महिपाल सिंह नेगी ‘ऊंची डांड्यों तुम निस्सी ह्वे जावा घंड़ीं कुळयों तुम छांटी ह्वे जावा मैं खुद लगींच मैत की भारी बाबा जी को देश देखण द्यावा …’’ उत्तराखंड की गढ़वाली बोली के इस गीत में... Read more
बिमल रतूड़ी ये बात मेरे बचपन की है साल भी पता चल सकता है पर उसकी जरुरत नहीं है | मेरी ज़िन्दगी के कई लीडरशिप लेसन में से मैं उसे पहला मानता हूँ | टिहरी डैम में विस्थापन कार्य चल रहा था , प्रसा... Read more