नवीन बिष्ट
उत्तराखण्ड को विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री के साथ, उप नेता प्रतिपक्ष देने वाले अल्मोड़ा जिले के मतदाताओं की खामोशी से सर्द महीने में नेताओं के साथ सियासत के तमाम जानकारों के पसीने छूट रहे हैं। जिले का कोई भी जानकार कुछ भी पुख्ता तौर पर कहने से बच रहा है। अल्मोड़ा की 6 विधानसभाओं अल्मोड़ा, सोमेश्वर, द्वाराहाट, रानीखेत, सल्ट और जागेश्वर विधानसभा क्षेत्रों में लोगों से बातचीत से पता चलता है कि मतदाता की चुप्पी से चौंकाने वाले परिणाम हो सकते हैं। वोटरों की खामोशी 14 फरवरी को ही टूटेगी ऐसा जान पड़ता है। यहां के मतदाता किसको देहरादून पहुंचाते हैं, इस विषय में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है। 2022 का चुनावी दंगल पिछले विधान सभा चुनाव से अलग होने जा रहा है। क्योंकि इस बार न तो पिछले विधान सभा चुनाव की मोदी लहर का ही जलवा ही देखने को मिल रहा और न ही कांग्रेस को लेकर कोई हवा बननी दिख रही है। यह गौरतलब है कि पिछले चुनाव में भाजपा के ऐसे नाउम्मीद प्रत्याशी भी खासे अन्तर से जीत दर्ज करा कर विधान सभा को रवाना हुए थे जिन पर भाजपा को खुद भरोसा नहीं दिख रहा था। कुछ ऐसे भी परिणाम भाजपा को देखने को मिले जिन पर भरोसा जताया वे खेत रह गए, सीट हाथ से निकल गई। इस मर्तबा न भाजपा की लहर है न कांग्रेस के प्रति कोई उत्साह, बाकी दलों या निर्दलियों की भी उपस्थित सिर्फ दर्ज करने भर कीं हैं। ऐसे में पार्टियों के काडर वोट और प्रत्याशी की योग्यता के साथ उनके अपनों की मेहनत ही उसको सत्ता तक पहुंचाएगी। अभी के हालातों में तो यही लगता है। हार-जीत में बड़ा कारण मतदान का प्रतिशत तय करेगा। कोविड महामारी के चलते पोलिंग बूथ तक कितने मतदाता पहुंच पाते हैं, या कार्यकर्ता वोट डलवाने में कामयाब होते हैं, यह बड़ा सवाल होगा।
अल्मोड़ा जिले की 6 विधानसभा सीटों कुल 51 प्रत्याशी देहरादून की दौड़ में हैं। सबसे कम उम्मीदवार पूर्व विधानसभा अध्यक्ष की जागेश्वर विधानसभा से हैं। यहां 7 जन चुनाव रण में उतरे हैं। सबसे ज्यादा प्रत्याशी दिवंगत नेता बिपिन चन्द्र त्रिपाठी के कर्मक्षेत्र द्वाराहाट से हैं। यहां 10 लोग विजय की तलाश में हैं। पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष के क्षेत्र अल्मोड़ा से 9, उप नेता प्रतिपक्ष रानीखेत की सीट से 8 लोग अपना भाग्य आजमा रहे हैं। जिले की एक मात्र आरक्षित सीट सोमेश्वर से 8 नेताओं ने विधायक की दावेदारी की है। बात अल्मोड़ा की तो यहां से भाजपा से कैलाश शर्मा, कांग्रेस से मनोज तिवारी, बसपा से अशोक कुमार, आम आदमी पार्टी से अमित जोशी, सपा से अर्जुन सिंह भाकुनी, उपपा से गोपाल राम, उक्राद से भानु प्रकाश के अतिरिक्त निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर विनय किरौला व विनोद चन्द्र तिवारी के नाम शामिल हैं। रानीखेत विधान सभा में कांग्रेस से करन माहरा, भाजपा से प्रमोद नैनवाल, बसपा से मनोज कुमार, उक्राद से तुला सिंह तड़ियाल, आम आदमी पार्टी से नन्दन सिंह बिष्ट, निर्देलीय के तौर पर सुनीता रिखाड़ी व दीपक