बिमल रतूड़ी
ये बात मेरे बचपन की है साल भी पता चल सकता है पर उसकी जरुरत नहीं है | मेरी ज़िन्दगी के कई लीडरशिप लेसन में से मैं उसे पहला मानता हूँ |
टिहरी डैम में विस्थापन कार्य चल रहा था , प्रसाशन तथा ग्रामीणों के बीच की कई दौर की वार्ता विफल रही थी,एक – दो बार लाठी चार्ज भी हो चूका था और कई ग्रामीण जेल भी गये थे तो लोगों में बहुत गुस्सा था |
टिहरी की नई डीएम् राधा रतूड़ी बनी वर्तमान में वह अपर मुख्य सचिव उत्तराखंड हैं | वह पहली बार जनता की समस्या सुनने हमारे गाँव सिराईं आ रही थी, माहौल बहुत गर्म था और कई गाँव के लोग इस मीटिंग में आ रखे थे | जैसे ही डी.एम् की गाड़ी का साईरन सुना वैसे ही मुर्दाबाद के नारे लगने लगे और कुछ लोग थे जो मीटिंग चाहते थे तो उन्होंने सभी को चुप करवाया और डी.एम् को सभा के बीच में ले गये | डी.एम् के साथ अच्छी खासी संख्या में पुलिस भी थी जिसमें महिला पुलिस की संख्या भी ठीक ठाक थी |
अब एक जनप्रतिनिधि ने मांगों के बारे में बताना शुरू किया तभी अचानक ग्रामीण महिलाओं ने गालियाँ देना शुरू किया और माहौल में तनातनी होनी शुरू हुई , महिला पुलिस गाली देने वाली महिलाओं की तरफ बढ़ी और उनके बचाव में गाँव वाले आगे आये और थोडा गहमागहमी होनी शुरू हुई |
इस पर जनप्रतिनिधि को रोक कर राधा रतूड़ी ने माइक अपने हाथ में लिया और महिला पुलिस को रोकते हुए कहा कि मेरा तो यहाँ (टिहरी जिला , उनके पति अनिल रतूड़ी जी उत्तराखंड के डीजीपी भी रहे ) ससुराल है और सास तो गाली देती ही है और वह उन महिलाओं की तरफ बढ़ गयी और उनसे बात करने लगी | इतना तनातनी वाला माहौल अचानक बदल गया लोगों ने न केवल डी.एम् को पूरा सुना बल्कि बाद में सबने उनके व्यवहार की तारीफ भी की |
एक डी.एम् होने के नाते करना उन्हें वही था जिसके लिए वह आई थी पर कैसे अपने अगेंस्ट भीड़ को एक लाइन से अपनी तरफ मोड़ना है वो मैंने उस दिन उनसे सीखा था | वो चाहती तो अपनी पॉवर का इस्तेमाल कर सकती थी पर उन्होंने बात करना चुना |
ये किस्सा कल इसलिए याद आया कि कल वेस्ट त्रिपुरा के डी.एम् शैलेश के.आर यादव का वायरल वीडियो देखा, पहला रिएक्शन था कि इस स्थिति को अच्छे से डील किया जा सकता था |
Bimal Raturi
मेरा त्रिपुरा सरकार से आग्रह है कि उक्त डीएम को कुछ दिन हमारे यहां राधा रतूड़ी के पास टयूशन लेने भेजिए । उसकी ट्रेनिंग अभी अधूरी है।