सीताराम बहुगुणा
लंबे संघर्ष एवं कानूनी लड़ाई के बाद NIT याने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, उत्तराखंड का सुमाड़ी में एक बार फिर शिलान्यास हुआ। एक बार फिर इसलिये की इस संस्थान का 2014 में भी शिलान्यास हो चुका है। फर्क सिर्फ इतना है कि पहले यह शिलान्यास कांग्रेसी हुक्मरानों ने किया था और अब बीजेपी के हुक्मरानों ने किया है। NIT के सुमाड़ी में स्थापित होने को लेकर जहां जनता हर्षित है वहीं उसे आशंका भी है। क्या NIT सुमाड़ी में ही बनेगा ? सुमाड़ी में आधा बनेगा कि पूरा। और भी सवालों को लेकर जनता आशंकित है।
शिलान्यास के बावजूद जनता की ऊहापोह इस बात का संकेत है कि सरकारों पर जनता का भरोसा अब कितना कम हो चुका है। तिकड़म, झूठ और फरेब की राजनीति से ठगी जनता को एक ऐसे शिलान्यास जिसमें प्रदेश की राज्यपाल, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री दो सांसदों एवं प्रदेश सरकार के आधा दर्जन मंत्रियों, विधायकों और उच्च अधिकारियों द्वारा किये गए भारी भरकम शिलान्यास के बाद भी शक है, तो इसमें जनता नहीं सरकारों का दोष है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकारें इकबाल याने भरोसे से चलती हैं। सरकारें यदि भरोसा पैदा करने वाला काम करेंगी तो जनता भी निश्चित तौर पर भरोसा करेगी। लेकिन यदि छल कपट करेंगी तो सही का काम को भी शक की नजर से देखा जाना स्वाभाविक है।
बहरहाल यदि सुमाड़ी में NITका सपना साकार हो रहा है तो इसका सबसे बड़ा श्रेय केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को है। क्योंकि की उन्हीं के मुख्यमंत्री काल में सुमाड़ी में NIT बनने की घोषणा हुई थी। और आज जब वे स्वयं केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री हैं जिसके अधीन NIT आती है। इसलिए इसको बनने को लेकर यदि जनता का एक वर्ग, राज्य सरकार आश्वस्त नजर आ रहे हैं तो इसकी सबसे बड़ी वजह निशंक ही हैं।
अब जबकि की NIT बनने की उम्मीद नजर आने लगी है। श्रेय लेने की होड़ मचना भी स्वाभाविक है। श्रेय लेने की इस होड़ में शामिल स्थानीय विधायक एवं मंत्री डॉ धन सिंह रावत का ये बयान कि कुछ लोग अलग ही दुनिया मे जीते हैं और वही NIT को लेकर भ्रम फैला रहे थे। जाहिर सी बात है उनका इशारा NIT को लेकर कई सालों से संघर्षरत प्रगतिशील जनमंच, जनपक्षीय सोच के राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर था। शिलान्यास कार्यक्रम के मंच से ये बात कहना मंत्री जी की खिसयाई अहंकारी राजनीति को प्रदर्शित करता है। जनता उनसे पूछ रही है कि जब आप विपक्ष में थे और प्रगतिशील जनमंच को समर्थन देने गए थे क्या तब आप भी अलग दुनिया मे जीते थे। आपकी बातों से तो लगता है कि आप सत्ता में अलग और विपक्ष में अलग दुनिया मे जीते हैं। क्या उन राज्यों में जहाँ आपकी पार्टी विपक्ष है और सरकार से जनता की मांगों के लिए संघर्ष कर रही है वो लोग वो लोग भी अलग दुनिया मे जी रहे हैं। लोकतंत्र में सरकार से अपने अधिकारों के लिए लड़ना अलग दुनिया मे जीना नहीं होता है जनाब। हकीकत ये है कि निशंक जी के केंद्रीय मंत्री बनने से पहले तक आपने NIT की सुमाड़ी में स्थापना के लिए आपकी सरकार ने कोई प्रयास नहीं किये। ये बात स्वयं नैनीताल हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कही है। जनता को याद है कि आप ही के कार्यकाल मे NIT उत्तराखंड जयपुर शिफ्ट हुई थी। इसलिये भ्रम जनता नहीं आप फैला रहे हैं।
यदि NIT के सुमाड़ी में स्थापना में योगदान देने वाले व्यक्तित्वों की बात की जाय तो सामाजिक कार्यकर्ता अनिल स्वामी का योगदान काफी अहम है। भले ही सरकार के मंत्री आपको अलग ही दुनिया में जीने वालों की श्रेणी में रखें लेकिन आप एकदम सही दुनिया मे जी रहे हैं। सोशियल मीडिया और आम जनता में अनिल स्वामी के योगदान पर सरकार से ज्यादा चर्चा है। और उनकी उपेक्षा पर रोष भी है। NIT उत्तराखंड के स्थाई कैंपस के निर्माण की मांग को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले NIT के पूर्व छात्र जसवीर सिंह का योगदान भी महत्वपूर्ण है। जिस कारण सरकार पर लगातार दबाव बना रहा। इसके साथ ही सुमाड़ी निवासी उद्योगपति एवं समाजसेवी मोहन काला का जिन्होंने इस मामले को न सिर्फ विभिन्न मंचों पर उठाया बल्कि कानूनी लड़ाई में भी मदद की है।