विशेष संवाददाता
बागेश्वर में जिला विकास प्राधिकरण के काले कानून से परेशान हो दो लोगों ने आत्महत्या करने के बाद भी शासन—प्रशासन के सांथ ही जनका के जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी हैरान करने वाली है। प्रशासन मात्र अपनी सफाई देने में लगा है, जबकि कई लोग इस काले कानून के खिलाफ आत्महत्या करने की धमकी दे रहे हैं।
जिला मुख्यालय में जिला विकास प्राधिकरण व महायोजना के बाद से लोग काफी परेशान हैं। लोगों के पास लगातार मकान ध्वस्तीकरण के नोटिस जा रहे हैं। जिससे परेशान होकर दो लोग तो आत्महत्या को मजबूर हो गए। बीते 22 अगस्त को एनएसजी का पूर्व कंमाडो कठायतबाड़ा निवासी देवी दत्त भट्ट भी सिस्टम से हार गया और उसने आत्महत्या कर ली। परिजनों ने इसका जिम्मेदार जिला विकास प्राधिकरण को ठहराया। उनका कहना था कि प्राधिकरण के नोटिस के बाद वह अवसाद में रहने लगा था। इस घटना के तुरंत बाद जिला विकास प्राधिकरण के सचिव ने प्रेस कांफ्रेंस कर इस मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया।
कलेक्ट्रेट रोड़ किनारे मेहनरबूंगा में कल्याण सिंह ने जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली। अपने सुसाइड नोट में उन्होंने जिला प्राधिकरण और उसके अधिकारियों पर साफ आरोप लगाए गए है। मृतक कल्याण सिंह 1980 में बने अपने जीर्ण क्षीर्ण मकान का पुर्ननिर्माण करा रहा था जिसका कार्य प्राधिकरण द्वारा रुकवा कर दस हजार रुपया का जुर्माना लगा दिया गया। मृतक कल्याण सिंह के भाई जीवन सिंह को भी प्राधिकरण का नोटिस मिला है और भाई के जाने से दु:खी वो भी आत्महत्या की बात कर रहे हैं। अभी जिले में लगभग तीस से चालीस लोगों के पास प्राधिकरण के नोटिस गए हुए हैं, जिससे सभी मानसिक तनाव हैं।
प्राधिकरण के काले नियमों के खिलाफ बोलने वाले प्राधिकरण हटाओ मोर्चा के प्रमोद मेहता को भी प्रशासन के माध्यम से परेशान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि, उनके घर में भी पटवारी से लेकर जेई भेजे जा रहे हैं। उनके मकान की नाप जोख शुरु हो गई है। आए दिन उनसे पूछताछ की जा रही है। प्रशासन की इस तरह की कार्रवाई से जनता में ये संदेश जा रहा है कि उनके खिलाफ बोलने वालों की आवाज को दबा दिया जाएगा। प्रशासन की इस तरह की दबंगई पर जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी कई सवाल खड़े कर रही है। क्षेत्रीय विधायक इस मामले में बोलने से बच रहे हैं जबकि खुद उनकी पार्टी का कार्यालय लगातार प्राधिकरणों के नियमों का उल्लघंन कर बन रहा है। इस पर प्रशासन ने आंखे मूंद रखी हैं। इसके अलावा प्रशासन के कई भवन बिना प्राधिकरण की स्वीकृति के बन गए हैं जिस पर भी प्रशासन कोई जबाव नहीं दे रहा है। नाम बताने की शर्त पर कई लोगों का कहना है कि, हल्द्वानी से नक्शे पास हो जाने के बाद यहां का प्रशासन कमाई के चक्कर में उनके पास हुवे नक्शों में आपत्तियां लगा देता है ताकि उन्हें मोटा पैंसा दें और फिर वो नक्शा पास कर दें। असरदार और अमीर लोग तो पैंसे फैंक कर अपना काम करा ही रहे हैं, ये नियम तो सिर्फ आम आदमी की जान लेने के लिए ही बने हैं।
अब बागेश्वर जिले में जिला विकास प्राधिकरण के नियमों से परेशान जनता ने प्राधिकरण के विरोध में आयोजित बैठक में कल दिनांक छह सितंबर को बाजार बंद करने का निर्णय लिया गया है। जिला प्राधिकरण हटाओ मोर्चा आज लोगों को जागरूक करने के लिये नगर में मशाल जुलूस निकालने की तैंयारी में है। इस अभियान को व्यापार संघ ने भी अपना समर्थन दिया है।
जनता का कहना है कि उत्तराखण्ड सरकार ने राज्य के पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में विकास प्राधिकरण के अव्यवहारिक नियम लगा कर पहाड़ के लोगों का जीवन दूभर कर दिया है। इस प्राधिकरण के लागू होने पर जहां लोगों की खुद की भूमि में मकान निर्माण करना मुश्किल हो गया है वहीं प्राधिकारण से नक्शा पास करना एक बड़ी जटिल समस्या हो गयी है। लोग न तो अपने पुराने भवनों की मरम्मत कर पा रहे है और ना ही नये मकान बना पा रहे हैं।
विकास प्राधिकरण के विरोध में बागेश्वर के सांथ ही अल्मोड़ा और चम्पावत जनपद में प्राधिकरण विरोधी मोर्चे भी बने हैं औरे ये सभी प्राधिकरण को पहाड़ी क्षेत्रों से समाप्त किए जाने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार में कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। बागेश्वर में इस प्राधिकरण के कारण तो अब लोग आत्महत्याएं करने लग गये हैं।
लोगों का कहना है कि…. अपनी जमीन में अपनी मेहनत से कमाए पैंसों से बना रहे मकानों में भी इस तरह की पाबंदी तो अंग्रेजों के काला कानून से भी ज्यादा खतरनाक हैं। लगता है आने वाले वक्त में ‘जिंदा’ रहने के लिए भी टैक्स देना पड़ेगा…