अरुण कुकसाल पहाड़ के गांवों में विगत 50 सालों के अंतराल में रामलीला का बाहरी आवरण जरूर बदला पर उसकी मूल आत्मा में पात्र और दर्शक वहीं और वैसे ही हैं। रामलीला के पात्रों और दर्शकों का यह चिर... Read more
अरुण कुकसाल पहाड़ के गांवों में विगत 50 सालों के अंतराल में रामलीला का बाहरी आवरण जरूर बदला पर उसकी मूल आत्मा में पात्र और दर्शक वहीं और वैसे ही हैं। रामलीला के पात्रों और दर्शकों का यह चिर... Read more
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