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उत्तराखंड के छह राजनैतिक दलों एवं विभिन्न जन संगठनों द्वारा ‘जन हस्तक्षेप’ के सहयोग से आज एक प्रेस वार्ता का आयोजन वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया।
प्रेस वार्ता में वक्ताओं ने इस बात पर चिन्ता व्यक्त की राज्य में महामारी के खिलाफ लड़ाई में स्वास्थ को ले कर सरकार के कदमों में कुछ गंभीर कमियां हैं।जैसे कि शहर के मलिन बस्तियों के लिए कोई रणनीति नहीं बनी है और टेस्टिंग की संख्या भी बहुत कम है। इन कमियों की वजह से लोगों के बीच में एक असुरक्षा और तनाव का माहौल खड़ा हो गया है।
साथ में राज्य और केंद्र सरकार ने अभी तक कोई इंतेज़ाम नहीं किए हैं जिससे राज्य के बाहर फसे हुए लोगों को वापस लाया जा सके ।
इसलिए हम आज निम्मिलिखित बिंदुओं पर प्रधान मंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज रहे है:
– स्वास्थ्य केंद्र हर गांव और शहर की हर बस्ती के अंदर ही खोले जाए। किसी स्थानीय युवा को कोरोना वायरस और आम बीमारियां के बारे में ट्रेनिंग दि जाए ताकि वह लोगों को गाइड कर पाए और उनके डरो को दूर कर पाए।
– शहरों की मलिन बस्तियों में सैनिटाइजर और मास्क हर परिवार को उपलब्ध कराए जाने चाहिए। सरकार को शहर के खाली प्लाटों और नालियों की सफाई के लिए भी मुहीम चलाए ताकि इस महामारी के साथ डेंगू और चिकिनगुन्या का भी असर न हो।
– टेस्टिंग की संख्या बड़ा कर WHO के दिशा निर्देश के अनुसार टेस्टिंग होनी चाहिए। जब रैपिड टेस्टिंग किट पर सवाल उठ रहे हैं, मेडिकल विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार उनका इस्तेमाल होना चाहिए और केंद्र सरकार उनके क्वालिटी चेक करे।
– सरकार तुरंत जनता को बता दे कि प्रदेश में कितने वेंटीलेटर हैं, कितने PPE किट दिए गए है और टेस्टिंग की क्षमता कितनी है। सरकार ने जो १५ हॉस्पिटल्स को कोविड१९ में तब्दील किया है, सरकार जनता को यह बताए कि किस किस हॉस्पिटल्स में कितने बेड ऑक्सीजन आईसीयू तथा वेंटिलेटर उपलब्ध हैं।
– जो स्वास्थ कर्मी सरकारी व्यवस्था में नहीं है, उनसे सरकार निवेदन करे कि वे भी इन प्रयासों में शामिल हो जाये।
– राज्य सरकार को केंद्र सरकार के समक्ष प्रस्ताव रखना चाहिए की एक निष्पक्ष व्यवस्था का निर्माण किया जाए जिससे बाहर फसे हुए लोगों की पूरी सूचि बन पाए और उनको अपने राज्यों में वापस लौट पाए। 20,000 से ज्यादा उत्तराखंडी राज्य के बाहर फसे हैं। जैसे अन्य राज्यों ने अपने लोगों के लिए कदम उठाए हैं और जिस प्रकार छत्तीसगढ़, राजस्थान और अन्य राज्यों ने केंद्र से प्रवासी मज़दूरों के लिए व्यवस्था बनाने की मांग रखी हैं, वैसे ही उत्तराखंड सरकार को इसपर आवाज़ उठानी चाहिए। देश के विभिन्न हिस्सों में फ़ंसे उत्तराखंडियों को वापस लाने की सरकार व्यवस्था करे, जब तक व्यवस्था नहीं होती है, तब तक उनके रहने-खाने की वहाँ पर व्यवस्था की जाय।
– विदेशों में फंसे उत्तराखंडियों के सम्बन्ध में केंद्र सरकार से बात की जाय
– प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर फंसे लोगों को अपने घर वापसी की अनुमति दी जाय व वापसी की व्यवस्था की जाय।
– वापस आये नौकरी-पेशाओं के रोज़गार हेतु कार्य योजना बनायी जाय।
प्रेस वार्ता में राजनैतिक दलों की और से कांग्रेस पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव कामरेड समर भंडारी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से कामरेड बची राम कंसवाल, समाजवादी पार्टी के पूर्व राज्य अध्यक्ष डॉ डी.एस सचान, और तृणमूल कांग्रेस के राज्य संयोजक राकेश पंत शामिल रहे।
जन संगठनों की और से उत्तराखंड लोक वाहिनी के अध्यक्ष राजीव लोचन साह, चेतना आंदोलन से शंकर गोपाल, और बागेश्वर से अधिवक्ता DK जोशी शामिल रहे।
उत्तराखंड महिला मंच के अध्यक्ष कमला पंत, बहुजन समाज पार्टी के रमेश कुमार, अन्वेषा से कविता कृष्णपल्लवी और परिवर्तनगामी छात्र संगठन से कैलाश ने मांगों को समर्थन किये।
निवेदक जन हस्तक्षेप