्राउंड भी होना पड़ा था.
ग़दर’ के गीतों का असर
उनका मुख्य काम गुजरात और अन्य इलाक़ों में मार्क्सवादी और लेनिनवादी विचारधारा से प्रेरित सांस्कृतिक संगठनों को एकजुट करना था. ‘ग़दर’ के बारे में कहा जाता है कि उनके गीतों से प्रेरित हो कर कई युवाओं ने उस दौर में नक्सल आंदोलन में शामिल हौने का फ़ैसला किया था. यहां तक कि उन्हें “प्रजा युद्ध नौका” (आमजन के संघर्ष की नौका) का नाम दे दिया गया. 1990 के दशक की शुरुआत में वो सामने आए. इससे पहले वो भूमिगत थे. इसके बाद वो नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों और दूसरे एक्टिवस्ट ग्रुप के साथ काम करने लगे. 1990 के दशक के मध्य में एक सम्मेलन में उन्होंने नक्सलाइट मूवमेंट से अपने मतभेदों को उठाया और उसके बाद मतभेद बढ़ने लगे.
1997 में अज्ञात लोगों ने उन पर हमला किया. इसके हमले के बाद उनकी जान तो बच गई लेकिन जिस्म में धंसी एक गोली मरते दम तक उनके शरीर में ही रही. नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों ने इस हमले का आरोप पुलिस पर लगाया. 1990 के दशक के आख़िर में उन्होंने अपनी राजनीतिक विचारधारा में बदलाव किया और उनका झुकाव आंबेडकरवाद की तरफ हो गया. वो आंबेडकरवाद को मार्क्सवाद से जोड़ने की ज़रूरत पर बल देने लगे.
साल 2000 के बाद उन्होंने तेलंगाना को अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन में सक्रियता से हिस्सा लिया. उनका गीत “पोस्दुस्थुन्ना पोद्दुमीदा नाडुस्थुन्ना कालमा” तेलंगाना आंदोलन का मुख्य गाना बन गया.
बीते एक दशक से वो संसदीय राजनीति की ओर देख रहे थे और मतपत्र के ज़रिए बदलाव की बात कर रहे थे. ये उनके शुरुआती रुख़ से अलग था जब वो चुनाव बहिष्कार की बात करते थे. उन्होंने पहली बार साल 2018 में मतदान किया. वो कुछ दिन कांग्रेस के साथ रहे लेकिन क़रीब दो महीने पहले अचानक उन्होंने एलान किया कि वो नई पार्टी बनाने जा रहे हैं जो युवाओं को जागरुक करेगी.
बीते एक महीने के दौरान बीमारी की वजह से उन्हें कई बार अस्पताल में दाखिल कराया गया. हाल में उनकी बाईपास सर्जरी हुई थी. फेफड़े गंभीर और मूत्राशय में गंभीर संक्रमण और उम्र से जुड़ी दिक्कतों की वजह से उनकी मौत हो गई. कांग्रेस नेता राहुल गांधी, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसी राव ने उनके निधन पर दुख जताया है. ‘ग़दर’ को श्रद्धांजलि देते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लिखा, “तेलंगाना के प्रतिष्ठित कवि, गीतकार और उग्र कार्यकर्ता गुम्मडी विट्ठल राव के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ. तेलंगाना के लोगों के प्रति उनके प्यार ने उन्हें हाशिए पर मौजूद लोगों के लिए अथक संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया. उनकी विरासत हम सभी को प्रेरणा देती रहेगी.”
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने लिखा, “तेलंगाना के लोक गायक ग़दर के निधन से एक युग का अंत हो गया है.” एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ने भी उनके निधन पर शोक जताया है. उन्होंने लिखा कि ‘ग़दर’ ग़रीबों की आवाज़ बन गए थे. दक्षिण भारतीय फ़िल्मों जानेमाने कालकार पवन कल्याण की राजनतिक पार्टी जनसेना पार्टी ने भी ‘ग़दर’ के निधन पर दुख जताया है और कहा है कि वो एक क्रांतिकरी हरो थे जिन्होंने अपने गीतों और शब्दों से तेलंगाना आंदोलन को प्रेरित किया. फ़िल्म कलाकार मनोज मांचू ने भी उनके निधन पर शोक जताया है और लिखा, “उनकी आवाज़ ने हज़ारों लोगों की आत्मा को छुआ है. उनकी कमी महसूस होगी.”
फोटो इंटरनेट से साभार