मृगेश पांडे बृजेंद लाल साह के बहुचर्चित नाटक त्रिशंकु का एक संवाद याद आता है।……सुविधा, अवसर, समझौता, और तटस्थता। जो न चल सका इन चार रास्तों पर वह हो गया त्रिशंकु बन गया। 17 सितम्... Read more
मृगेश पांडे बृजेंद लाल साह के बहुचर्चित नाटक त्रिशंकु का एक संवाद याद आता है।……सुविधा, अवसर, समझौता, और तटस्थता। जो न चल सका इन चार रास्तों पर वह हो गया त्रिशंकु बन गया। 17 सितम्... Read more
All rights reserved www.nainitalsamachar.org