मनोहर बिष्ट, डॉ योगेश धस्माना
पौड़ी। मंडल मुख्यालय पौड़ी में मंडलीय कार्यालयों को पुर्नजीवित किए जाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पहल की है। पौड़ी के लोग इसे उम्मीद की नजर से तो देख रहे हैं, लेकिन उन्हें इसमें चुनौती भी नजर आ रही है। शहरवासियों का कहना है कि इससे पहले भी मंडलीय कार्यालयों को पौड़ी से संचालित किए जाने के प्रयास हुए हैं, लेकिन उन्हें राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के चलते साकार रुप नहीं दिया जा सका है। हालांकि लोगों ने सीएम के प्रयास का स्वागत किया है।
गढ़वाल मंडल की स्थापना 1 जनवरी 1969 को तत्कालीन यूपी के राज्यपाल डा. बी गोपाल रेड्डी ने की थी। मंडल का मुख्यालय पौड़ी बनाया गया। इसमें पौड़ी के साथ चमोली, टिहरी, उत्तरकाशी चार जिले शामिल किए गए। वर्ष 1974 में देहरादून और 1997 रुद्रप्रयाग जिला जुड़ा। राज्य गठन के बाद गढ़वाल में मंडल में हरिद्वार जिले को भी शामिल किया गया। राज्य गठन के बाद एक-एक कर अधिकारियों ने मंडलीय कार्यालयों का संचालन कैंप कार्यालय के नाम से देहरादून से संचालित करने शुरु किए, जो वर्तमान में भी इसी परिपाटी पर चल रहे हैं। यहां दो कार्यालयों में अधिकारी नियमित रुप से बैठते हैं। जबकि चार कार्यालय पूर्ण रुप से देहरादून शिफ्ट हो चुके हैं। मंडलीय कार्यालयों को पुर्नजीवित किए जाने के लिए इससे पहले भी प्रयास हुए हैं, लेकिन आज तक प्रदेश सरकार मंडलीय अधिकारियों को पौड़ी में बिठाने में असफल साबित रही है।
क्या कहते हैं लोग
– सीएम का यह एक अच्छा निर्णय है। मंडलीय कार्यालयों के पुर्नजीवित होने से पौड़ी की रौनक लौटेगी। साथ-साथ ही जन समस्याओं को लेकर भी मौके पर निस्तारण होने की ज्यादा संभावनाएं बनेंगी। नमन चंदोला स्यानीय युवा।
– यह आंदोलन की नगरी है, यहां से उत्तराखंड की उत्पत्ति हुई है। वर्तमान में वहीं शहर अपनी चमक खो चुका है। यह किसी भी सूरत में अच्छा नहीं है। मंडलीय कार्यालयों के पुर्नजीवित होते हैं, तो पौड़ी के खो चुके वैभव को नया आयाम मिलेगा। सीएम के निर्णय का पौड़ीवासी स्वागत करते हैं। जगत किशोर बड़थ्वाल, शहरवासी।
– सीएम की पहल का स्वागतयोग्य। इससे पहले भी प्रयास हुए हैं, लेकिन वे साकार रुप नहीं ले पाए। अब पौड़ीवासी इतने ठगे जा चुके हैं, कि उन्हें न जाने क्यों यकीन नहीं हो रहा है। राज्य बनने के बाद सबसे ज्यादा नुकसान प्रदेश में किसी शहर को हुआ है, तो वह पौड़ी है। कोई राजनीतिज्ञ पौड़ी की नब्ज ही नहीं पकड़ पाया हैं, जो इसका निदान खोज पाए। गौरी शंकर थपलियाल, वरिष्ठ रंगकर्मी पौड़ी।
– कमिश्नरी बनने के 53 वर्षों में हम पौड़ी में कमिश्नर को नहीं बिठा पाए हैं। कैसे मंडलीय अधिकारियों की निगरानी होगी। राजधानी के नाम पर गैरसैण और मंडल के नाम पर पौड़ी के साथ छलावा हो रहा है। डा. योगेश धस्माना, क्षेत्रीय मामलो के जानकार।
पुरुषोत्तम को करते हैं लोग याद
पौड़ी। बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने सात फरवरी 2019 से 1 जुलाई 2019 तक आयुक्त का पदभार संभाला। इस दौरान वे पौड़ी ही रहे। नियमित त्रमासिक बैठकों का आयोजन, विभागवार मंडलीय समीक्षा बैठक, मंडल में शामिल जिलो का भ्रमण/निरीक्षण, मंडलीय स्तरीय विकास कार्यों का कलस्टर तैयार करने, न्यायिक कार्यों का संपादन भी पुरुषोत्तम ने पौड़ी से किया। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि मंडल की स्वर्ण जयंती पर दो दिवसीय आयोजन, पौड़ी में प्रदेश की पहली कैबिनेट बैठक का आयोजन रहा।
