‘राष्ट्रीय सहारा’ से साभार
सुप्रीम कोर्ट के कई अधिवक्ताओं ने उत्तराखंड के राज्यपाल सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह को खुला पत्र लिखकर प्रदेश में बीते कुछ हफ्तों में हेट स्पीच व हिंसा की घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा है कि यह सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि उत्तराखंड का शांति व सामाजिक सद्भावना का पुराना इतिहास रहा है, लेकिन हालिया घटनाओं से यह संकेत मिलता है कि राज्य में नफरत और डर फैलाने का अभियान चल रहा है और शासन-प्रशासन इसे लेकर कोई गंभीर कार्रवाई करने में नाकाम रहा है जो कि सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है।
पटना हाईकोर्ट की सेवानिवृत्त जज व सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश, वरिष्ठ अधिवक्ता राजू राम चंद्र, वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्रददय सिंह, प्रशांत भूषण, मीनाक्षी अरोड़ा, इंदिरा उननीनायर, प्योली सतीजा, अमिता जोसेफ, केके ओमनकुट्टन, प्रणव अरोड़ा, कबीर दीक्षित, रिया यादव, जवाहर राजा, शालिनी गेरा, बुलबुल दास, मीरा संघमित्रा, शशांक सिंह, रुखसाना चौधरी रमेश मिश्रा, फारुख ‘रशीद, मिशिका, शुभम गुरुंग व मानवी ने अखबारों में वन गुज्जरों के उत्पीडन व त्यूनी में रुद्रसेना के नेता राकेश तोमर के वनगूजरों को इलाका छोड़ने की धमकी व चकराता में धर्म सभा में कुछ धार्मिक नेताओं द्वारा अल्पसंख्यकों के आर्थिक
बहिष्कार और उनके प्रति घृणा फैलाने वाले बयानों व इस बाबत प्रकाशित कुछ समाचारों का उल्लेख किया है। साथ ही कहा है कि दिसम्बर 2021 में हरिद्वार में धर्म संसद में भी इसमें शामिल कुछ लोगों ने ऐसे ही बयान दिए थे और प्रबुधानंद गिरि के विरुद्ध तो एफआईआर तक हुई थी।
यह मामला जब अंतराष्ट्रीय स्तर तक चर्चित हुआ तो देश के वरिष्ठ सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों व सिविल सोसाइटी ने इन घटनाओं का निंदा की थी, लेकिन चकराता की धर्म सभा के फेसबुक पर प्रसारण और पुलिस द्वार वीडियोग्राफी के बावजूद पुलिस ने कहा कि उसे कोई शिकायत नहीं मिली। इस मामले में किसी को गिरफ्तार भी नहीं किया गया। 24 अप्रैल को बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने ईद पर आधारित एक नाटक के मंचन पर वसंत विहार के ‘एक निजी स्कूल में तोड़फोड़ की, लेकिन फिर भी कोई पुलिस कार्रवाई नहीं हुई। 28 अप्रैल को भी बजंरग दल के कार्यकर्ताओं ने ऐसे ही मामले में दूसरे स्कूल के सामने ‘धरना दिया। फिर भी कोई पुलिस कार्रवाई नहीं हुई।
सुप्रीम कोर्ट ने क 17 जुलाई 2018 को तहसीन पूनावाला बनाम भारतीय संघ मामले में हेट स्पीच व भीड़ की हिंसा के मामले में सभी राज्य सरकारों को पहल लेकर कार्रवाई करने व किसी भी समुदाय व जाति के प्रति घृणा के माहौल को खत्म करने की कोशिशों के लिए एक नोडल अधिकारी तैनात करने के निर्देश दिए थे। 21 अक्टूबर 2022 को शाहीन अब्दुल्ला बना भारतीय संघ, उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश और दिल्ली सरकारों को आदेश दिया गया था कि नफरत फैलाने के ऐसे मामलों में आईपीसी 153 ए, 153 बी, 295 और 505 में स्वतः संज्ञान लेकर मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करें, लेकिन ऐसे मामलों में उत्तराखंड में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यह सीधे सुप्रीमकोर्ट के आदेशों की अवहेलना व अवमानना है। उन्होंने राज्यपाल से अपील की है कि वे प्रदेश सरकार को राज्य में सामाजिक सौहार्द और समुदायों में एक दूसरे के प्रति समझ पैदा करने को कहें ताकि एकता व सौहार्द कायम को बढ़ावा मिले।