करगेती शामिल हैं। जागेश्वर विधान सभा सीट से कांग्रेस के गोविन्द सिंह कुंजवाल, भाजपा से मोहन सिंह मेहरा, सपा से नारायण राम, उपपा से नारायण राम, आम आदमी पार्टी से तारा दत्त पाण्डे, मनीश सिंह नेगी उक्रांद, सपा से रमेश सनवाल षामिल हैं। सोमेश्वर विधान सभा सीट में भाजपा ने सीटिंग गेटिंग का फार्मूला अपनाते हुए रेखा आर्या को मैदान में उतारा है तो कांग्रेस ने राजेन्द्र बाराकोटी को टिकट दिया है। उपपा ने किरन आर्या को, पीपुल्स पार्टी आफ इंडिया ने दिनेश चन्द्र, बलवन्त आर्या सपा, हरीश चन्द्र आप, गोविन्द लाल व मधुलता निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे हैं। सल्ट विधान सभा से भाजपा के विधायक रहे महेश जीना, कांग्रेस से पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत, बसपा से भोला शंकर आर्या, जगदीश चन्द्र उपपा, भूपेन्द्र सिंह सपा, राकेश नाथ उक्रांद, सुरेश बिट आप, ललित मोहन व सुरेन्द्र सिंह निर्दलीय के तौर पर भाग्य आजमा रहे हैं। द्वाराहाट विधान सभा से भाजपा के अनिल शाही, कांग्रेस के पूर्व मदन सिंह बिष्ट, उक्रांद से पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी, बसपा से आनन्द बल्लभ, सपा से गणेश चन्द्र, आप से प्रकाश चन्द्र, पीपूल्स पार्टी ऑफ इंडिया से डा. प्रमोद कुमार के साथ नवीन चन्द्र जोशी, भूपाल सिंह उर्फ पप्पू भण्डारी व राजेन्द्र सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव में डटे हैं।
फरवरी के पहले हफ्ते में 6 विधानसभाओं का क्षेत्रवार फौरी सर्वे में देखने को मिला कि कहीं कोई उत्साह मतदाताओं में नहीं है। मतदान के प्रति निराशा का भाव देखने को मिला। सुदूर ग्रामीण इलाकों में जहां मतदाता बड़ी बेबाकी से अपने प्रत्याशी या पार्टी का नाम लेता था इस बार उसका टका सा जवाब है कि ”आने को तो सभी आ रहे हैं, लेकिन कुछ समझ में नहीं आ रहा है, देखो किसकी लाटरी लगती है” या ”पता नहीं महाराज जो होरा होगा”। 10 मार्च को क्या होगा ये बताने की स्थिति में कोई नजर नहीं आ रहा है। भले ही कोई लाख दावे करे पर पुख्ता तौर पर कुछ कहने से सियासत के तमाम पारखी गुरेज कर रहे हैं।
संचार क्रांति के दौर में बैनर पोस्टर का युद्ध भी कोई उम्मीद जगाता नहीं दीख रहा है। उम्मीदवारों के सेनानायक मोबाइल से ही वोटरों को साधने का दम भरते भी दिख रहे हैं। बात अगर झंडे, पोस्टर, बैनर की प्रतिस्पर्धा की करें तो सभी बराबरी में दिखाई दे रहे हैं। अन्दरखाने मतदाता को अपने पाले में करने के लिए सभी उम्मीदवार सारे गणित बैठा रहे हैं। बावजूद इसके कहीं पर कांग्रेस आगे तो कहीं पर भाजपा बाजी मारती दिख रही है। उक्रांद भी अपने पूरे जोर के साथ द्वाराहाट सीट में आशावान नजर आ रही है तो वहीं आम आदमी पार्टी भी अपनी पुख्ता उपस्थित दर्ज करती दिख रही है। विधानसभा के पुराने चुनाव परिणामों पर नजर डालें तो जागेश्वर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार गोविन्द सिंह कुंजवाल चार बार निरंतर चुनाव जीतकर अपना रिकार्ड कायम कर चुक हैं। पार्टी में उनका कद इतना बड़ा है कि कुछ लोग उन्हें भविष्य के सीएम