मूर्ति आज तक नहीं हो पाई है शिफ्ट
पौड़ी। गढ़वाल मंडल की स्थापना करने वाले यूपी के तत्कालीन राज्यपाल बी. गोपाल रेड्डी की मूर्ति पुराने डीएम कार्यालय परिसर में स्थापित है। लेकिन उस मूर्ति को आज तक मंडल मुख्यालय परिसर में शिफ्ट तक नहीं किया गया है।
नित्यानंद के दौर में ही हो चुकी थी मंडल को निष्क्रीय करने की पहल
पौड़ी। क्षेत्रीय मामलो के जानकार डा. योगेश धस्माना बताते हैं कि राज्य गठन के साथ ही पहले मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी के दौर से ही मंडल को निष्क्रीय बनाने की पहल हो चुकी थी। स्वामी ने कहा था कि अब कमिश्नरी का औचित्य रह नहीं गया है। डा. धस्माना ने बताया कि सरकार ने एक परीक्षण कराया था कि हिमाचल प्रदेश ने कमिश्नरियों को समाप्त कर दिया है। लेकिन राजनीतिक गतिरोध के चलते कमिश्नरी तो बनी रही, लेकिन उसे निष्क्रीय बना दिया गया है।
इन कार्यालयों में नियमित नहीं बैठते अधिकारी
– आयुक्त गढ़वाल मंडल पौड़ी
– अपर आयुक्त गढ़वाल मंडल पौड़ी।
– पुलिस महानिरीक्षक गढ़वाल परिक्षेत्र पौड़ी।
– मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल मंडल पौड़ी।
– वन संरक्षक गढ़वाल वृत्त पौड़ी।
– मुख्य अभियंता लोनिवि गढ़वाल मंडल पौड़ी।
– मुख्य अभियंता जल निगम पौड़ी।
– निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग पौड़ी।
– मुख्य अभियंता लघु सिंचाई गढ़वाल मंडल पौड़ी।
– उप निबंधक सहकारिता पौड़ी।
– महाप्रबंधक जल संस्थान गढ़वाल मंडल पौड़ी।
– संयुक्त निदेशक उद्यान पौड़ी।
– संयुक्त निदेशक अर्थ एवं संख्या गढ़वाल मंडल पौड़ी।
– उप निदेशक रेशम श्रीनगर गढ़वाल पौड़ी।
– उप निदेशक मत्स्य पौड़ी।
– अपर निदेशक कृषि गढ़वाल मंडल पौड़ी।
– मुख्य अभियंता सिंचाई, श्रीनगर गढ़वाल पौड़ी।
– क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी पौड़ी।
ये अधिकारी बैठते हैं नियमित
– अपर निदेशक प्राथमिक शिक्षा गढ़वाल मंडल पौड़ी।
– अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा गढ़वाल मंडल पौड़ी। लेकिन अब इन्हें भी एडी मुख्यालय का अतिरिक्त प्रभार मिला है, जिससे यह भी अब नियमित नहीं बैठेंगे।
दून से चलते हैं राज्य स्तर के दो कार्यालय
पौड़ी। पौड़ी में कहने के लिए दो राज्य स्तरीय कार्यालय भी हैं। लेकिन इनमें इनके मुखियां ही नहीं बैठते हैं। पौड़ी में उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग और आयुक्त ग्राम्य विकास के राज्य स्तरीय मुख्यालय हैं। आयोग में जहां उपाध्यक्ष नियमित रुप से बैठते हैं। वहीं आयुक्त ग्राम्य विकास मुख्यालय में झलकते तक नहीं हैं। इसके विपरीत कुमांऊ मंडल के हल्द्वानी में स्थापित सेवायोजन, समाज कल्याण, महिला डेयरी के राज्य स्तरीय कार्लालय मुख्यालयों से संचालित हो रहे हैं।
चार कार्यालय हो चुुके हैं शिफ्ट
– सहायक निदेशक खेल।
– उप निदेशक समाज कल्याण पौड़ी।
– मुख्य अभियंता ग्रामीण निर्माण विभाग पौड़ी।
– पुलिस अधीक्षक (क्षेत्रीय) अभिसूचना पौड़ी।
आवश्यकता है की पौड़ी कमिश्नर को अधिकार संपन्न बनाते हुए समस्त प्रशासनिक ऊंचाइयों को प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार दिए जाएं ।