केशव भट्ट
बागेश्वर जिले के कपकोट के अंतिम गांव कुंवारी की तलहटी पर शंभू नदी में भूस्खलन के मलबे से झील बन गई थी। झील का आकार दिनों दिन बढ़ता जा रहा था। शंभू नदी में वर्ष 2018 में कुंवारी गांव की पहाड़ी से गिर रहे मलबे से झील बननी शुरू हो गई थी। चार साल में झील की लंबाई बढ़कर करीब 700 मीटर हो गई और झील में 6500 क्यूसेक से अधिक पानी जमा हो गया। कुंवारी गांव के भूस्खलन का यह खतरा क्षेत्र से अधिक चमोली जिले के थराली, नारायणबगड़ इलाकों के लिए पैदा हो गया था। इस वर्ष मई में नदियों को जोड़ने की योजना का सर्वे करने आई यूसेक की टीम को शंभू नदी में झील बनने की जानकारी हुई तो प्रशासन हरकत में आया। अब नदी से मलबा हटाने का काम शुरू हो गया है और पानी की निकासी शुरू हो गई है।
जिलाधिकारी विनीत कुमार ने सिंचाई विभाग कपकोट को झील से मलबा हटाने की जिम्मेदारी सौंपी। सिंचाई विभाग ने 9.92 लाख रुपये का प्रस्ताव बनाकर एसडीएम को प्रस्तुत किया और ए.ई. प्रकाश नेगी को झील से मलबा हटाने की जिम्मेदारी सौंपी। अपर सहायक अभियंता नेगी ने मौके पर जाकर निरीक्षण किया। उन्होंने झील तक पोकलैंड मशीन को ले जाने की दिक्कतें बताईं और श्रमिकों की मदद से झील को खुलवाने की बात कही। सिंचाई विभाग, तहसील प्रशासन और एसडीआरएफ के संयुक्त प्रयास से झील से मलबा हटाया जा रहा है। भूस्खलन से जमा मलबा हटाने के लिए विभाग की ओर से 20 श्रमिक लगाए गए हैं। फिलहाल झील बनने से चमोली जिले के थराली, नारायणबगड़ आदि क्षेत्रों के लिए उत्पन्न खतरा टल गया है। सिंचाई विभाग कपकोट के ईई जेएस बिष्ट ने बताया कि शंभू नदी में बनी झील के मुहाने से मलबा हटाने का काम चल रहा है। फिलहाल झील से बना खतरा टल गया है लेकिन पहाड़ी से मलबा गिरना भी जारी है। अभी टीम मौके पर है। जल्द ही झील के मुहाने और आसपास जमा मलबा पूरी तरह से हटा दिया जाएगा और झील में जमा पानी की निकासी करा दी जाएगी।