जगदीश जोशी
अल्मोड़ा कलक्ट्रेट में एक बार आने-जाने मेंं 60 रुपये से अधिक हो रहे खर्च होने से स्थानीय लोग परेशान हो रहे हैं। समय के साथ बदलाव प्रकृति का श्वास्वत नियम है। वहीं जरुरत के मुताबिक व्यवस्थाओं में भी तब्दीली स्वाभाविक है। इसका स्वागत ही किया जाना चाहिए लेकिन कई बार बदलाव सुविधा के बजाय लोगों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है। ऐतिहासिक व सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में कलक्ट्रेट को लेकर किया गया बदलाव इसका एक उदाहरण बना हुआ है। इससे नगर के साथ ही जिले के अन्य क्षेत्र के लोगों को भी परेशानी हो रही है। हालत यह है कि आने जाने में अधिक समय के साथ ही एक व्यक्ति का एक बार में न्यूनतम 60 रूपये खर्च हो जा रहा है। जनप्रतिनिधि व अन्य संगठनों के जुड़े लोग इसको लेकर मुखर बने हैं।
पुराने कलक्ट्रेट का 450 साल का सफर अल्मोड़ा के अभी तक के कलक्ट्रेट यानि मल्ला महल 450 साल तक प्रशासनिक मुख्यालय रहा है। चंदों के चंपावत से अल्मोड़ा राजधानी शिफ्ट करने के बाद इस स्थान पर किला यानि मुख्यालय बनाया गया। खगमराकोट व लालमंडी के किले में कुछ समय शासन चलाने के बाद नगर के ऊंचाई वाले इस स्थल पर महल यानि किला बनाया गया। इतिहासकार प्रो. अजय रावत के अनुसार रुद्रचंद जिनका कार्यकाल 1565 से 1597 तक रहा ने इस महल का निर्माण कराया। जोकि अकबर के समकालीन था। अधिवक्ता प्रफुल्ल चंद्र पंत के अनुसार मल्ला महल में 1570 से प्रशासनिक कामकाज शुरू होने के प्रमाण मिलते हैं। इस प्रकार यहां से जिला मुख्यालय शिफ्ट होने में लगभग 450 साल पूरे हो गए हैं। इस बीच गोरखों का 1790 से 25 साल तथा 1815 से 1947 में देश की आजादी तक अंग्रेजों ने भी यहीं से राजकाज चलाया।
विकास से जुड़े दफ्तर पहले शिफ्ट हुएः पांडेखोला के निकट ग्रामीण इलाके में सबसे पहले सीडीओ समेत विकास से जुड़े दफ्तर कई साल पहले शिफ्ट हो गए थे। वहीं जिला न्यायाधीश समेत सभी न्यायालय भी वहां पहले ही पहुंच गए थे। केवल कलक्ट्रेट यहां रह गया था।
2106 में शुरू हुई कलक्ट्रेट शिफ्ट करने की कवायदः प्रदेश में कांग्रेस की हरीश रावत सरकार के दौर में 2016 में कलक्ट्रेट को शिफ्ट करने की योजना तैयार की गई। इसके तहत मल्ला महल यानि पुराने कलक्ट्रेट को हेरिटेज पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने का फैसला लिया गया और कलक्ट्रेट को विकास भवन के निकट ही शिफ्ट करने के लिए प्रस्ताव बना। जानकारी के अनुसार इसके लिए एशियन विकास बैंक से लगभग लागत 27 करोड़ करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए। इसको मूर्तरूप देने का जिम्मा पर्यटन विभाग की निर्माण इकाई को दिया गया। इस बजट से मल्ला महल व रानी महल के साथ ही यहां स्थित मंदिर परिसर को जीर्णौद्धार की योजना बनी तथा नया कलक्ट्रेट के भवन का निर्माण करवाया गया। कलक्ट्रेट भवन बन गया लेकिन जीणोद्धार सहित अन्य कार्य अभी तक लंबित हैं।
सितंबर 2021 के शिफ्ट करने की कवायद तेजः मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अल्मोड़ा के भ्रमण के दौरान 06 सितंबर 21 को पांडेखोला के निकट बने नए कलेक्ट्रेट भवन का लोकार्पण किया। इससे साथ ही डीएम सहित अन्य अधिकारियों के दफ्तर शिफ्ट करने की कवायद तेज हो गई। अक्तूबर 2021 से डीएम ने यहां विधिवत बैठना शुरू कर दिया। हालांकि एसडीएम का दफ्तर पुराने कलक्ट्रेट में ही चला। इधर 22 मई 2022 को मल्ला महल से एसडीएम दफ्तर के साथ ही सभी दफ्तर नए कलेक्ट्रेट में शिफ्ट कर दिए गए।
आवागमन सुविधा बन रही परेशानी का कारणः नए कक्ट्रेट पहुंचने में आमवागन की असुविधा प्रमुख तौर पर परेशानी का कारण बन रही है। डीएम वंदना सिंह ने यहां शटल सेवा शुरू करने की कवायद की लेकिन तकनीकी तौर पर यहां के लिए बनी सड़क बस चलाने लायक नहीं होने से इसकी शुरुआत नहीं हो सकी है। सड़के के विस्तारीकरण के लिए जिला स्तर से शासन को प्रस्ताव गया है। शटल टैक्सी भी कुछ समय पहले शुरू हो सकी है। इसमें एक तरफ का टिकट 30 रुपये तय किया गया है। कई बार वहां जाने पर संबंधित अधिकारी के मौजूद नहीं होने पर लोग बगैर काम का वापस लौट रहे हैं। नगर पालिकाध्यक्ष प्रकाश जोशी इसके समाधान के लिए शहर से नए कलक्ट्रेट तक रोप वे बनाए जाने की मांग कर रहे हैं। जबकि नगर व्यापार मंडल के अध्यक्ष सुशील साह ने डीएम व एसडीएम के सप्ताह में एक दिन पुराने कलक्ट्रेट में बैठने की व्ववस्था करने की मांग की है। अल्मोड़ा के विधायक मनोज तिवारी इसबात को शासन स्तर पर रखे का आश्वासन दे चुके हैं। कलक्ट्रेट के शिफ्ट होने से बाजार पर भी असर हुआ है। जिले भर से कलक्ट्रेट आने वाले लोग बाजार से खरीद फरोख्त भी करते थे। व्यापार संघ इसको लेकर मुखर रहा लेकिन आखिरकार कलक्ट्रेट शिफ्ट हो गया।
यहां एक बात और गौर करने वाली है कि अधिवक्ताओं के साथ ही दस्तावेज लेखक यानि अरायजनवीसों के बैठने के लिए नए कलक्ट्रेट परिसर में अभी कोई सुगम व्यवस्था नहीं हो सकी है। कुल मिलाकर नए कलक्ट्रेट से फिलहाल लोग परेशान हैं।
मल्ला महल के जीर्णोद्धार में अपेक्षित गति नहींः मल्ला महल परिसर में जीर्णोद्दार का काम भी अपेक्षित गति से नहीं हो रहा है। हालांकि जिला स्तर से प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। वहीं कुछ छुटमुट कार्य जारी है। समय रहते इसको लेकर कदम उठाए जाने की जरुरत है ताकि वास्तवित तौर पर इसका पर्यटन की दृष्टि से उपयोग किया जा सके।
One Comment
Threesh Kapoor
Iam very sad to know about the sad demise of a very dear friend ,social activist,patrakar Dr Dewan Nagarkoti.I pray god to give peace to departed soul and strength to family to bear the loss.We will always miss you Dewan ji.Om shanti