”मेले में सीएम हमारे मेहमान थे। इसलिए हमने उनका स्वागत किया और कोई भी विरोध प्रदर्शन उनके खिलाफ नहीं हुआ। लेकिन अगर पंचेश्वर बांध में हमें डुबोया जाएगा तो हम हर तरह से इसका विरोध करेंगे।” – जौलजीबी व्यापार संघ अध्यक्ष धीरेन्द्र धर्मशक्तू
जौलजीबी: भारत और नेपाल की सीमा पर हर साल होने वाले एतिहासिक जौलजीबी मेले की मंगलवार को शुरुआत हो गई। इस मौके पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी जौलजीबी पहुंचे और इस क्षेत्र के लिए तकरीबन 20 करोड़ की विकास योजनाओं में से कुछ का शिलान्यास और कुछ का लोकापर्ण किया। उद्घाटन समारोह के मौके पर मुख्यमंत्री ने विकास योजनाओं और अपनी सरकार के कार्यों के बारे में बताया।
मुख्यमंत्री ने पहाड़ में खेती, स्वास्थ, सड़क आदि सुविधाओं पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि पहाड़ में लोगों को खेती के पैटर्न को बदलने की ज़रूरत है। उन्होंने खुश्बू/फूलों की खेती को प्रोत्साहित करने और उससे जुड़े उद्योगों को बढ़ावा देने की बात कही। मुख्यमंत्री ने पहाड़ में लचर पड़ी स्वास्थ सुविधाओं के बारे में बोलते हुए कहा कि उन्होंने नए डॉक्टरों की नियुक्तियां की हैं जिन्हें पहाड़ों में तैनात किया जाएगा। इसके अलावा सीएम ने सैनिकों को और उनके परिवारों को सुविधाएं देने और सीमांत इलाकों में जल्द ही मोबाइल कनैक्टिविटी की सुविधा पहुंचाने की भी बात कही।
‘पंचेश्वर’ को भूल गए सीएम
अपने संबोधन में सीएम ने ढेर सारी बातें तो की लेकिन वे पंचेश्वर को पूरी तरह भूल गए। जौलजीवी का यह ऐतिहासिक मेला परिसर और तकरीबन पूरा कस्बा पंचेश्वर बांध की चपेट में आ कर डूब जाना है। इसलिए मेले में सीएम को सुनने आए लोगों को उम्मीद थी कि सीएम पंचेश्वर बांध पर भी कुछ बोलेंगे। लेकिन जब सीएम अपनी योजनाओं और सरकार के क्रियाकलापों पर ही केंद्रित अपने संबोधन का समापन करने को हुए तो दर्शकदीर्घा में बैठी एक स्थानीय बुजुर्ग महिला ने ज़ोर से चीख कर सीएम का ध्यान पंचेश्वर की ओर खींचा और कहा ”आपको पंचेश्वर के बारे में भी बोलना चाहिए क्योंकि यह बांध यहां सब कुछ डुबो दे रहा है।”
इस पर सीएम ने कहा, ”इन बुजुर्ग महिला ने मुझे बहुत अच्छी याद दिलाई है। मैं पंचेश्वर बांध के बारे में बताना चाहता हूं कि अभी कुछ दिन पहले नेपाल के प्रधांनमंत्री भारत आए थे और माननीय प्रधानमंत्री जी ने इसके लिए एक मीटिंग दिल्ली में बुलाई थी। ये राज्य के लिए और उससे भी अधिक देश के लिए यह बांध बनेगा और उर्जा की हमारी आवश्यकताओं को पूरा करेगा।”
सीएम ने आगे कहा, ”दुनिया का 90 प्रतिशत विकास बिजली से हुआ है। इसलिए यह तय हुआ है कि हम इस बांध को बनाएंगे।”
सीएम ने प्रभावित होने वाले उत्ताराखंड के 123 गांवों के लोगों को उचित मुआवजा और पुनर्वास मुहैया कराने का वादा किया। सीएम ने कहा, ”हमारे पास टिहरी के विस्थापन का कडुंवा अनुभव है। कैसी कैसी दिक्कतें आती हैं, आज भी इस चीज़ को महसूस करते हैं, और इसलिए जो भी प्रभावित गांव हमारे राज्य के हैं मैं उन्हें आश्वस्त करना चाहता हूं, कि उनकी पूर्ण जिम्मेवारी राज्य सरकार लेगी। उनकी व्यवस्था करेगी और तब उन्हें वहां से विस्थापित किया जाएगा।”
”मेहमान सीएम का स्वागत, पर पंचेश्वर बांध का विरोध”
जौलजीबी व्यापार संघ और मेला समिति के अध्यक्ष धीरेन्द्र धर्मशक्तू ने बताया कि उन्होंने सीएम को पंचेश्वर बांध के विरोध में ज्ञापन सौंपा है। उनका कहना था, ”पंचेश्वर बांध जौलजीवी के इस ऐतिहासिक मेले और कई लोगों के भविष्य को पूरी तरह डुबो देगा। हालांकि कुछ लोग कह रहे हैं कि कहीं दूसरी जगह यह मेला आयोजित किया जाएगा लेकिन असल में यह संभव नहीं है। इस मेले की आत्मा को कहीं और नहीं ले जाया जा सकता क्योंकि इस जगह की अपनी महत्ता है जिसकी वजह से यह मेला शुरू हुआ है।”
धर्मशक्तू का कहना था, ”मेले में सीएम हमारे मेहमान थे। इसलिए हमने उनका स्वागत किया और कोई भी विरोध प्रदर्शन उनके खिलाफ नहीं हुआ। लेकिन अगर पंचेश्वर बांध में हमें डुबोया जाएगा तो हम हर तरह से इसका विरोध करेंगे।”
उधर क्षेत्र के विधायक हरीश धामी, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से नाराज़ दिखे। उन्होंने कहा, ”हमने सोचा था कि मुख्यमंत्री जी हमारे क्षेत्र में आ रहे हैं तो क्षेत्र के विकास के लिए कुछ घोषणाएं करेंगे। लेकिन उन्होंने कुछ भी नहीं दिया सिर्फ कांग्रेस सरकार के दौरान स्वीकृत हुई योजनाओं की ही रीपैकेजिंग करके लोगों को छला है।”
इस बीच मेला परिसर में दुकानदारों और स्थानीय लोगों ने महाकाली की आवाज़ संगठन की ओर से सफेद टोपियां पहनकर पंचेश्वर बांध का विरोध किया। टोपियों में लिखा था, ‘जौलजीवी मेला चलने दो/ पंचेश्वर बांध को रहने दो।’ महाकाली की आवाज़ के संयोजक शंकर सिंह खड़ायत ने कहा, ”हम इस बांध का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि यह बांध नेपाल और भारत की सीमा के इस संवेदनशील इलाक़े की पांच महत्वपूर्ण नदियों के किनारे बसे समाज को सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से पूरी तरह डुबो देगा। विकास किसी को डुबोकर नहीं आ सकता।”