मृगेश पांडे सधे हुए शब्दों के साथ बजट के पीछे बहुत सारी आवाजें छुपी होती हैं. चेहरे भी. आत्मनिर्भर भारत के भाव ताल विलम्बित होते गाँव और किसान की खुशहाली के राग से झंकृत होते हैं. जान और जह... Read more
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