के तौर पर भी देखे रहे हैं। जागेश्वर से इस बार कुंजवाल के सामने उनके चुनावी रण में उनके पुराने सेनापति व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अल्मोड़ा मोहन सिंह मेहरा भाजपा से ताल ठोक रहे हैं। राज्य बनने के बाद पहले चुनाव में अल्मोड़ा की सीट भाजपा की ओर से जीतने वाले कैलाश शर्मा तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं। उनका सामना दो बार के पूर्व विधायक कांग्रेस के मनोज तिवारी से है। जिले की एकमात्र आरक्षित विधानसभा सीट सोमेश्वर से कांग्रेस ने पूर्व जिला अध्यक्ष राजेन्द्र बाराकोटी पर भरोसा जताया है। उनका मुकाबला कभी कांग्रेस में रही और अब भाजपा सरकार की पूर्व कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या से है। सोमेश्वर में 2022 में कांग्रेस के प्रदीप टम्टा विजयी रहे, उसके बाद भाजपा के अजय टम्टा ने बाजी जीती। जबकि 2012 में रेखा आर्या ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीता, 2017 में रेखा आर्या ने भाजपा का दामन थामा और कैबिनेट मंत्री तक पहुंची। यूकेडी का गढ़ कहा जाने वाले द्वाराहाट विधानसभा में दल के थिंक टैंक रहे बिपिन चन्द्र त्रिपाटी 2002 में विधायक चुने गए। उनकी मृत्यु के बाद लगातार दो चुनावों में पुष्पेश त्रिपाटी को यहां की जनता ने जिताया। 2012 में कांग्रेस के मदन सिंह बिष्ट विधायक बने, 2017 के चुनाव में भाजपा के महेश नेगी चुनाव जीते। रानीखेत से 2002 और 2012 में भाजपा के अजय भट्ट विजयी रहे। 2007 और 2017 में कांग्रेस के करन माहरा ने सीट अपने नाम की। अब उनके सामने भाजपा से प्रमोद नैनवाल मैदान में हैं। सल्ट में भी कांग्रेस के मौजूदा कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रणजीत सिंह रावत मैदान में हैं। रणजीत यहां से दो बार विधायक चुने गए। 2012 व 2017 में परिसीमन के बाद सुरेन्द्र सिंह जीना भाजपा की ओर से विजयी रहे। उनके निधन के बाद 2021 के उप चुनाव में उनके भाई महेश जीना ने जीत दर्ज की। इस बार चुनाव में उनके मुकाबला कांग्रेस से विधायक रहे रणजीत रावत से हैं।
अल्मोड़ा की छः विधानसभा सीट में चुनाव लगातार जोर पकड़ रहा है। जहां कांग्रेस ने अपने पुराने योद्धाओं पर भरोसा किया है, वहीं भाजपा अपने आंतरिक सर्वे पर खरे उतरे दो नये चेहरे, मोहन सिंह मेहरा व अनिल शाही को चुनाव लड़ा रही है। देखना है कि मोदी लहर में भी अपनी सीटें बरकरार रखने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता गोविन्द सिंह कुंजवाल और विधानसभा में प्रतिपक्ष के उपनेता रहे करन माहरा कैसा प्रदर्शन करते हैं। क्योंकि इस बार का चुनाव बिना बयार व लहर दिखाई दे रहा है। अब जबकि मतादान में हफ्ते भर से भी कम समय रह गया है, कोविड के चलते किसी बड़े नेता की चुनावी सभाओं की संभावनाएं कम हैं ऐसे में उम्मीदवारों के हाथो ंही उनकी नाव की पतवार है। राज्य का वोटर 2022 में अगले पांच सालों के लिए अपना भविष्य किसके हाथ में सौंपता है यह 10 मार्च को ही साफ होगा। फिलवक्त सर्द मौसम में चुनावी गर्मी के बीच खामोश जुबानों ने नेताओं से जमकर मेहनत करवानी है।