हरिश्चन्द्र चंदोला
वैसे तो उत्तराखंड राज्य की लगभग सारी उत्तरी सीमा चीन (तिब्बत) से विवादित है, किन्तु उस पर एक नया विवाद आरंभ हो गया है, नेपाल के साथ। नेपाल ने दावा किया कि महाकाली (काली) नदी का सारा उद्गम क्षेत्र उसका है, तथा भारत का वहां अधिकार अतिक्रमण है। यह उसने पिछले वर्ष के अंत से कहना आरंभ किया, जिसके जवाब में भारत का कहना है की दोनों देश मिल बैठ कर इस समस्या का समाधान कर लेंगे।
इस विषय पर इन दोनों देशों में अभी वार्ता आरंभ नहीं हुई है और न ही तय हुआ है कि कब होगी ?
पिछले वर्ष जब भारत ने अपना नया राजनैतिक मानचित्र प्रकाशित किया तो नेपाल ने कहा कि उसमें काली नदी का सारा उदगम क्षेत्र भारत का भाग दिखाया गया है। उसका कहना था कि दो देशों की सीमा एक राज्य अकेले नहीं तय कर सकता है। इस पर भारत का कहना था कि आपस में बैठ कर इस समस्या का हल निकाल लिया जायेगा।
अभी काली नदी के उस क्षेत्र से होकर भारत का कैलास-मानसरोवर का यात्रा मार्ग जाता है तथा वहां भारत-तिब्बत पुलिस की मुख्य चौकी है जहां से यात्रा नियंत्रित की जाती है। यह उस क्षेत्र के भारतीय भोटिया जनजाति का मुख्य व्यापार मार्ग था जो अभी भी है।
इस नेपाल-भारत सरहदी क्षेत्र से अधिकतर तिब्बती नमक इसी मार्ग से से आता है, तथा यह नमक लाने तथा तिब्बत व्यापार का मुख्य मार्ग है।
पिछली शताब्दी आरंभ में अंग्रेज-नेपाल की लडाई के बाद इस सीमा का निर्धारण हुआ था। उस समय अंग्रेज़ सेनाध्यक्ष औक्टरलोनी ने काली नदी का सारा उद्गम क्षेत्र भारत की सीमा में समाहित किया था, जो तबसे वही रहा। अब कहा जा रहा है कि तब अंग्रेज़ों के नक्शा बनाने वालों से काली नदी के उद्गम का सही नक्शा नहीं बनाया गया, तथा उसके उत्तर-पश्चिम का सारा भाग अ़़़़ग्रेज़ों ने भारत राज्य में दिखा दिया। इस पर नेपाल-भारत के वार्ताकरों के बीच समय तय किए जाने के बाद संवाद होगा तथा समाधान खोजा जाएगा। इन दोनों देशों की सीमा पर संभव है पुनः बातचीत होगी। अभी भारत इस क्षेत्र के आगे के लीपूलेख पास (दर्रे) को दोनों देशों की सीमा मानता है।
चीन-भारत की 1962 की सरहदी लडाई के बाद भारत ने इस क्षेत्र में अपनी भारत-तिब्बत पुलिस की सीमा चौकी खोली थी सहरदी व्यापार तथा भारत-कैलास-मानसरोवर यात्रा को नियंत्रित करने के लिए। किन्तु तब नेपाल ने इस सीमा पर विवाद नहीं उठाया तथा भारतीय सीमा चौकी को अपने स्थान पर रहने दिया, जहां वह अभी भी है।
किन्तु जब से नेपाल में नया राज्य बना है तबसे उसने इस सीमा के निर्धारण की बात उठाई है। इस पर अभी तक भारत ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।