‘वन पंचायत संघर्ष मोर्चा’ द्वारा दि . 10 एवं 11 दिसम्बर 20 22 को ‘वन पंचायतें एवं वन अधिकार कानून ‘ विषय पर दो दिवसीय विचार गोष्ठी ‘ सुचेतना , काठगोदाम में प्रारम्भ हो रही है। गोष्ठी के प्रथम दिन धारी, रामगढ़, उखलकांडा, अल्मोड़ा, बागेश्वर , बसौली , पिन्डर, खाती, पिथौरागढ़ , अस्कोट, चम्पावत, रामनगर, पौड़ी, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, उधम सिंह नगर, भवाली आदि स्थानों से आए वन पंचायत संरपंचों , प् पंचायत प्रतिनिधियों एवं समाजिक संगठनों ने प्रतिभाग करते हुए वन पंचायत एवं वनों के मुद्दों पर गहन विमर्श कर वन पंचायतों में वन विभाग के अनावश्यक हस्तक्षेप को समाप्त कर उन्हें स्वायत्त बनाने , लीसा रायल्टी का पैसा तत्काल बन पंचायतों के खाते में डालने वन कानूनों की समीक्षा कर उनमें जनपक्षीय बदलाव करने के साथ ही वनाधिकार कानून को राज्य में प्रभावी तरीके से लागू करने की मांग की गई|
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि ब्रिटिश हुकूमत के साथ लम्बे संघर्ष के बाद अस्तित्व में आई वन पंचायतें आज भारी संकट के दौर से गुज़र रही हैं ‘ I उन्हें वन अधिनियम के अधीन लाकर ग्राम वनों में तब्दील कर दिया गया है तथा वह पूरी तरह से वन विभाग के नियंत्रण में हैं । वन विभाग माइक्रो प्लान निर्माण की ज़िम्मेदारी का निर्वहन करने से बचता रहा है । इसके लिए सरपंच को बार बार वन विभाग के चक्कर काटने पड़ते हैं । पिछले 22 वर्षों में परामर्श दात्री समिति का तक गठन नहीं किया गया है । अपनी ही वनपंचायत से चारा लाने पर हेलंग में महिलाओं के साथ हुए दुर्व्यहार को सरकारी संरक्षण प्राप्त है । इको सेंस्टिब जोन के नाम पर संरक्षित क्षेत्रों का दायरा लगातार बढ़ाया जा रहा है । मानव वन्य जीव संघर्ष को कम करने में अभी तक की सरकारें नाकाम रही हैं | वन पंचायतों को वन विभाग के नियंत्रण से मुक्त करने के साथ ही वन कानूनों में जन पक्षीय बदलाव की पुरजोर वकालत इस गोष्ठी में वक्ताओं द्वारा की गई ।
गोष्ठी को वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के संयोजक तरुण जोशी , उत्तराखंड संशाधन पंचायत के ईश्वर जोशी , उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के प्रभात ध्यानी , सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष इस्लाम हुसैन बागेश्वर से आए भुवन पाठक, भालूगाड़ वाटरफॉल समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह , सुश्री अमरावती परवड़ा के सरपंच गंगासिंह आदि ने संबोधित किया। गोष्ठी का संचालन गोपाल लोधियाल तथा अध्यक्षता सरपंच सरस्वती मेहरा द्वारा की गई ।