नवीन बिष्ट
प्रख्यात आन्दोलनकारी डा. शमशेर सिंह बिष्ट की चौथी पुण्य तिथि सादगी से मनाई गई। शमशेर दा की चतुर्थ बरसी के बहाने उत्तराखण्ड ही नहीं देश-दुनिया की राजनैतिक, सामाजिक, पर्यायावरणी और भौगोलिक परिस्थिति पर भारत के नामचीन भूगर्भशास्त्री, पर्यावरणविद्, जनसरोकारों की राजनीति करने वाले विषेशज्ञयों की रायसुमारी जैसा कार्यक्रम आयोजित किया गया। शमशेर स्मृति समारोह समिति के बुलावे पर आए प्रख्यात भूगर्भशास्त्री डा. नवीन जुयाल ने युवा हिमालय पर अपनी राय जाहिर करते हुए कहा कि हिमालय विश्व के सबसे नवीन पर्वतों में से एक है। इसकी निर्माण प्रक्रिया सत्त रूप से जारी है। इस मूलभूत बात की समझ पहाड़ों में विकासात्मक कार्य करते हुए सरकारों को होनी चाहिए। जुयाल ने अपने टिहरी बांध पर प्रकाशित शोधपत्र के हवाले से बड़े बांधों को हिमालय के लिए घातक बताया। सरकारों की पर्यावरण के प्रति उदसीनता का ही परिणाम है कि हिमालय की निर्मल नदियों को कार्पोरेट घरानो के हवाले कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि हिमालय भारतीय तथा यूरेशिया प्लेटों के बीच स्थित है, इसलिए भूकम्प की संभावनाएं हमेशा बनी रहेंगी। ऐसे में भवन निर्माण कला के पारंपरिक ज्ञान का उपयोग किया जाना चाहिए। हाल के दशकों में हिमालय में बांध जैसी संरचनाओं के कारण बादल फटने भूस्खलन जैसी आपदाएं बढ़ी हैं। इन बदलती पर्यावरणीय दशाओं की अनदेखी करना हिमालय को खतरे में डालना है। भूवेत्ता डा. नवीन जुयाल ने कहा कि सरकारें बिना किसी वैज्ञानिक सर्वेक्षण और स्थानीय जनमास के हितों को ताक में रख कर बांध बनाने की नीतियां बना रहे हैं। उन्होंने गहरी चिन्ता जाहिर करते हुए कहा यदि यही नीति रही तो उत्तराखण्ड को आने वाली आपदाओं से बचाया नहीं जा सकेगा।
जनसरोकारों से जुड़े आन्दोलकारी इंद्रेश मैखुरी ने समकालीन उत्तराखण के परिदृश्य में शमशेर के विचारों की प्रासंगिकता को बताते हुए कहा कि जिस प्रकार भूमि कानून और यूके एसएस सी विधान सभा में नौकरियों की बंदरबांट हुई है, यह राज्य आन्दोलनकारियों की भावनाओं का उत्तराखण्ड नहीं है। जिन महिलाओं ने मुज्जफरनगर काण्ड की कीमत पर राज्य बनाया उन्हीं महिलाओं के तीस प्रतिशत आरक्षण को समाप्त कर दिया गया है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात पर्यावरण व वैज्ञानिक डा. रवि चौपड़ा ने कहा कि आम आदमी की एक जुटता के आगे बड़ी-बड़ी सत्ताओं को झुकना पड़ता है। हेलंग आन्दोलन की एक जुटता इस बात की तस्दीक करती है। डा. चौपड़ा ने कहा कि देश आज घोर अलोकतांत्रिक, घोर पर्यावरण विरोधी जैसी गम्भीर परिस्थितियों से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि जिस तर्ज पर विकास किया जा रहा है वहा हमारे विनाश का कारण बनता जा रहा है। देश के सत्ताधारियों को इस बात की कोई चिन्ता नहीं, उन्होंने हमें केवल मन्दिर-मस्जिद में उलझा दिया है।
कार्यक्रम का संचालन नैनीताल समाचार के संपादक व वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन साह ने किया। समारोह की शुरुआत हीरा सिंह राणा के लस्का कमर बांदा जनगीत से नवीन बिष्ट व लोककलाकार नारायण सिंह थापा ने किया। इस मौके पर अल्मोड़ा के विधायक मनोज तिवारी, पालिका अध्यक्ष प्रकाश चन्द्र जोशी देहरादून से आई कमला पंत, उपपा के केन्द्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी, श्रीमती रेवती बिष्ट, विनीता यशस्वी, हेमलता तिवारी, कुणाल तिवारी, पूरन चन्द्र तिवारी, दयाकृष्ण काण्डपाल, नीरज भट्ट, एसबीआई के सेवा निवृत प्रबंधक मोहन काण्डपाल, डा. कपिलेश भोज, अजय मित्र सिंह बिष्ट, मदन मोहन चमोली, प्रभात पाल, रानीखेत से दिनेश तिवारी सहित जनसरोकारों से जुड़े तमाम लोग मौजूद थे।