बच्ची सिंह बिष्ट
भारतीय संविधान में जो सपने भारत की जनता के लिए देखे गए, उनको प्राप्त करना भारतीय राजनीति और लोकतंत्र का लक्ष्य है। आज से 75 वर्ष पूर्व यह सोचना बहुत बड़ी बात है।ऐसे स्वप्न जिनको आज भी हमारे आसपास के क्या यूरोप, अमेरिका महाद्वीप में बसे देश भी नहीं देख सकते हैं। भारत को एक देश के रूप में संगठित और विकसित करने का कार्य इस देश के संविधान ने किया है। संविधान की प्रस्तावना से उसका प्रारंभ होता है।
27 और 28 सितंबर 2023 अनासक्ति आश्रम कौसानी में “सरला बहन स्मृति व्याख्यान माला“ में जेएनयू के प्रोफेसर आनंद कुमार जी ने अपने संबोधन में यही कुछ बोला। नागरिक कर्तव्य और अधिकार की बात करते हुए वे लोकतंत्र को समावेशी बनाने की बात करते हैं। आम भारतीय की सक्रिय भागीदारी और उसके निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले शिक्षण संस्थानों, नागरिक संगठनों की मजबूती की जरूरत को उन्होंने बहुत जरूरी बताया। यदि नागरिक संगठन कमजोर हैं।शिक्षण संस्थान निष्क्रिय हैं तो निश्चित ही देश का लोकतंत्र कमजोर हो रहा है।
ऐसे समय में प्रत्येक भारतीय नागरिक का कर्तव्य है कि वह लोकतंत्र के बुनियादी संस्थानों और संगठनों को सक्रिय एवम जीवंत बनाए। कौसानी समेत हिमालय के वे स्थान जहां स्वतंत्रता आंदोलन की मजबूत नींव तैयार हुई, वहां से व्यापक बदलाव और लोकतंत्र को मजबूती देने का आह्वान किया जाना आज की जरूरत है। स्वतंत्रता संग्राम में उत्तराखंड के अनेक लोगों और क्षेत्रों ने अपना सक्रिय योगदान दिया और उच्च बलिदान दिए। जहां 75 वर्षों से आंदोलन के साथ ही सृजन की बुनियाद को मजबूत करने का भी कार्य हुआ, यह स्थल इस मायने में विशेष है क्योंकि गांधी जी यहां आए और गुलामी से मुक्ति के संघर्ष को उन्होंने विशेष सम्मान दिया।
सरला बहन जी ने स्वतंत्रता सेनानियों के घरों, परिवारों की सेवा की और उनकी बेटियों को शिक्षा के साथ ही कौशल प्रदान करने में अपना पूरा जीवन लगाया। “शोषण मुक्त, समानता पर आधारित, अहिंसक समाज की स्थापना“ के व्यापक लक्ष्य की जिम्मेदारी अब आम नागरिकों के कंधों पर है। देश और दुनिया में आज का राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक परिदृश्य नागरिकों की मजबूती की जरूरत को बढ़ा रहा है। लोकतंत्र खास तौर पर भारतीय लोकतंत्र ने अपने व्यापक उद्देश्यों के साथ ही अंतिम भारतीय को भी समान अवसर, सम्मान और उसकी गरिमा के साथ जीने का रास्ता दिखाया है।
तमाम अंतर्विरोधों के बाद भी भारत धर्म, जाति, वर्ग, वर्ण और लिंग आधारित भेदभाव को अस्वीकार करते हुए सबके विकास को अपना मुख्य उद्देश्य मानता है। जिसमें सभी शामिल हैं और सभी की जिम्मेदारी है. हम सभी परिपक्व समाज और बेहतर लोकतंत्र की ओर तभी जा सकेंगे जब हम भारतीय संविधान के द्वारा दिए गए अधिकारों का सही प्रयोग करेंगे और उसमें निहित नागरिक कर्तव्यों के लिए अनुशासित रहेंगे. लोकतंत्र के आठ स्तंभ हैं. कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका, मीडिया, राजनैतिक पार्टियां, नागरिक संगठन, चुनाव और शिक्षण संस्थान. इन सभी की मजबूती के लिए कार्य करना आम नागरिक का कर्तव्य है।
गांधी जी की विरासत किताबों, मूर्तियों, भवनों और संगठनों में नहीं है। स्वतंत्रता संग्राम की पूरी भारतीय भूमि का प्रत्येक अंश उनके विचारों से अनुप्राणित है। उनको समझना इतना आसान नहीं।गांधी को अपमानित करने की कोशिश लगातार हो रही है। गांधी विचार पर प्रश्न उठाए जा रहे हैं और उनकी स्थूल विरासत पर हमले हो रहे हैं।लेकिन दुनिया गांधी की ओर, उनके विचारों की ओर लौटने लगी है।